भारतीय रुपये के बारे में सोशल मीडिया पर लोगों का एक तबका यह दावा कर रहा है कि बांग्लादेशी करेंसी ‘टका’ की तुलना में ‘रुपया’ कमजार हो गया है।
फेसबुक और ट्विटर पर ऐसे सैकड़ों पोस्ट मौजूद हैं जिनमें यह दावा किया गया है कि ‘72 वर्षों में पहली बार भारतीय रुपया बांग्लादेशी टका से पिछड़ा है’।
इनमें से अधिकांश लोगों ने भारतीय करेंसी की इस दशा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को दोषी ठहराया है।
बहुत से लोगों ने सोशल मीडिया पर करेंसी रेट और रुपया-टका में तुलना करने वाले कुछ ग्राफ भी पोस्ट किये हैं।
लेकिन अपनी पड़ताल में हमने पाया कि ये दावा गलत है और करेंसी रेट वाले ग्राफ इस दावे से उलट कहानी कहते हैं।
रुपया और टका
बांग्लादेश और भारत की स्टॉक एक्सचेंजों से प्राप्त वित्तीय जानकारियों के आधार पर टका और रुपया का कनवर्जन रेट दिखाने वाली कुछ सार्वजनिक वेबसाइट्स के अनुसार मंगलवार को एक भारतीय रुपये की तुलना में बांग्लादेशी टका की कीमत 1.18 टका के बराबर है।
यानी एक भारतीय रुपये में बांग्लादेश का 1.18 टका खरीदा जा सकता है और दस भारतीय रुपये में 11.80 बांग्लादेशी टका।
अगर इस स्थिति को पलट कर देखा जाये तो मंगलवार के रेट पर एक बांग्लादेशी टका में सिर्फ 84 पैसे ही मिलेंगे और दस बांग्लादेशी टका में 8.46 भारतीय रुपये।
सोशल मीडिया पर भी लोग यही कनवर्जन रेट पोस्ट कर रहे हैं, लेकिन एक बांग्लादेशी टका के सामने 0.84 भारतीय रुपया कीमत देखकर उसे विदेशी मुद्रा की तुलना में कमजोर बता रहे हैं।
डॉलर के मुकाबले...
बांग्लादेश की ढाका स्टॉक एक्सचेंज और चिटगांव स्टॉक एक्सचेंज के अनुसार मंगलवार को एक अमरीकी डॉलर की कीमत 84.60 बांग्लादेशी टका के बराबर है।
जबकि भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बांबे स्टॉक एक्सचेंज के मुताबिक मंगलवार को एक अमरीकी डॉलर की कीमत 71.70 भारतीय रुपये के बराबर है।
यानी बांग्लादेशी टका की तुलना में फिलहाल कम भारतीय रुपये खर्च करके अधिक अमरीकी डॉलर खरीदे जा सकते हैं।
बीते 90 दिनों में एक अमरीकी डॉलर के बदले भारतीय रुपये की अधिकतम कीमत 72.08 रुपये तक पहुँची है। जबकि बांग्लादेशी टका की वैल्यू अधिकतम 84.77 तक जा चुकी है।
वहीं बीते दस वर्षों की अगर बात करें, तो एक अमरीकी डॉलर के सामने भारतीय रुपये की न्यूनतम कीमत 43.92 रुपये तक रही, जबकि बांग्लादेशी टका की कीमत 68.24 टका रही।
यानी बीते दस वर्षों में अमरीकी डॉलर के सामने भारतीय करेंसी की तुलना में बांग्लादेशी करेंसी की स्थिति तुलनात्मक रूप से ज़्यादा बेहतर दर के साथ खड़ी हुई है।
बांग्लादेश की वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर पाकिस्तान से ढाई फीसदी आगे निकल चुकी है। जाने-माने अर्थशास्त्री कौशिक बासु का कहना है कि बांग्लादेश विकास दर के मामले में भारत को भी पीछे छोड़ सकता है।