World Oceans Day 2023 : समुद्र के बारे में वे बातें जो आप नहीं जानते

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समुद्र, समंदर, सागर, पयोधि, उदधि, पारावार, नदीश, जलधि, सिंधु, रत्नाकर, वारिधि जैसे कई नामों से पुकारी जाने वाली यह विशाल जलराशि सभी को आकर्षित करती है।प्रतिवर्ष 8 जून को 'विश्व महासागर दिवस' मनाया जाता है। अंग्रेजी में इसे सी (sea) और महासागर को ओशियन (ocean) कहते हैं। पृथ्वी का 70 प्रतिशत भाग महासागरों से घिरा है। इन्हीं अपार जल भंडार के कारण पृथ्वी को 'नीला गृह' भी कहा जाता है। पृथ्वी का वह भाग, जो विशाल जलराशि (लवणीय जल) से घिरा हुआ है, महासागर कहलाता है। 
 
कैसे आरंभ हुआ
वर्ष 1992 में ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेरियो में एक ग्लोबल फोरम का आयोजन हुआ जो संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण एवं विकास सम्मेलन के सामानांतर था। इसमें ही 8 जून को वैश्विक स्तर पर महासागर दिवस मानाने का प्रस्ताव लाया गया। वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प लिया और इस दिवस को 'विश्व महासागर दिवस' नामित किया गया।
क्या है मूल उद्देश्य
इस दिवस को मानाने का मूल उद्देश्य लोगों को महासागर की भूमिका से अवगत करना है। साथ ही समुद्री जीवों के संरक्षण, मानवों के द्वारा बर्बाद की जा रही समुद्री दुनिया के प्रति सूचनाएं और जागरूकता अभियान और प्रकृति को बचाने के एक विश्वव्यापी आंदोलन के लिए प्रेरित करना है।
 
मुख्यत: 5 महासागर हैं धरती पर : प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिन्द महासागर, आर्कटिक महासागर तथा दक्षिणी महासागर कुल 5 महासागर हैं। प्रशांत महासागर तथा अटलांटिक महासागर का विस्तार उत्तरी गोलार्द्ध तथा दक्षिणी गोलार्द्ध दोनों जगह है इसलिए भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित उत्तरी प्रशांत महासागर तथा दक्षिण में स्थित दक्षिणी प्रशांत महासागर स्थित हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर 7 महासागर या 7 समंदर हैं। उल्लेखनीय है कि अंटार्कटिका में बर्फीली जमीन के अंदर 400 से ज्यादा झीलें हैं।
 
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि समुद्र का जन्म आज से लगभग पचास करोड़ से 100 करोड़ वर्षों के बीच हुआ होगा। दरअसल, धरती के विशालकाय गड्ढ़े पानी से कैसे भर गए यह अनुमान लगाना मुश्किल है। दूसरी ओर इतने विशालकाय गड्‍ढे कैसे निर्मित हुए यह भी एक बड़ा सवाल है।
 
समुद्र की लहरें 3 तरह से पैदा होती हैं। पहली समुद्र की सतह पर बहने वाली हवा, दूसरी चंद्रमा के कारण उत्पन्न हुआ ज्वार और तीसरी समुद्र के भीतर कहीं आया भूकंप। सभी सागरों की गहराई अलग-अलग मानी गई है। हालांकि महासागरों की गहराई का रहस्य अभी भी बरकरार है। समुद्र की गहराई बेहद ठंडी, अंधेरी होती है और कभी-कभी तो ज्यादा दबाव के कारण यहां ऑक्सीजन भी काफी कम हो जाती है।

समुद्री जीव 2 प्रकार के होते हैं- पौधे तथा प्राणी। समुद्री जीवन धरती की अपेक्षा कहीं ज्यादा विचित्र और रहस्यों से भरा है। यहां एक और जहां विशालकाय व्हेल है तो दूसरी और आंखों से न दिखाई देने वाली मछलियां या जीव भी अपना जीवन जी रहे हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ब्लू व्हेल की जीभ का वजन ही हाथी के बराबर है। महासागर में मौजूद सबसे छोटा जीव प्लैंकटन है।
 
सागर दुनियाभर के लोगों के लिए भोजन, मुख्य रूप से मछली उपलब्ध कराता है किंतु इसके साथ ही यह कस्तूरों, सागरीय स्तनधारी जीवों और सागरीय शैवाल की भी पर्याप्त आपूर्ति करता है। इनमें से कुछ को मछुआरों द्वारा पकड़ा जाता है तो कुछ की खेती पानी के भीतर की जाती है। इसके अलावा समुद्र के भीतर शंख, मोदी, मूंगा, तेल, गैस, सीपी, शैवाल, मछली आदि हजारों ऐसी वस्तुएं पाई जाती है जिसका मानव दोहन करता है।
 
समुद्र की गुफाएं समुद्री लहरों, भूकंपों और ज्वालामुखी के कारण बनती हैं। समुद्र में हजारों तरह की सुरंगें हैं। ये समुद्री सुरंगें पानी से भरी हुई हैं। इन्हीं में से एक है मैक्सिको में। इन सुरंगों का पानी इतना साफ होता है कि गोताखोर पूरी सुरंग का मजा ले सकते हैं।
 
समूची पृथ्वी पर पाए जाने वाले पर्वतीय श्रृंखलाओं में से एक है 70 हजार किलोमीटर लंबे समुद्र के भीतर का पर्वतनुमा क्षेत्र। समूचे समुद्र में ऐसे करीब 1 लाख बड़े पर्वतनुमा क्षेत्र हैं। धरती पर सबसे ऊंचा पर्वत माउंट एवरेस्ट है, जो नेपाल-भारत-तिब्बत सीमा पर है और इसकी चोटी समुद्र तल (लेवल) से 8,850 मीटर ऊंची है। लेकिन समुद्र के भीतर इससे भी ऊंचा एक पर्वत है जिसे मौना कीआ माउंटेन कहते हैं।
 
प्रत्येक समुद्र की आवाज अलग होती है। प्रशांत महासागर को अपेक्षाकृत शांत माना जाता है तो हिन्द महासागर को अशांत। कहीं-कहीं समुद्र की चिंघाड़ती हुई आवाज होती है, तो कहीं पर किसी वाद्य यंत्र के बजने जैसी। कहीं पर सांय-सांय, तो कहीं पर हवा का इतना जोर होता है कि हू-हू जैसी आवाज उत्पन्न होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार हर समुद्र की आवाज के पीछे कुछ कारण होता है। यह आवाज समुद्र की पहचान होती है।

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