Shri Krishna 30 Oct Episode 172 : अभिमन्यु की मृत्यु का सुभद्रा को जब होता है शोक

अनिरुद्ध जोशी

शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2020 (22:11 IST)
निर्माता और निर्देशक रामानंद सागर के श्रीकृष्णा धारावाहिक के 30 अक्टूबर के 172वें एपिसोड ( Shree Krishna Episode 172) में गांधारी कुंती के पास जाकर अपने पुत्र और अर्जुन पुत्र अभिमन्यु के युद्ध में मारे जाने को लेकर विलाप करती हैं। दोनों एक दूसरे का दु:ख बांटती हैं।
 
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दूसरी ओर श्रीकृष्ण और अर्जुन के समक्ष सुभद्रा अपने पुत्र अभिमन्यु के मारे जाने को लेकर दु:ख व्यक्त करती है और इसके लिए अर्जुन को दोष देती हैं। श्रीकृष्ण सुभद्रा को सांत्वना देते हैं कि कल सूर्यास्त से पहले हम जयद्रथ का वध कर देंगे।
 
उधर, दुर्योधन और द्रोण जयद्रथ की सुरक्षा को लेकर चार्च करते हैं और तय होता है कि सिंधु नरेश को युद्ध भूमि से दूर सुरक्षित स्थान पर कड़े पहरे के बीच रखा जाएगा। शकुनि, दुर्योधन, कृपाचार्य, द्रोणाचार्य और अश्वत्थामा शपथ लेते हैं कि हम हर हाल में जयद्रथ की रक्षा करेंगे।  
 
दूसरी ओर, शरशैया पर पड़े भीष्म पितामह दुर्योधन पुत्र लक्ष्मण और अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की मौत से दुखी हो जाते हैं। वहां उनसे मिलने द्रौपदी और सुभद्रा पहुंचकर अपना दुख व्यक्त करती हैं। भीष्म पितामह सुभद्रा को सांत्वना देते हैं और कहते हैं कि अभिमन्यु वीरमरण को प्राप्त हुआ है और उसे मोक्ष प्राप्त हुआ है। भीष्म पितामह यह भी कहते हैं कि अर्जुन अपनी प्रतिज्ञा पूरी करेगा। अंत में दोनों कहती हैं कि पितामह आपकी बातें सुनकर हमारा दिल हल्का हो गया। अब हमें आज्ञा दीजिये पितामह।

बाद में गांधारी और धृतराष्ट्र इस पर चर्चा करते हैं कि केवल कल के सूर्यास्त तक जयद्रथ सुरक्षित रहे। गांधारी कहती है कि परंतु जयद्रथ की सुरक्षा कौन कर सकेगा महाराज।... फिर गांधारी और धृतराष्ट्र की पुत्री दु:शीला भी वहां आकर अपने पति जयद्रथ के जीवन की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करती है और कहती है कि अर्जुन अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं अत: आप ये युद्ध रोक दीजिये पिताश्री। परंतु धृतराष्ट्र कहते हैं कि अब कुछ नहीं हो सकता पुत्री। गांधारी भी कहती है कि मैं भी युद्ध रोकना चाहती हूं परंतु मैं ऐसा नहीं कर सकती बेटी मुझे क्षमा कर दो।
 
फिर अगले दिन का युद्ध प्रारंभ हो जाता है। चारों ओर शंख ध्वनि बजने लगती है। अर्जुन युद्ध भूमि पर तबाही मचा देता है। जय श्रीकृष्णा।
 
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