चीन से फैले जानलेवा कोरोना वायरस (Corona Virus) ने दुनियाभर में लाशों का अंबार लगा दिया है। चीन के बाद कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित इटली हुआ है, जहां 1800 से ज्यादा लोग असमय ही मौत के आगोश में चले गए हैं।
सबसे ज्यादा चिंता उन बुजुर्गों की है, जिनके लिए सरकार का फैसला किसी मौत के फरमान से कम नहीं है। इटली की सरकार ने कोरोना वायरस से पीड़ित 80 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराने का फैसला किया है। इटली की सरकार उन देशों के नक्शेकदम पर चल पड़ी है, जहां यह कहा जा रहा है कि बच्चों को बचा लो, बूढ़ों को मरने के लिए छोड़ दो...
इटली के प्रधानमंत्री कोंटे ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस की स्थितियां बहुत बुरी नहीं हैं, लेकिन देश एक बड़े खतरे की तरफ बढ़ रहा है। इस खतरे के कारण हमें बुजुर्गों के लिए कठोर फैसला लेना पड़ा है।
किसी भी देश में 80 साल या उससे ऊपर के वृद्धों को कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद समुचित डॉक्टरी चिकित्सा नहीं देने वालों में इटली पहला देश है। इटली की सरकार के इस फैसले ने पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया है।
भारत में जब इटली सरकार के फैसले की खबर पहुंची तो लोग सन्न रह गए क्योंकि हिंदुस्तान में किसी भी घर में बुजुर्ग को भगवान का दर्जा दिया जाता है। घर में वृद्ध माता-पिता उस घने पेड़ की छाया की तरह होते हैं, जहां परिवार वाले फलते-फूलते हैं। इनका आशीर्वाद ईश्वर तुल्य होता है।
कई भारतीयों का मानना है कि इटली की सरकार द्वारा 80 साल के बूढ़ों को यूं मरने देने के लिए छोड़ने का फैसला बिलकुल भी सही नहीं है। इटली की सरकार को चाहिए कि वह मानवीय आधार पर अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।