कितना मुश्किल है भारत में मंच पर 'योनि' बोलना

शुक्रवार, 8 मार्च 2013 (18:32 IST)
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भारत में महिलाएं आमतौर पर अपनी कामुकता या वासना के बारे में सबके सामने चर्चा करने में कतराती हैं। लेकिन एक मंच ऐसा है जहां महिलाएं योनि शब्द बोलने से नहीं घबराती और महिलाओं से संबंधित सेक्स के अनुभवों पर अपनी राय पूरी उन्मुक्तता के साथ बांटती है।

और वो मंच है 'वैजाइना मोनोलॉग्स' यानी 'योनि आत्मभाषण' का जो पिछले दस साल से मुंबई जैसे शहरों में प्रस्तुत किया जा रहा है। अमेरिकी नाट्यकार इव एन्स्लर की मशहूर कृति 'वैजाइना मोनोलॉग्स' का भारतीय रूपांतर दसवीं वर्षगांठ मना रहा है।

इस आत्मभाषण को भारत में महाबानू मोदी कोतवाल प्रस्तुत कर रही हैं। अमेरिका में इस नाटक को देखने के बाद उन्होंने अपने बेटे के साथ इसका भारतीय संस्करण पेश करने का फैसला किया। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती आई इस मंचन के लिए ऐसी नायिकाएं ढूंढना जो योनि पर आराम से चर्चा कर सके।

कोतवाल कहती हैं, 'कलाकार ढूंढना बहुत मुश्किल था। एक बेहद सुंदर लड़की मिली जिसे मैं लेना चाहती थी, लेकिन उसने कहा कि वो मंच पर योनि शब्द कहने की हिम्मत कभी नहीं जुटा सकती।'

'वैजाइना मोनोलॉग्स' के लिए निर्माता ढूंढ़ना भी एक बड़ा काम था। एक मिला तो बीच में ही भाग गया, कई दूसरों ने कहा कि वो इसे बनाने में जरूर मदद करेंगे, लेकिन उसके लिए इस नाटक का नाम बदलना होगा।

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सराहना : आखिरकार एक अभिनेत्री अवंतिका अकेरकर मिलीं, जो आज भी इस नाटक से जुड़ी हुई हैं। अकेरकर कहती हैं, 'मुंबई में पहले शो के दौरान हमें डर था कि दर्शक इसे पसंद नहीं करेंगे और हमें ये डर था कि हम इसे पूरा दिखा पाएंगे भी या नहीं।'

लेकिन पहला शो बिना किसी दिक्कत के पूरा हुआ और उसे खूब सराहना भी मिली। आज जब भी इसका मंचन होता है तो कोई भी सीट खाली नहीं बचती और सभी उम्र के पुरुष और महिलाएं इसे देखने आती हैं।

इस मंचन में कलाकार एक स्टूल पर बैठे होते हैं और दर्शकों से अंतरंग बातचीत करते हैं। एक सीन में अकेरकर एक ऐसी युवा कुंवारी महिला का रोल कर रही होती हैं जिसका बलात्कार उसके परिवार के एक मित्र ने कर दिया है।

कुछ दूसरे दृश्यो में अभिनेत्रियां घरेलू हिंसा, योनि की विकृति, या बलात्कार जैसे मुद्दों पर बात करती हैं। ये ऐसे मामले हैं जिन्हें भारत में अक्सर दबा दिया जाता है।

'चुप्पी मौत के बराबर है' : हाल के दिनों में इस शो में एक अतिरिक्त दृश्य डाला गया है जो दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की को श्रद्धांजलि देता है।

इस सीन का संवाद इस बात से शुरू होता है कि 'हम किसी लड़की के निर्मम बलात्कार के बाद ही क्यों आवाज उठाते हैं जबकि कई पीढ़ियों से कन्या भ्रूण हत्या हमारे समाज में होता आया है और हम चुप बैठे हैं। हमारी यही चुप्पी मौत के बराबर है'।

दिल्ली रेप के बाद वैजाइना मोनोलॉग्स में एक नई गूंज सुनने को मिल रही है जो समाज में महिलाओं की कामुकता और उनके अधिकार पर आम राय को चुनौती दे रहा है।

लेकिन आज भी जैसे ही कोतवाल मंच पर लोगों से पूछती हैं कि वो योनि शब्द कितने आराम से कह सकते हैं, दर्शकों की एक दबी हंसी ही मंच पर फैल जाती है।

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