Mirai Review: तेजा सज्जा की 'मिराई' में दमदार विजुअल्स और एक्शन, लेकिन लंबी कहानी बनी कमजोरी

WD Entertainment Desk

शनिवार, 13 सितम्बर 2025 (12:09 IST)
पौराणिक तत्वों और आधुनिक फैंटेसी को जोड़ कर भारतीय फिल्में एक नई लकीर पर चल पड़ी हैं। कार्तिकेय 2, ब्रह्मास्त्र, कल्कि 2898 ईस्वी और हनुमान इसके उदाहरण है। इस लाइन को लंबी करती है फिल्म 'मिराई' जिसे तेलुगु से डब कर हिंदी में प्रदर्शित किया गया है। 
 
फिल्म शुरुआत से ही अपने कॉन्सेप्ट से ध्यान खींचती है। मां के त्याग से शुरू होकर बेटे के मसीहा बनने की यह गाथा दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश करती है, लेकिन इसका प्रस्तुतिकरण कई जगह बोझिल और लंबा तो लगता ही है, कन्फ्यूज भी करता है। इससे फिल्म का इम्पैक्ट बहुत कम हो जाता है। 
 
कहानी वेद (तेजा सज्जा) की है, जिसे उसकी मां (श्रेया सरन) जन्म के तुरंत बाद छोड़ देती है, ताकि वह भविष्य में मानवता को बचा सके। 24 साल बाद वेद अपने मिशन के लिए खड़ा होता है और खलनायक महाभीर लामा (मनोज मांचू) से टकराता है। इस दौरान कुछ दृश्य फिल्म को सिनेमाई ऊंचाई देते हैं। लेकिन पटकथा लंबी है, कहीं-कहीं उलझी हुई भी और पौराणिकता व आधुनिक डायलॉग्स का मेल दर्शकों को असहज कर देता है।
 
तेजा सज्जा का काम अच्छा है, वे अपने किरदार में सहज हैं। मनोज मांचू खलनायक के रूप में असरदार दिखते हैं। श्रेया सरन भावनाओं को स्क्रीन पर बखूबी उतारती हैं। ऋतिका नायक समेत बाकी कलाकार भी ठीक-ठाक हैं। राणा दग्गुबाती का कैमियो फिल्म को स्टार पावर देता है और दूसरे भाग की उम्मीद जगाता है। 
 
निर्देशक कार्तिक गट्टाम्नेई बात कहने में उलझ गए हैं और यह फिल्म की कमजोरी बन जाती है। सिनेमैटोग्राफी और विज़ुअल इफेक्ट्स फिल्म की सबसे बड़ी ताकत हैं। कई एक्शन सीन इंटरनेशनल स्तर का अनुभव देते हैं। बैकग्राउंड स्कोर रोमांचक है, लेकिन गाने कमजोर और बेस्वाद हैं। एडिटिंग ढीली है। फिल्म की लंबाई खटकती है और धैर्य की परीक्षा लेती है।
 
मिराई में ऐक्शन और विजुअल्स का दम है, मां-बेटे का भावनात्मक पहलू भी प्रभावित करता है, लेकिन भारी-भरकम नैरेटिव, खींची हुई कहानी और कमजोर गानों के कारण फिल्म का असर अधूरा रह जाता है। 
 

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