जानिए वर्ष 2013 में कब-कब होगी वर्षा

- डॉ. आर.डी. ढोबले
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प्राकृतिक घटनाओं के पूर्वानुमान हेतु ज्योतिर्विज्ञान की संहिता में शास्त्रियों ने अनेक सूत्र दिए है, जो मुख्यत: ग्रहों के खगोलीय भ्रमण के दौरान होने वाले योगों पर आधारित है।

मालवांचल तथा निकटस्थ क्षेत्रों में रहने वाले आचार्य वराहमिहिर, दैवज्ञ नरपति, घाघ-भङङर तथा महाराष्ट्र के निवासी रामकृष्णजी गोखले आदि के सूत्र यद्यपि अब से लगभग 300 से 1500 वर्ष पूर्व की अवधि में रचे गए थे। तथापि उनमें से अनेक सूत्र वर्तमान में प्रासंगिक है।

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भारत के मौसम विज्ञान विभाग से विगत 11 वर्षों से दैनिक वर्षा के अभिलेख प्राप्त कर उनका उपरोक्त शास्त्रियों के लगभग 124 योगों के तारतम्य में अध्ययन किया जाने पर लगभग 75 % योग अब भी प्रासंगिक पाए गए।

अंधाधुंध वन कटाई, भूमि उत्खनन, औद्योगिक विकास के कारण वायु प्रदूषण, वैश्विक तापमान में वृद्धि इत्यादि के विपरीत परिणाम होते हुए भी अधिकांश सूत्र प्रासंगिक रहे हैं। इन सूत्रों को चिह्नित किया जाकर सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है।


उसी के आधार पर वर्ष 2013 की वर्षा ऋतु में अनुमानित वर्षा दिनों की तालिका प्रस्तुत है....



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वर्षाकाल 21 जून (सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र प्रवेश) से 6 नवंबर ( सूर्य का स्वाति नक्षत्र से निर्गमन) तक होता है। इसके पूर्व प्रवर्षण काल में भी छुटपुट वर्षा होती है।

माह70 % से अधिक संभावना वाले वर्षा दिन50 % से 70% संभावना वाले वर्षा दिनकुल वर्षा दिनरिमार्क
जून12, 13, 25, 29, 302+3 = 5प्रवर्षण काल/वर्षा काल
जुलाई1,4, 5, 6, 7, 9,10, 11, 12, 13,15,22, 23,24,27,28,313, 3017+2 = 19वर्षा काल पूर्वार्ध
अगस्त1,2,5,6,7,11,15,16,18,19,20,23,243,4,8,9,21,2213+6 =19वर्षा काल पूर्वार्ध
सितंबर2,3,4,15,16,19,20,29,309वर्षा काल उत्तरार्ध
अक्टूबर2,3,7,13,14,15,18,20,29,3010वर्षा काल उत्तरार्ध
नवंबर11वर्षा काल उत्तरार्ध
कुल दिन वर्षा30+33= 63


इस वर्ष विजय नामक संवत्सर है, जो शुभ फलदायी है। यह संवत्सर परिवत्सर श्रेणी में वर्गीकृत है। वर्षा ऋतु के प्रथमार्थ में अधिक तथा द्वितीयार्थ में खंडित या अल्प वर्षा होने की संभावना है।

कुल मिलाकर वर्षा औसत से कुछ कम संभावित है, तथापि सूखा-संकट की स्थिति प्रतीन नहीं होती।

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