गहरे रिश्तों के लिए इंतजार

शनिवार, 28 नवंबर 2009 (12:52 IST)
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हेलो दोस्तो! हम सभी कितनी अलग-अलग फितरत के होते हैं। कोई बिना सोचे-समझे किसी की मुश्किलें हल करने निकल पड़ता है तो कोई खूब सोच-समझकर दूसरों के जीवन में अड़चनें पैदा करता है। कोई हजार कोशिशों के बाद भी किसी पर विश्वास करने को तैयार नहीं होता तो कोई धोखा खा-खाकर भी आँखें मूँदकर फिर से भरोसा कर लेता है। कुछ ऐसे हैं, जिन पर कितना भी प्यार लुटाओ वह तनहा-सा ही दिखता है और कोई इस कदर प्यार से भरा होता है कि किसी की मायूस जिंदगी में सच्चे प्यार की खुशी भरने के लिए हर दुख को गले लगा लेता है। पर क्या किसी की जिंदगी में बहार लाने के लिए अपने जीवन में वीरानी भर लेना उचित होगा?

किसी को भरोसा और विश्वास का सबक सिखाने के लिए खुद अनजानी राहों पर निकल पड़ना ठीक होगा! प्यार को प्यार ही रहने दिया जाए तो ठीक है वरना एक व्यक्ति हमेशा परीक्षा देता रहेगा दूसरा जीवन भर उससे इम्तिहान लेता रहेगा। ऐसे रिश्ते को प्यार नहीं उदारता के साथ तरस खाना कहा जाता है। सच कहा जाए तो यह भावना प्यार के रिश्ते में बेहद निचले दर्जे का है। पर कुछ लोग बेहद विनम्रता का सेवाभाव रखते हैं और अपना जीवन प्यार करने जैसे महान कार्य में न्योछावर कर देना चाहते हैं।

सच्चे प्यार का जो आधार होना चाहिए वह आपकी दोस्ती में है। ढेर सारा संवाद, हर परिस्थिति में एक जैसी भावना और अपने साथी पर प्यार लुटाने के लिए मचलता मन।
ऐसी ही भावना से ओतप्रोत हैं प्रकाश जी (बदला हुआ नाम) जो बिना मिले, बिना देखे और बगैर अच्छी तरह जाने एक अनजान लड़की से प्रेम करने लगे हैं। एक लड़की जो सरकारी नौकरी में है और उनसे उम्र में थोड़ी बड़ी हैं, उनकी फोन फ्रेंड बन गई है। रोजाना फोन पर कई विषयों पर बातें करते हुए उन्होंने आपस में बहुत-सी बातें शेयर कीं और प्रकाश जी उनके संवाद से मुतास्सिर होकर उनके मुरीद हो गए।

प्रकाश ने अपना फोटो तो उन्हें मेल कर दिया पर उनका फोटो देखे बिना ही उनके लिए प्यार महसूस करने लगे। जब उन्होंने अपनी फोन दोस्त को दोस्ती के बजाय अपने प्यार का अहसास कराना चाहा तो उसने उन्हें दोस्ती तक ही महदूद रहने की सलाह दी और साथ में यह राज भी बताया कि उसकी टाँगों में मामूली-सी कमी है और वह अपनी इस कमजोरी के लिए उनका सहारा नहीं लेना चाहती। उधर प्रकाश को लगता है कि उसकी दोस्त कमजोरी नहीं बल्कि उनकी ताकत होगी। वह उसे अपने जीवन में लाना चाहते हैं।

प्रकाश जी, आपकी जो भावना है, मन की सच्चाई और पवित्रता है उसकी जितनी भी सराहना की जाए कम है। वैसे देखें तो सच्चे प्यार का जो आधार होना चाहिए वह आपकी दोस्ती में है। ढेर सारा संवाद, हर परिस्थिति में एक जैसी भावना और अपने साथी पर प्यार लुटाने के लिए मचलता मन। दुनिया के बने-बनाए पैमाने की परवाह किए बिना अपने मन पर विश्वास करने की हिम्मत और इन सबसे बढ़कर, अपने साथी के लिए अपार श्रद्धा, इज्जत और समाज के सामने उसे सम्मान दिलाने की दिली तमन्ना। हर कोई अपने प्रेमी में इन्हीं चीजों को ढूँढ़ता है पर आज की दुनिया में ये विरले ही मिलते हैं। आपने पूछा है आपको अपनी फोन दोस्त के जवाब में कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिए, एक दोस्त की तरह या प्रेमी की तरह?

