ढहे हुए मकानों के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर किये जा रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के बनारस में ‘काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट’ के लिए मोदी सरकार ने रास्ते में पड़ने वाले 80 मुस्लिम घरों को खरीद लिया है।
जिन लोगों ने ये वीडियो शेयर किये हैं, उन्होंने लिखा है, “काशी विश्वनाथ मंदिर से गंगा नदी तक सड़क को चौड़ा करने के लिए मोदी ने 80 मुस्लिम घरों को खरीद लिया है। जब उन्होंने इन घरों को साफ करना शुरू किया तो इन घरों के अंदर 45 पुराने मंदिरों की खोज की गई।
आपको बता दें कि ‘काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ बताया जाता है।
इस परियोजना के तहत सरकार चाहती है कि गंगा नदी के तट पर स्थित ललिता घाट से लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर तक पहुँचने वाला मार्ग चौड़ा करके उसे साफ-सुथरा और सुंदर बनाया जाये ताकि जो भी लोग वहाँ दर्शन के लिए आयें, उन्हें सुविधा मिल सके।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी और राज्यपाल राम नाइक की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस परियोजना का शिलान्यास किया था।
लेकिन बीते कुछ दिनों में इस परियोजना से जोड़ते हुए ट्विटर और फेसबुक पर जो वीडियो सैकड़ों बार शेयर किये गए हैं, वो भ्रामक हैं।
इस परिषद में उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी विशाल सिंह मुख्य कार्यपालक आधिकारी यानी सीईओ के पद पर कार्यरत हैं।
मंदिर परिसर के निर्माण के लिए ‘मुस्लिम घरों को खरीदे जाने’ और उनमें ‘हिंदू मंदिरों की खोज’ का जो दावा किया जा रहा है, उसके बारे में हमने विशाल सिंह से बात की।
उन्होंने बीबीसी संवाददाता प्रशांत चाहल को बताया कि ये सभी दावे फर्जी हैं।
उन्होंने कहा, “इस परियोजना के लिए हमने अभी तक कुल 249 मकान क्रय किये हैं। जितने भी घर मंदिर प्रशासन द्वारा क्रय किये गए हैं इस योजना के लिए, उन घरों में से एक भी घर किसी अन्य धर्म का नहीं था। ये सभी मकान जो क्रय किये गये, ये सभी सनातन धर्म के हिंदू धर्मावलंबियों के ही थे।”
विशाल सिंह ने कहा कि “जितने भी मकान अब तक क्रय किये गए हैं, उनमें से 183 मकान तोड़े जा चुके हैं। टूटे हुए मकानों में छोटे-बड़े मंदिरों की संख्या मिलाकर कुल 23 मंदिर हमें मिले हैं।”