कुहू-कुहू कर मीठे स्वर में, हमें बुलाती कोयल रानी। अमराई में तान सुरीली, उसकी लगती बड़ी सुहानी
ओ मेरी निंदिया रानी, चुपके से तू आ जा री। मीठे सपनों में खो जाऊं,
बढ़िया सा एक उड़नखटोला,काश! कहीं से पाते जी।अपने भैया अजय-विजय संग,
नभ में देखो प्यारे-प्यारे, चम-चम चमक रहे हैं तारे।अठखेलियां करते हैं हरदम,
मंजिल को जब है पाना,
खतरों से क्यों कर डरना।
बाधाओं से टकराकर,
हमको है आगे बढ़ना
दीप जले
हर गली-गली
गुपचुप क्यों बैठे हो भाई
नाचो-गाओ खुशियां बांटों
दीवाली है घर आई ।
हम भी भेज दिए हैं बच्चों
मंगल ग्रह को यह संदेश
सकल जहां से कम नहीं है
अपना प्यारा भारत देश
देश की संतान है
भारत मां की शान है
सत्य-अहिंसा हमें सिखाता
गांधी उसका नाम है
दहेजी दानव ने बगराया
भारी भष्टाचार जी
इस दानव को मार भगाओ
है जन-जन का भार जी
मेरा छोटा सा परिवार ,
इससे हम करते हैं प्यार।
मम्मी-पापा सोनू -भैया,
करते मुझसे प्यार दुलार ।।1।।
विजय हुए थे रामजी, अतुलित राक्षसी शक्ति से। तब से मनाते हैं विजयादशमी, भारतवासी भक्ति से।।1।।