अफ्रीका। रूस-यूक्रेन के बीच पिछले कई महीनों से भीषण युद्ध जारी है। दोनों ओर से लाखों लोग अपनी जानें गवा चुके हैं। इसके अलावा चीन-ताइवान के मध्य भी सीमा विवाद को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। इसी बीच अफ्रीका से भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। इस महाद्वीप के दो देशों (सूडान और इथियोपिया) के बीच साझा सीमा से जुड़े सालों पुराने विवाद को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। बीते महीने में कई बार दोनों देशों के सैनिक सीमा पर आमने सामने हो चुके हैं। बात इतनी बढ़ गई कि अफ्रीकन यूनियन ने दोनों देशों से शांति बनाए रखने की अपील की है। विस्तार से जानते है विवाद की वजह और इस मामले की गहराई के बारे में ....
क्या है विवाद की वजह?
अफ्रीका का नक्शा देखने पर आपको नीचे की ओर दो देश दिखाई देंगे - सूडान और इथियोपिया। इन दोनों देशों के बीच एक बॉर्डर है, जिसकी लंबाई 700 किलोमीटर है। इसी सीमा के निर्धारण को लेकर दोनों देशों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। इस विवाद की मुख्य वजह जमीन का एक छोटा-सा टुकड़ा है, जिसे दोनों देश अपना मानने का दावा कर रहे हैं। इस टुकड़े को सूडान 'अल-फशका' कहता है जबकि इथियोपिया इसे 'अल-फशगा' कहता है।
इन दोनों देशों के बीच साल 1902 में एक संधि हुई थी, जिसमें यह तय किया गया था कि ये इलाका सूडान का है। लेकिन, बाद के कुछ वर्षों में भूमि के इस टुकड़े पर धीरे-धीरे अमेरिका के कुछ लोग बसने लगे। ये लोग सूडान की भूमि पर रहते हुए भी इथियोपिया को ही टैक्स चुकाते थे। बस यहीं से विवाद शुरू हुआ और सूडान ने मांग उठाई की जल्द से जल्द ये लोग जमीन खाली कर दें। वहीं इथियोपिया की सरकार का कहना है कि सुडान हमारे नागरिकों पर शोषण कर रहा है।
बात पहुंची साल 2008 में, जब इन दोनों देशों के बीच एक और समझौता हुआ, जिसमें ये तय हुआ कि सूडान की जमीन पर रहने वाले इथियोपिया के लोग जहां हैं, वहीं रह सकते हैं। इसके बदले में इथियोपिया 'अल-फशका' को सुडान का हिस्सा मान लेगा। इस समझौते के दौरान इथियोपिया में TPLF नामक संगठन की सरकार थी, जिसके रहते सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन 2018 में इथियोपिया में तख्तापलट हुआ। जैसे ही देश में नई सरकार आई, अल-फशका के लोगों ने आवाज उठानी शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि 2008 का समझौता हमारी इच्छा के विरुद्ध था।
अल फशका के लोगों द्वारा उठाई गई इस आवाज ने हिंसक रूप लिया, जिसके बाद सूडान की सेना ने हथियारों के दम पर अल-फशका के लोगों से इलाका खाली करवा लिया। इससे विवाद और बढ़ गया। दोनों देश जमीन के इस टुकड़े को अपना मान रहे थे। 2020 में एक बार फिर दोनों देश बातचीत के लिए आमने-सामने आए। यह तय हुआ कि आने वाले कुछ महीनों में मुद्दे को बातचीत से सुलझा लिया जाएगा। लेकिन इस मामले पर कोई साझा निर्णय हो पाता उसके पहले एक और बड़ी घटना हो गई।
8 लोगों की हत्या के बाद से फिर गरमाया माहौल:
22 जून 2022 को सूडान के 7 सैनिकों और एक नागरिक का अपहरण किया गया, जिसके बाद उनकी हत्या की गई और उनकी लाशों को खुले में टांग दिया गया। सुडान का आरोप है कि इन हत्याओं के लिए इथियोपिया की सेना जिम्मेदार है। इस आरोप को सिरे से नकारते हुए इथियोपिया ने कहा कि सुडान की सेना हमारे इलाके में घुसी, जहां उनकी मुठभेड़ लोकल गैंग के कुछ लोगों से हुई। सूडान इस बयान से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने 28 जून को कथित तौर पर इथियोपिया पर हमला किया। सूडान ने ये भी दावा किया कि उसने इथियोपिया की कब्जे वाली जमीन का एक हिस्सा छीन लिया है। इथियोपिया का कहना है कि सूडान गैर-कानूनी ढंग से हमारे इलाकों पर कब्जा जमाना चाहता है।
अफ्रीकन यूनियन ने की शांति बनाए रखने की अपील:
हाल ही में दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए अफ्रीकन यूनियन ने दोनों देशों से शांति बनाए रखने की अपील की है। यूनियन का कहना है कि दोनों देश संयम बरतें और बातचीत का सहारा लें। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के बाद से दोनों देश आर्थिक तंगी, गृहयुद्ध, लोकतांत्रिक अव्यवस्था जैसी कई कठिनाइयों से गुजर रहे हैं। इसलिए जरा सा मुद्दा भी भीषण युद्ध का रूप ले सकता है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार सूडान अभी भी हमले की तैयारियां कर रहा है। इथियोपिया बॉर्डर से सटे इलाकों में सूडान के फाइटर विमानों को चक्कर लगाते देखा गया है।