उप्र चुनाव 2012: क्या कहता है सट्टा बाजार

सोमवार, 5 मार्च 2012 (11:50 IST)
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विधानसभा चुनाव के परिणामों को लेकर राजनीतिक पंडित भले ही कोई कयास लगाएँ लेकिन सट्टा बाजार में सबसे बड़ा दाँव कांग्रेस और भाजपा के गठबंधन की सरकार बनने को लेकर है। अगर उस विकल्प पर कोई दाँव खेलता है तो एक हजार रुपए लगाने पर उसे एक लाख रुपए मिल सकते हैं, क्योंकि यह माना जा रहा है कि यह संभव ही नहीं है।

लेकिन अगर उसने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की मिली-जुली सरकार पर दाँव लगाया तो उसे एक हजार के बदले मिलेंगे मात्र 12 सौ रुपए। और अगर राष्ट्रपति शासन पर दाँव लगाया तो उसके हिस्से में आएँगे 11 सौ रुपए। यानी कि सट्टा बाजार के धुरंधरों के अनुसार उप्र में त्रिशंकु विधानसभा बनने की ही संभावनाएँ ज्यादा हैं और ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति शासन ही पहला विकल्प लगता है।

जिस तरह से उत्तर प्रदेश के सातों चरणों के मतदान के दौरान मतदाताओं में रिकॉर्ड उत्साह देखा गया है, वह परिवर्तन की तरफ साफ इशारा करा रहा है। लेकिन यह परिवर्तन किसके पक्ष में जाएगा और उसे सरकार बनाने के जादुई आँकड़े 203 तक ले जाएगा, इसको लेकर सभी ऊहापोह में हैं।

लखनऊ का बाजार खामोश: सटोरिए एक बार फिऱ 2002 की स्थिति का ही अनुमान लगा रहे हैं, जब सबसे बड़ी पार्टी सपा को 143 सीटें मिली थीं। लखनऊ के सटोरिया बाजार में राजनीतिक कयासों को लेकर अजीब सी खामोशी देखी जा रही है।

पहले के चुनावों में मतदान के दौरान ही बढ़-चढ़कर भाव खुलते थे, लेकिन इस बार सटोरियों में उत्साह नहीं दिख रहा है। इसका कारण है कि जिस तरह से हर पार्टी ने खुलकर बार-बार यह दावा किया है कि किसी भी कीमत पर वे दूसरे दल से गठबंधन नहीं करेंगे, उसने अनुमानों पर लगाम लगा दिए हैं

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