बुध ग्रह के लिए पूजें संगमेश्वर महादेव को

बुध ग्रह के लिए गन्ने के रस से पूजें संगमेश्वर महादेव को
FILE


पौराणिक कथा : स्कंदपुराण के अवंतिखण्ड में कलिंग देश का राजा सुबाहु मध्यांह में होने वाले प्रतिदिन के सिरदर्द से व्यथित रहता था। वह अज्ञात प्रेरणावश महाकाल वन स्थित उस स्थान पर स्नान करने गया जहां गंगा, नीलगंगा तथा क्षिप्रा का संगम हो रहा था। स्नान कर उसने संगम स्थल का जल पास में बने महादेव को अर्पित किया, जिसके प्रभाव से उसके सिर का दर्द समाप्त हो गया।

सुबाहु ने अपनी पत्नी विशालाक्षी को बताया कि पूर्व जन्म में वह शूद्र था तथा वेदों की निंदा करता था। इस कारण उसका अपने पुत्र और पत्नी से बिछोह हो गया था। अगले जन्म में क्षिप्रा नदी में कछुआ बनने तथा तुम्हारे कबूतरी बनने से हमारे बीच सामंजस्य बना हुआ था।

एक दिन मैंने तुम्हारे सिर पर जोर से मारा और तुम्हें संगमेश्वर के पास लाया। दर्शन करते-करते ही हम दोनों को एक ही पारथी ने मार दिया। पिछले जन्म के इन्हीं दोषों की वजह से मेरे सिर में दर्द रहा करता था। इस जन्म में हमारा इसी मंदिर में पुन: संगम हुआ इसलिए यह संगमेश्वर महादेव कहलाएंगें।

यह मंदिर उज्जैन में राम सीढ़ी पर स्थित है।

विशेष- शुक्ल पक्ष की पंचमी को पूजन और अभिषेक से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। बुध ग्रह की शांति के लिए श्रावण मास में गन्ने के रस से रूद्राभिषेक करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

दान- मूंग, कांस्य, पात्र, घी, मिश्री

वेबदुनिया पर पढ़ें