गोदी कर्मचारियों की हड़ताल देश को बहुत महंगी पड़ सकती है

राम यादव
मंगलवार, 27 अगस्त 2024 (21:49 IST)
Dock workers strike from 28 August : भारत का समुद्री व्यापार इस समय एक नाज़ुक मोड़ पर है। 20,000 से अधिक बंदरगाह कर्मचारी 28 अगस्त से देशव्यापी हड़ताल करेंगे। वेतनवृद्धि, बकाया भुगतान और मौजूदा लाभों की सुरक्षा की मांगों से प्रेरित इस हड़ताल से भारत के उन व्यस्त बंदरगाहों के बाधित होने का ख़तरा है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
 
भारतीय अर्थव्यवस्था इस बीच समुद्री व्यापार पर बहुत अधिक निर्भर है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड/ UNCTAD) के अनुसार भारतीय बंदरगाहों ने 2022 में 20 फुट साइज़ की 1 करोड़ 97 लाख कंटेनर इकाइयों (TEU) को संभाला। गोदी कर्मचारियों की हड़ताल से भारतीय बंदरगाहों पर परिचालन पूरी तरह से ठप होने का ख़तरा है। देश के प्रमुख बंदरगाहों पर माल ढुलाई रुक जाने के कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
 
28 अगस्त से शुरू होने वाली हड़ताल यदि कई दिन या लंबी चली तो जहाजों पर माल लदाई और उतराई में देरी से आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) में बाधाएं पैदा होंगी। उन उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जो माल की समयबद्ध आवाजाही पर निर्भर रहा करते हैं।
 
भारत जैसे देश के लिए, जिसकी अर्थव्यवस्था इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर फ़ैशन तक की चीज़ों के निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर है, लंबे व्यवधान के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। उदाहरण के लिए 2021 में भारत ने अकेले सूचना और संचार तकनीक की 858 अरब डॉलर के बराबर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया। इससे पता चलता है कि वैश्विक व्यापार में भारत की कितनी बड़ी हिस्सेदारी बन चुकी है।
 
गोदी कर्मचारियों की 28 अगस्त से होने वाली देशव्यापी हड़ताल का असर खुदरा व्यापार, विनिर्माण और उन सभी उद्योगों पर पड़ेगा, जो तैयार और कच्चे माल के सतत प्रवाह पर निर्भर हैं। हड़ताल से कंपनियों को वैकल्पिक मार्गों या परिवहन के अन्य तरीकों का उपयोग करना पड़ेगा जिनसे लागत बढ़ेगी और अंतिम उत्पादों की कीमतें भी प्रभावित होंगी। इस तरह के व्यवधान के आर्थिक परिणाम दूरगामी हो सकते हैं: वे भारत के व्यापार संबंधों पर दबाव बन सकते हैं और वैश्विक बाजार में भारत की साख को भारी ठेस पहुंचा सकते हैं।
 
वैश्विक कंटेनर परिवहन में भारत की साख बनी रहना भारत की अपनी आर्थिक स्थिरता के लिए भी बहुत आवश्यक है। भारतीय बंदरगाहों द्वारा 2022 में संभाले गए 1 करोड़ 97 लाख कंटेनरों का आंकड़ा, चीन द्वारा उसी साल संभले गए 26 करोड़ 90 लाख कंटेनरों के आंकड़े के आगे बहुत कम है। चीन ही एशियाई समुद्री व्यापार के क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी है। उदाहरण के लिए अन्य महत्वपूर्ण खिलाड़ी देश हैं, 6 करोड़ 20 लाख कंटेनरों के साथ अमेरिका और 2 करोड़ कंटेनरों के साथ संयुक्त अरब अमीरात।
 
गोदी कर्मचारियों की आसन्न हड़ताल केवल एक श्रमिक मुद्दे से कहीं अधिक है। यह समुद्री व्यापार पर निर्भर भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है। भारत के खुदरा विक्रेताओं और निर्माताओं को अपने कारोबार में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भर क्षेत्रों को व्यवधान का खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है।
 
हड़ताल लंबी चलने पर लंबी देरी की संभावना के कारण कंपनियों को अपने आयात-निर्यात के लिए नए विकल्प तलाशने पड़ सकते हैं। परिणामस्वरूप लॉजिस्टिक लागत बढ़ जाने से उपभोक्ताओं के लिए क़ीमतें बढ़ सकती हैं। इसके अतिरिक्तवैश्विक व्यापार समुदाय, संभावित देरी से बचने के लिए अन्य बंदरगाहों के उपयोग पर विचार करना शुरू कर सकता है, जो वैश्विक व्यापार बाजार में भारत की भावी हिस्सेदारी को प्रभावित करेगा।
 
इस तरह के हर बदलाव के ऐसे स्थायी प्रभाव हो सकते हैं जिनसे भारत के आर्थिक लचीलेपन और चीन जैसी प्रमुख समुद्री शक्तियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की उसकी क्षमता को आंच पहुंच सकती है। एक ऐसे क्षेत्र में, जहां समुद्री व्यापार अत्यधिक प्रतिस्पर्धी है, कोई भी दीर्घकालिक व्यवधान शक्ति संतुलन को बदलने के लिए काफ़ी है।
 
यह मानकर चला जा सकता है कि चीन ऐसी किसी भी कमज़ोरी का भरपूर फायदा उठाने से चूकेगा नहीं। भारत के सरकारी अधिकारियों को ही नहीं, गोदी कर्मचारियों की हड़ताल का आह्वान करने वाले श्रमिक संगठनों के नेताओं को भी सोचना चाहिए कि श्रमिकों के लिए हितकारी हड़ताल कहीं देश के लिए अहितकारी न बन जाए।

Edited by: Ravindra Gupta

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