पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यह मान्यता है कि शनिदोष से मुक्ति पाने के लिए मूल नक्षत्रयुक्त शनिवार से आरंभ करके 7 शनिवार शनिदेव की पूजा करनी चाहिए और व्रत रखने चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव की कृपा बनी रहती है।
* व्रत के लिए शनिवार को प्रात:काल उठकर स्नान करना चाहिए।
* तत्पश्चात भगवान हनुमान व शनिदेव की आराधना करते हुए तिल व लौंगयुक्त जल पीपल के पेड़ पर चढ़ाना चाहिए।
* इसके बाद शनिदेव की प्रतिमा के समीप बैठकर उनका ध्यान लगाते हुए मंत्रोच्चारण करना चाहिए।
* पूजा करने के बाद काले वस्त्र, काली वस्तुएं किसी गरीब को दान करनी चाहिए।
* अंतिम व्रत को शनिदेव की पूजा के साथ-साथ हवन भी करवाना चाहिए।