World Tuberculosis Day: कोरोना की तरह संक्रामक नहीं, लेकिन Corona से ज्‍यादा घातक है TB

इंदौर। मेडिकल साइंस और तकनीकी तौर पर इतना विकसित होने के बाद भी भारत में टीबी (World Tuberculosis Day) एक घातक रोग बना हुआ है। हर साल हजारों लोगों की टीबी से मौत हो जाती है, वहीं दुनिया में टीबी से मरने वालों का आंकड़ा लाखों में है। यह कोरोना और एन2एच3 एन्‍फुल्‍एंजा का दौर है, ऐसे में टीबी और तमाम तरह के फ्लू के लक्षणों में कैसे अंतर करना है और इसके साथ ही टीबी जैसे संक्रामक और घातक रोग से कैसे बचना है यह जानना बेहद जरूरी है।

वेबदुनिया ने इंटरनेशनल टीबी डे के मौके पर मेदांता अस्‍पताल इंदौर के चेस्‍ट विशेषज्ञ डॉ तनय जोशी से विशेष चर्चा की। आइए जानते हैं कितना खतरनाक है टीबी रोग। क्‍या हैं इसके लक्षण, कैसे करें पहचना और कैसे करें बचाव।
हर रोज आ रहा एक मरीज : डॉ तनय ने बताया कि मेडिकल में एडवॉन्‍स तकनीक के बावजूद टीबी जैसी घातक बीमारी लगातार बढ़ रही है। यह एक संक्रामक बीमारी है। अस्‍पताल में हर रोज एक मरीज टीबी का आ रहा है। देश में आज भी हम टीबी में चौथे स्‍थान पर आते हैं। यह इसलिए ज्‍यादा घातक है, क्‍योंकि इसका इलाज लंबे समय तक चलता है और कई बार लोग इलाज को अधूरा ही छोड़ देते हैं। वहीं, ज्‍यादा जनसंख्‍या होना भी इसकी एक वजह है।

कोराना और टीबी में कैसे फर्क करें : टीबी का संक्रमण ज्‍यादा गहरा होता है। लेकिन कोराना की तरह या किसी दूसरे फ्लू की तरह बहुत तेजी से नहीं फैलता। यह कम फैलता है, लेकिन ज्‍यादा घातक है। टीबी का बैक्‍टेरिया रोग प्रतिरोधक क्षमता के हिसाब से व्‍यक्‍ति पर अटैक करता है। इसमें स्‍मोकिंग और ड्रिंक करने वालों के साथ ही जिनकी इम्‍यूनिटी कमजोर होती है उन्‍हें शिकार बनाता है। हेल्‍दी फूड, एक्‍सरसाइज और इम्‍यूनिटी बढ़ाने पर ध्‍यान दिया जाना चाहिए।

बच्‍चे, महिलाएं या बुजुर्ग किसे है टीबी से ज्‍यादा खतरा : डॉ तनय के मुताबिक पहले यह एक भ्रम था कि गरीब और पुअर सोशल इकोनॉमिक लोगों को ही टीबी होता है, लेकिन यह बच्‍चों, महिलाओं और बुर्जुगों के साथ ही किसी भी उम्र के व्‍यक्‍ति को हो सकती है। जिसका भी इम्‍यून रिस्‍पोन्‍स कम होता है उसे टीबी हो सकती है।

क्‍या है बचाव और इलाज : लक्षणों को पहचान कर तुरंत जांच करवाए। सामान्‍यतौर पर छह महीने के इलाज में टीबी ठीक हो सकता है। इलाज को बीच में न रोकें। पूरी दवाइयां लें। संक्रमण से दूसरे को बचाए। पूरी अहतियात बरतें। शासन एंड टीबी नाम से अभियान चला रहा है, उसके नियमों को फॉलो करें।

गरीबों के लिए योजनाएं : शासन गरीब लोगों के इलाज के लिए योजना चला रही है। इसमें इलाज पूरी तरह से निशुल्‍क होता है, दवाइयां भी दी जाती हैं। मरीज को कुछ भी खर्च नहीं करना है। बल्‍कि इलाज लेने वाले मरीज को शासन एक तय राशि भी देती है। अलग- अलग जिलों में यह राशि अलग- अलग है। हर महीने यह राशि मरीज के बैंक अकाउंट में जमा होती है। यह उसके आहार-पोषण और दवाइयों के लिए दी जाती है।

कैसे पहचाने टीबी के लक्षण : डॉ तनय जोशी ने बताया कि टीबी के लक्षणों को पहचानना बहुत आसान है। उनहोंने बताया कि अगर इस तरह के लक्षण दिखाई दे तो टीबी हो सकती है। चेस्ट एक्स-रे से लेकर सीटी स्कैन : टीबी का पता लगाने के लिए चेस्ट एक्स-रे सबसे प्रमुख डायग्नोसिस के रूप में किया जाता है। इसके अतिरिक्त कफ की जांच और सीटी स्कैन के बाद मरीज में टीबी होने के पूरे प्रमाण दिए जाते हैं। समय पर पता चलने पर टीबी रोग का इलाज किया जा सकता है। इसमें एंटीबायोटिक्स दी जाती है। इसे जड़ से खत्म करने के लिए इसका इलाज लंबा चलता है। सामान्य टीबी के मरीज को भारत सरकार से अधिकृत डॉट्स का इलाज दिया जाता है, जो छह महीने तक चलता है। वही सक्रिय टीबी के मामले में मरीजों को लगभग नौ महीने की अवधि तक के लिए दवाइयां खाना पड़ती है।

क्‍या है हकीकत : डब्लूएचओ के मुताबिक हर साल 16 लाख लोग टीबी की वजह से मरते है तो करीब 10 लाख नए लोग टीबी के मरीज के रूप में ग्रसित होते है। एक दशक से अधिक समय में पहली बार 2020 के बाद से टीबी से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी हुई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार वर्ष 2020 में लगभग 99 लाख तो 2021 में एक करोड़ से ज्यादा लोग टीबी के कारण बीमार पड़ गए। वर्ष 2000 से टीबी को समाप्त करने के लिये विश्व स्तर पर किये गए प्रयासों से साते सात करोड़ लोगों की जान बचाई गई है। दुनिया भर में कुल टीबी मामलों में भारत का हिस्सा लगभग 26 प्रतिशत है। यही वजह है कि वर्ल्‍ड टीबी डे दुनियाभर में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है।

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