योगा स्नान करने के 14 चमत्कारिक फायदे

योगा स्नान के बहुत से चरण होते हैं। माह में एक बार योग अनुसार स्नान करने से शरीर फिर से तरोताजा होकर युवा बना रहता है और इससे थकान, चिंता, रोग, शोक, अवसाद, झुर्रियां आदि दूर हो जाते हैं। योगा रिजॉर्टों में आजकल इसका प्रचलन बढ़ गया है, लेकिन आप चाहे तो इसे घर में भी कर सकते हैं।
 
 
क्यों करना चाहिए योगा स्नान : हमारी त्वचा में लाखों रोम-कूप है जिनसे पसीना निकलता रहता है। इन रोम कूपों को जहां भरपूर ऑक्सीजन की जरूरत होती है वहीं उन्हें पौषक तत्व भी चाहिए, लेकिन हमारी त्वचा पर रोज धुल, गर्द, धुवें और पसीने से मिलकर जो मैल जमता है उससे हमारी त्वचा की सुंदरता और उसकी आभा खत्म हो जाती है। त्वचा की सफाई का काम स्नान ही करता है। योग और आयुर्वेद में स्नान के प्रकार और फायदे बताए गए हैं। बहुद देर तक और अच्छे से स्नान करने से जहां थकान और तनाव घटता है वहीं यह मन को प्रसंन्न कर स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायी सिद्ध होता है।
 
क्या होता है योगा स्नान?
1. सुगंध, स्पर्श, प्रकाश और तेल का औषधीय मेल सभी शारीरिक व मानसिक विकारों को दूर करता है। इसे आयुर्वेदिक या स्पा स्नान भी कहते हैं।
 
2. इस स्नान के कई चरण होते हैं। इन चरणों में अभ्यंगम, शिरोधारा, नास्यम, स्वेदम और लेपन आदि अनेक तरीके अपनाए जाते हैं।
 
3. इसके पूर्व आप चाहें तो योगा पंचकर्म को भी अपना सकते हैं। पंचकर्म अर्थात पांच तरह के कार्य से शरीर की शुद्धि करना। ये पांच कार्य हैं- वमन, विरेचन, बस्ति-अनुवासन, बस्ति-आस्‍थापन और नस्य।
 
 
कैसे करें योगा स्नान : 
1. योगा स्नान कई तरीके से किया जाना है- सनबाथ, स्टीमबाथ, पंचकर्म और मिट्टी, उबटन, जल और धौती आदि से आंतरिक और बाहरी स्नान। बहुत से रोगों में योग‍ चिकित्सक इसे करने की सलाह देते हैं।
 
2. शारीरिक शुद्धता भी दो प्रकार की होती है- पहली में शरीर को बाहर से शुद्ध किया जाता है। इसमें मिट्टी, उबटन, त्रिफला, नीम आदि लगाकर निर्मल जल से स्नान करने से त्वचा एवं अंगों की शुद्धि होती है। दूसरी शरीर के अंतरिक अंगों को शुद्ध करने के लिए योग में कई उपाय बताए गए है- जैसे शंख प्रक्षालन, नेती, नौलि, धौती, कुंजल, गजकरणी, गणेश क्रिया, अंग संचालन आदि। 
 
3. सामान्य तौर पर किए जाने वाले स्नान के दौरान शरीर को खूब मोटे तोलिए से हल्के हल्के रगड़कर स्नान करना चाहिए ताकि शरीर का मैल अच्छी तरह उत्तर जाए। स्नान के पश्चात सूखे कपड़े से शरीर पोंछे और धुले हुए कपड़े पहन लेने चाहिए। इस तरह से शरीर स्वस्थ और निरोग रहता है। 
 
4. गर्म जल सर पर डालकर स्नान करना आंखों के लिए हानिकारक है, लेकिन शीतल जल लाभदायक है। मौसम अनुसार जल का प्रयोग करना चाहिए, इसका यह मतलब नहीं की ठंठ में हम बहुत तेज गर्म जल से स्नान करें। गर्म पानी से नहाने पर रक्त-संचार पहले कुछ उतेजित होता है किन्तु बाद में मंद पड़ जाता है, लेकिन ठंठे पानी से नहाने पर रक्त-संचार पहले मंद पड़ता है और बाद में उतेजित होता है जो कि लाभदायक है। रोगी को या कमजोर मनुष्य को भी ज्यादा गर्म पानी से स्नान नहीं करना चाहिए। जिनकी प्रक्रति सर्द हो जिन्हें शीतल जल से हानि होती है केवल उन्हें ही कम गर्म जल से स्नान करना चाहिए। भोजन के बाद स्नान नहीं करना चाहिए।
 
 
योगा स्नान के फायदे : 
1. इससे मांसपेशियां पुष्ट होती हैं। 
2. दृष्टि तेज होती है। पांचों इंद्रियां पुष्ट होती है।
3. चेहरे की झुर्रियां मिट जाती है। इससे त्वचा में निखार और रक्त साफ होता है। 
4. चैन से और गहरी नींद आती है। 
5. शरीर में शक्ति उत्पन्न होकर शरीर का रंग सोने के समान चमकता है। 
6. योगा मसाज और स्नान से ब्लड सर्कुलेशन सुचारु रूप से चलता है। 
7. इससे टेंशन और डिप्रेशन भी दूर होता है। 
8. शरीर के सारे दर्द मिट जाते हैं। इससे तनाव, थकान और दर्द मिटता है।
9. सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस जैसे लोरों में लाभदायक है।
10. पंचकर्म से शरीर के भीतर की सफाई हो जाती है और सभी रोग दूर हो जाते हैं।
11. शीतल या ठंडे जल द्वारा स्नान करने से उश्नावात, सुजाप, मिर्गी, उन्माद, धातुरोग, हिस्ट्रीया, मूर्च्छा और रक्त-पित्त आदि रोगों में बड़ा फायदा होता है।
12. स्नान से पवित्रता आती है। यह आयुवर्धक, बल बढ़ाने वाला और तेज प्रदान करने वाला है।
13. यह हर तरह की जलन और खुजली खत्म करता है।
14.स्नान के पश्चात मनुष्य की जठराग्नि प्रबल होती है और भूख भी अच्छी लगती है।
 
 
योगा मसाज : चेहरे पर हल्का-सा क्रीम या तेल लगाकर धीरे-धीरे उसकी मालिश करें। इसी तरह हाथों और पैरों की अंगुलियां, सिर, पैर, कंधे, कान, पिंडलियां, जंघाएं, पीठ और पेट की मालिश करें। अच्छे से शरीर के सभी अँगों को हल्के-हल्के दबाएं जिससे रुकी हुई ऊर्जा मुक्त होकर उन अंगों के स्नायु में पहुंचे तथा रक्त का पुन: संचार हो। हालांकि योगा मासाज और भी व्यापक तरीके से होता है इसके अंतर्गत पूरे बदन का घर्षण, दंडन, थपकी, कंपन और संधि प्रसारण के तरीके से मसाज किया जाता है।
 

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