घर के दरवाजे के संबंध में 10 महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स

दरवाजे के संबंध में महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स आप जानेंगे तो आप कई तरह की कठिनाइयों से बच जाएंगे। आओ जानते हैं दरवाजे के संबंध में महत्वपूर्ण 10 वास्तु टिप्स।
 
 
1.दरवाजे की दिशा : वास्तु के अनुसार उत्तर, ईशान और पूर्वमुखी दरवाजा ही शुभ माना गया है।
 
2. दो पल्ले वाला दरवाजा : आजकल एक पल्ले वाला दरवाजा लगाने का प्रचलन हो चला है तो कि वास्तु अनुसार ठीक नहीं है। दो पल्ले वाला दरवाजा ही शुभ होता है।
 
3. ऐसा न हो दरवाजा : मुख्य द्वार त्रिकोणाकार, गोलाकार, वर्गाकार या बहुभुज की आकृति वाला नहीं होना चाहिए।
 
4. ऐसा रखें दरवाजा : मुख्य ‍दीवार, जिसमें आपको दरवाजा लगाना है उसे नौ बराबर भागों में बांटिए। दाएं से पांच भाग छोड़कर तथा बाएं से तीन भाग छोड़कर बीच में बचे खाली भाग में दरवाजा लगाएं।
 
5. दरवाजे के भीतर दरवाजा : जिस घर का मुख्य दरवाजा छोटा और उसके पीछे का दरवाजा बड़ा होता है तो यह भी वास्तुदोषी माना जाएगा। इससे घर में आर्थिक परेशानियां रहती हैं। भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार घर का मुख्यद्वार घर के अन्य सभी दरवाजों से बड़ा होना चाहिए और घर के तीन द्वार एक सीध में नहीं रखने चाहिए। दरवाजे के भीतर दरवाजा नहीं बनाना चाहिए। घर के ऊपरी माले के दरवाजे निचले माले के दरवाजों से कुछ छोटे होने चाहिए।
 
6.दो मुख्‍य द्वार वाला घर : घर में दो मुख्‍य द्वार हैं तो वास्तुदोष हो सकता है। घर में प्रवेश का केवल एक मुख्य द्वार होना चाहिए। विपरीत दिशा में दो मुख्य द्वार नहीं बनाना चाहिए। इसके अलावा भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार घर का मुख्यद्वार घर के बीचों-बीच न होकर दाईं या बाईं ओर स्थित होना चाहिए।
 
7. खिड़कियों वाला दरवाजा : कुछ दरवाजे ऐसे होते हैं जिनमें खिड़कियां होती हैं ऐसे दरवाजों में वास्तुदोष हो सकता है। घर के सभी खिड़की व दरवाजे एक समान ऊंचाई पर होने चाहिए। द्वार को द्वार की तरह ही रखना चाहिए। फिर भी यदि आप खिड़कियों वाले दरवाजे बनवाना चाहते हैं तो किसी वास्तुशास्त्री से पूछ लेंगे तो अच्छा होगा। हो सकता है कि उसमें किसी प्रकार का वास्तु दोष हो। यह दिशा और स्थान से तय होता है।
 
8.बाहर की ओर खुलने वाला दरवाजा : घर का मुख्य द्वार बाहर की ओर खुलने वाला नहीं होना चाहिए। घर के मुख्यद्वार का दरवाजा अंदर की ओर खुलना चाहिए। बाहर की ओर खुलने वाले दरवाजे का मतलब की घर की सारी बरकत और आबो-हवा बाहर चली जाएगी।
 
9. स्वर वेध या टूटा दरवाजा : द्वार के खुलने बंद होने में आने वाली चरमराती ध्वनि स्वरवेध कहलाती हैं जिसके कारण आकस्मिक अप्रिय घटनाओं को प्रोत्साहन मिलता है। ऐसा होने पर घर के सदस्यों को मानसिक तनाव तो झेलना पड़ता है साथ ही नकारत्मक ऊर्जा भी सक्रिय हो जाती है। घर में धन के प्रवाह पर बुरा प्रभाव पड़ता है। 
 
इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति के घर के दरवाजे टूटे हुए हैं तो अधिकांश परिस्थितियों में ऐसा होता है कि उस घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं रहती है। ऐसे घर में रहने वाले लोगों के विचार भी नेगेटिव ही रहते हैं। ऐसे दरवाजे की वजह से किसी भी कार्य को करने से पहले उस कार्य में असफलता का ख्याल पहले हमारे दिमाग में आता है। जिससे आत्मविश्वास में कमी आती है और कार्य बिगडऩे की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। दरवाजे के सामने वृक्ष, खम्भा, दीवार, डीपी, हैंडपम्प, किचड़ आदि नहीं होना चाहिए। इस तरह के द्वारा से सभी तरह की प्रगति तो रुक ही जाती है साथ ही परिवार में विचारों में भिन्नता व मतभेद रहता है, जो उनके विकास में बाधक बनता है। 
 
10. सीढ़ियों वाला दरवाजा : मुख्यद्वार खोलते ही सामने सीढ़ी नहीं बनवाना चाहिए अन्यथा यह वास्तुदोष माना जाता है। वास्तु अनुसार सीढ़ियों के दरवाजे का मुख उत्तर या दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। हम घर का फालतू सामान या जूते चप्पल घर की सीढ़ियों के नीचे रख देते हैं जो कि वास्तु के अनुसार ठीक नहीं है। इसलिए वास्तु के अनुसार कभी भी घर की सीढ़ियों के नीचे फालतू सामान रखें और घर की सीढ़ियों के शुरू या अंत में कोई गेट बनाएं।
 
बहुत से घरों में देखे हैं कि दरवाजा खोलते हैं हमें सीढ़ियों के दर्शन होते हैं। पास में छोटा सा गलियारा होता है जहां से आप घर में दाखिल होते हैं और जो सीढ़ियां होती है वह उपर के भवनों में जाने के लिए होती है। अक्सर लोग अपने घरों सीढ़ियों को घर के मुख्य द्वार के पास ही बनवाते हैं। वास्तुशास्त्री से पूछकर ही सीढ़ियां बनवाना चाहिए।

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