प्रकाश जी, आपको एक दोस्त की तरह पेश आना चाहिए। अभी प्यार का इजहार करने के लिए बीता हुआ समय नाकाफी है। अभी तो बस आपने उसकी जो छबि बनाई है, वह है एक प्यारी दोस्त की जो आपको समझती है और जो अपनी शारीरिक कमी के कारण इस दुनिया का पूरा मजा नहीं ले पा रही है इसलिए आप उसे संपूर्णता का अहसास कराना चाहते हैं। अभी आप बिना किसी अपेक्षा के खुद को लुटाने को तैयार हैं। पर जिंदगी बहुत लंबी है और प्यार का दरख्त केवल एक के त्याग से नहीं सींचा जा सकता है। बेशक, आपके भीतर बेइंतहा प्यार भरा हुआ है जिसे आप सही पात्र पर लुटाना चाहते हैं। मैं यह नहीं कहती कि आपकी फोन दोस्त सही पात्र नहीं है पर अभी निर्णय लेना जल्दबाजी होगी।

अभी केवल दोस्त रहते हुए भी बहुत कुछ आप उनके लिए कर सकते हैं। जैसे उनके अंदर इतना आत्मविश्वास और सहजता भर देना कि उन्हें अपने आपको पोशीदा रखने की जरूरत न पड़े। उनको अपनी दोस्ती का इतना भरोसा दिलाना कि जरूरत पड़ने पर बिना किसी तकल्लुफ के वह आपको आवाज दे सके। अभी उनके भीतर असुरक्षा की भावना बहुत ही ज्यादा है। जैसे कि कोई उन्हें यदि पूरी तरह जानेगा तो वह दूर भाग जाएगा। यह भावना केवल आपके प्यार कर लेने या शादी कर लेने से समाप्त नहीं हो जाएगी। यह असुरक्षा प्यार के बंधन में पड़ने से अलग तरह से सामने आएगी और वह होगी आप पर पूर्ण नियंत्रण के रूप में। आप किसी से सामान्य दोस्ती भी रखेंगे तो वह असुरक्षित महसूस करेंगी और शक करेंगी।

महिला, पुरुष किसी की भी सहज मित्रता से उन्हें खौफ महसूस होगा और आप सफाई दे-देकर थक जाएँगे। कुछ लोगों का पारिवारिक वातावरण और उनकी मानसिक संरचना प्राकृतिक रूप से ही इतनी संतुलित और सरल होती है कि उसका व्यक्तित्व मोटे तौर पर महान सोच वाला ही होता है, क्षुद्र व्यवहार वह कर ही नहीं पाते पर असुरक्षित भावना वाले लोग अपने को महान साबित करने के लिए तरह-तरह की डींगें हाँकते हैं। सामने वाले को प्रभावित करने के लिए धड़ल्ले से झूठ बोलते हैं ताकि उनकी शख्सियत को लेकर लोग चमत्कृत रहें। मतलब यह है कि इस प्रकार की कुंठा कम आत्मविश्वास और असुरक्षित भावना वाले लोगों में पाई जाती है इसलिए उनके साथ संबंध निभा पाना हर समय अतिरिक्त शक्ति खोजता है। बेहतर है, पहले किसी को भली-भाँति जानें और खुद को जानने का मौका दें। रिश्ते के साथ न्याय का यही तकाजा है।
- मानसी

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