कुमार विश्वास यहां एक पर्चा बांट रहे हैं। पर्चे में अरविंद केजरीवाल ने कुमार विश्वास के पक्ष में अपील की है। इसमें लिखा है कि हमने कुमार से कहा था दिल्ली की किसी सीट से लड़ लो, आसान रहेगा, मगर वो कवि ही क्या, जो लीक छोड़कर न चले। कुमार विश्वास की यह तारीफ सच्ची है।
फिर अरविंद लिखते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग में शामिल होने के लिए कुमार ने नौकरी छोड़ दी, कवि सम्मेलन छोड़ दिए। इसमें भी कुछ गलत नहीं। मगर पता नहीं किस सर्वे के आधार पर अरविंद ने कुमार विश्वास को टैगोर के बाद सबसे लोकप्रिय भारतीय कवि करार दिया है। यह बात गले से उतरना तो दूर मुंह में ही नहीं रखते बनती। खुद कुमार को यह लाइन कटवा देनी थी।
पागल है, पर इतना भी नहीं : गौरीगंज भाजपा कार्यालय से आ रही देसी घी के लड्डुओं की गंध जब उस भूखे और अधपगले भिखारी को लगी तो उसने आम आदमी पार्टी की टोपी उतारी और चला गया अंदर। जाहिर है अंदर उसकी दाल नहीं गली। कार्यकर्ताओं ने टरका दिया।
भिखारी बाहर आया, गाली दी और जेब से आम आदमी पार्टी की टोपी निकालकर फिर पहन ली। यानी मैं इतना पागल भी नहीं कि भाजपा के दफ्तर में खाना मांगने आम आदमी पार्टी की टोपी लगा कर जाऊं और न मिलने पर टोपी लगाना भूल जाऊं। अब तो और ठसके से लगाऊंगा।