सागरों का अद्भुत संगम कन्याकुमारी

भारत के सुदूर दक्षिण में कन्याकुमारी ऐसी जगह हैं जहाँ अरब सागर, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी का सुंदर संगम होता है। यहाँ हर तरफ उठ रही खूबसूरत समुद्री लहरें आपके मन को हिलोरें लेने पर मजबूर कर देगी। कन्याकुमारी में समुद्र के बीचोंबीच चट्टन पर विवेकानंद स्मारक यहाँ की पहचान है। यहाँ हर साल आध्यात्म के इस सूर्य स्मारक के दर्शन करने हजारों लोग आते हैं। यहाँ हर शाम आकाश एक नया रंग लिए नजर आता है।

सूरज के उदय और अस्त के समय समुद्र के पानी पर तिरछी पड़ रहीं सूरज की चमकीली रक्ताभ किरणों की अठखेलियाँ देखने के बाद आपका यहाँ से जाने का मन ही नहीं करेगा। दूर-दूर तक फैला अथाह समुद्र, चमकीली रेत, सूर्योदय और सूर्यास्त के लुभावने नजारें आपको बार-बार कन्याकुमारी के अद्भूत सौंदर्य की अोर खींचेगे।

दर्शनीय स्थलः-
विवेकानंद स्मारकः- जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि यह स्मारक कन्याकु
मारी की पहचान बन चुका है। कहा जाता है कि समुद्र के बीचोंबीच बनी इसी चट्टान पर विवेकानंद जी अपनी साधना और मनन-चिंतन किया करते थे। यहाँ तक पहुंचने के लिए स्टीमर या नौका की सहायता लेनी पड़ती है। यदि आप स्मारक देखने के लिए बेहद उतावले हो रहे हैं तो स्टीमर का चुनाव करें। अन्यथा नाव का चुनाव करें। नाव की धीमी गति में आप मदहोश करने वाली हवा और खूबसूरत नजारों का आराम से लुफ्त उठाएँगें। नौका में बैठकर या किनारे पर खड़े होकर मछलियों का दाना खिलाना भी अविस्मरणीय अनुभव रहेगा। गाँधी स्मारकः- पीले रंग के भवन में स्थित गाँधी मेमोरियल बेहद दर्शनीय स्थल है। बापू को कन्याकुमारी से बेहद लगाव था।

इसी जगह पर गाँधी जी की अस्थियाँ प्रवाहित की गईं थीं। यहाँ की खासियत यहाँ का अनूठा शिल्प है। इस जगह को इस तरह बनाया गया है कि सूरज की किरणें सीधे वहीं पड़ती हैं जहाँ राष्ट्रपिता का अस्थी कलश रखा गया है।

सरकारी संग्रहालयः यदि आप कन्याकुमारी की संस्कृति से रू-ब-रू होना चाहते हैं तो यहाँ के सरकारी संग्रहालय का मुआयना जरूर करें। यहाँ दक्षिण भारतीय आर्ट और क्राफ्ट से जुड़ी चीजें रखी गईं हैं, जिनमें पुराने सिक्के, लकड़ी का समान, यहाँ के परंपरांगत वस्त्र आदि शामिल हैं।

गुगनाथस्वामी मंदिरः इस मंदिर को यहाँ का प्राचीन और ऐतिहासिक हस्ताक्षर माना जाता है। यह मंदिर यहाँ के चोल राजाओं ने बनवाया था। पुरातत्व की दृष्टि से बेहद खूबसूरत यह मंदिर लगभग हजार साल पुराना माना जाता है।


तिरूवल्लुवर की प्रतिमाः विवेकानंद स्मारक के करीब इस भव्य प्रतिमा को स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की तर्ज पर बनाया गया है। 133 फुट ऊंची इस प्रतिमा को लगभग पाँच हजार शिल्प कर्मियों ने बेहद मेहनत से बनवाया था।

यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण समुद्र का संगम है। यहाँ की रेत पर अपने साथी के हाथों में हाथ डालकर चलना बेहद रोमांटिक अनुभव होता है। इसके अलावा कन्याकुमारी में कुछ किलोमीटर उत्तर में नागरकोविल में वनविहार और पद्मनाभपुरम में एक पुराना किला है। कन्याकुमारी से 34 किलोमीटर दूर उदयगिरी का किला है जो 18 वीं शताब्दी में बनाया गया था, जिसका निर्माण राजा मार्तंडवर्मा करवाया था।

कन्याकुमारी से वापस अपने शहर लौटते हुए यदि आप कुछ निशानी ले जाना चाहें तो यहाँ के समुद्री जीवन से प्राप्त शंख, घोघें, मोती, शैवाल आदि से बने जेवर, शो पीस, साउथ सिल्क की साड़ियाँ और काजू आपके लिए बेहतरीन यादगार और उपहार साबित हो सकते हैं। इसलिए जब भी आपका मन करे सागर किनारे सैर का मजा लेने का तो चले आएँ कन्याकुमारी...यहाँ सबकुछ बेहद सुंदर है।

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