नई दिल्ली, सरकार ने कहा है कि तीसरी पीढ़ी की मोबाइल सेवा (3जी) के लिए रेडियो तरंगों की नीलामी से देश के तेजी से बढ़ते दूरसंचार क्षेत्र में विदेशी खिलाड़ियों के लिए द्वार खुल सकेगा।
संसद में आज पेश 2009-10 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘3जी की नीलामी से वर्तमान आपरेटरों को अच्छा मौका मिलेगा और साथ ही इससे विदेशी खिलाड़ियों के भारत में प्रवेश का रास्ता भी खुलेगा। वे नई तकनीक और नवीनता ला सकेंगे।’ फिलहाल प्रत्येक खेल में खिलाड़ियों की सीमा पर पाबंदी नहीं है। लेकिन 3जी सेवा के तहत सरकार प्रत्येक खेल में तीन से चार खिलाड़ियों को अनुमति देने की योजना बना रही है। एक खेल में कितनी कंपनियों को अनुमति दी जाएगी, यह स्पेक्ट्रम की उपलब्धता पर निर्भर करेगा।
3जी तथा ब्राडबैंड वायरलेस एक्सेस (बीडब्ल्यूए) स्पेक्ट्रम की नीलामी 9 अप्रैल को की जानी है। इससे पहले सरकार ने संकेत दिया था कि इच्छुक विदेशी कंपनियां नीलामी में सीधे भाग ले सकती हैं।
समीक्षा में कहा गया है कि बीडब्ल्यूए सेवाओं के बाद देश में ब्राडबैंड की पहुँच बढ़ेगी। दिसंबर, 2009 को देश में ब्राडबैंड ग्राहकों की संख्या 79.8 लाख थी। समीक्षा में कहा गया है कि देश में वायरलेस मोबाइल टेलीफोनी का विस्तार ‘शानदार’ रहा है।
समीक्षा में कहा गया है कि 11वीं योजना के अंत तक 60 करोड़ ग्राहकों का लक्ष्य 2012 के अंत से पहले ही हासिल हो जाएगा। अक्तूबर, 2009 के अंत तक देश में कुल फोन ग्राहकों की संख्या 56. 2 करोड़ थी। 2004 से देश में मोबाइल कनेक्शनों की संख्या में सालाना 60 फीसद की दर से इजाफा दर्ज हुआ है। वहीं दूसरी ओर वायरलाइन या फिक्स्ड फोन कनेक्शनों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है।
दूरसंचार क्षेत्र की पहुँच का आईना यानी फोन घनत्व मार्च, 2009 के 37 प्रतिशत से बढ़कर दिसंबर, 2009 में 47.9 फीसद हो गया है। दिसंबर, 2009 के अंत तक शहरी फोन घनत्व जहाँ 110.7 प्रतिशत के पार हो गया है, वहीं ग्रामीण इलाकों में फोन घनत्व 21.2 प्रतिशत है।
समीक्षा में 11वीं योजना के अंत तक ग्रामीण इलाकों में 20 करोड़ कनेक्शनों के साथ ग्रामीण फोन घनत्व को 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है। दूरसंचार विनिर्माण के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि सकारात्मक कारणों मसलन बेहतर नीतियों, शोध एवं विकास में योग्यता के पूल और कम श्रम लागत से देश में इस क्षेत्र को बढ़ावा मिल सकता है।
देश में दूरसंचार उपकरणों का उत्पादन 2009-10 में बढ़कर 57,584 करोड़ रुपए पर पहुँच गया है। 2008-09 में यह आँकड़ा 48,800 करोड़ रुपए रहा था। (भाषा)