दोस्ती की आस

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कई बातें हमारी स्मृति में हमेशा जवाँ रहती है। हम चाहकर भी कुछेक पल जो हमने कभी अपने बचपन में परिवारवालों के साथ बिताएँ हो वे पल हमें हमेशा याद रहते है। लेकिन इन सबसे प्यारे कभी न भूलने वाले वो पल जो आपने प्यारी सह‍ेलियों के साथ बिताए हो उन्हें अपने दिलो-दिमाग से जुदा कर पाना बहुत मुश्किल होता है।

बचपन की वो बीती बातें, आस-पड़ोस की सहेलियों के साथ, स्कूल की फ्रेंड्‍स के साथ बिताएँ गए लड़ते-झगड़ते वो पल, एक-दूसरों की चीजों पर जोर आजमाइश करते हुए की गई मटरगश्ती जब आपको सताते है, तो लगता है बस खाली पलों में उन बातों के अतीत में होकर उन्हें अपनी उड़ान की स्मृतियों में भर कर उन दोस्तों से वापस मिल आओ। लेकिन कई बार इंसान परिस्थितिवश मजबूर हो जाता है और सिर्फ ‍इस चाहत को अपने दिलो-दिमाग में ‍ताजा कर सकता है।

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दोस्ती के वे किस्से आपको अपनी उस गहरी दोस्ती का अहसास कराते है, जैसे एक पल के लिए लगता है उड़ कर चले जाएँ उस जगह, जहाँ पर आपकी दोस्ती की यादें बसी हुई है।

लेकिन सोचना जितना आसान होता है उतना करना आसान नहीं होता। वरना अपने पैरों में पंख लगाकर उड़ जाता हर कोई और मिल आते अपने प्यारे-प्यारे उन दोस्तों से जिनसे मिलने की आस दिल में हमेशा से बाकी है। जिनसे कई लंबे अर्सो से मिलना संभव नहीं हो पाया है।

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