देश की 75 किग्रा वर्ग में शीर्ष भारोत्तोलक शैलजा पुजारी ने साइप्रस के लिमासोल में अगले महीने होने वाली राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप (जूनियर और सीनियर) की टीम में नहीं चुने जाने पर हैरानी जताई जबकि ट्रायल में भाग लेने वाली वे एकमात्र भारोत्तोलक थीं।
शैलजा सात नवंबर को बेंगलुरु में हुए चयन ट्रायल में 75 किग्रा में हिस्सा लेने वाली एकमात्र भरोत्तोलक थीं और उन्होंने 240 किग्रा (स्नैच) में 105 और क्लीन एवं जर्क में 135 किग्रा वजन उठाया था।
यह काफी अच्छा प्रयास था, क्योंकि राष्ट्रमंडल रिकॉर्ड 245 किग्रा है जबकि 2006 में मेलबोर्न राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता ने सिर्फ 208 किग्रा भार उठाया था।
खेल मंत्रालय को स्वीकृति के लिए भेजी गई 30 भारोत्तोलकों (आठ सीनियर महिला, नौ सीनियर पुरुष, पाँच जूनियर महिला और आठ जूनियर पुरुष) की सूची में 75 किग्रा में शैलजा की जगह के रोमी देवी को शामिल किया गया है, जिन्होंने चयन ट्रायल में 69 किग्रा वर्ग में हिस्सा लिया था।
मेलबोर्न राष्ट्रमंडल खेलों से पहले डोपिंग की दोषी पाए जाने के कारण दो साल का प्रतिबंध झेलने वाली शैलजा को इस साल मार्च में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने की स्वीकृति दे दी गई थी।
बेंगलुरु के साई केंद्र में ट्रेनिंग कर रहीं शैलजा ने कहा कि मुझे नहीं पता कि हर बार मुझे ही क्यों भुगतना पड़ता है। मैं एकमात्र भारोत्तोलक थी जिसने पुणे (28 अक्टूबर) और बेंगलुरु (सात नवंबर) में हुए दोनों ट्रायल में हिस्सा लिया था।
उन्होंने कहा कि मेरी साइप्रस में स्वर्ण पदक जीतने की संभावना काफी अच्छी थी। मुझे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खेलने की स्वीकृति मिल गई थी और मैंने बीजिंग ओलिंपिक से पहले जापान में एशियाई चैम्पियनशिप (अप्रैल-मई) में हिस्सा लिया था।
भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के महासचिव बीआर गुलाटी ने हालाँकि इस मामले में टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि चयनित भारोत्तोलकों को खेल मंत्रालय से स्वीकृति मिलने के बाद ही वे कोई प्रतिक्रिया देंगे।
गुलाटी ने ग्वालियर से कहा कि हमने भारोत्तोलकों की सूची मंत्रालय को भेजी है, इसलिए मंत्रालय की स्वीकृति मिलने से पहले मैं कोई टिप्पणी नहीं करूँगा।