शैली बक्षी खड़कोतकर

शैली बक्षी खड़कोतकर मीडिया शिक्षक एवं स्वतंत्र लेखिका हैं।
सहेलियां जब मिलती हैं...हंसी तितलियों-सी उड़ती है, बातें झरने-सी झरती है, आंखें अनकहे राज़ सुनाती है, ...सहेलियां जब मिलती हैं। चिरैयों-सी चहकती हैं, जूही-सी...
हम स्वयं नहीं जानते कि कब कौन-सी बात स्मृति-पटल पर अंकित हो जाती है और जाने किस मोड़ पर ये बावरी दबे पांव हमारी पथ-सखी बन जाती है। बेटा जब दूर देश की यात्रा...
हे शब्द-शक्ति! मेरे आराध्य.... सुनो! एक अकिंचन भक्त की आर्त पुकार है.... जागृत हो! कहां हो तुम? अपनी शक्ति किसी सीपी में बंदकर समंदर में डुबो आए हो, हिमालय...