किशोरी अमोनकर का निधन, अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

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वंदना दवे भोपाल
श्रद्धा सुमन : बरसों की तपस्या के बाद एक किशोरी अमोनकर बनती है। दुर्भाग्य से हम उस ताप का अनुभव भी नहीं कर सकते, क्योंकि इसके लिए भी समझ व धैर्यता की आवश्यकता होती है, जो बहुत कम लोगों में होती है। ये लोग अपना पूरा जीवन सुरों को साधने में लगा देते हैं और एक साधारण सी ध्वनि को नाद ब्रह्म में तब्दील कर देते हैं। इनकी साधना से उत्पन्न इस नाद को हम सुनने मात्र से उस अलौकिक जगत का भ्रमण कर लेते हैं। निश्चित ही इन साधकों की यात्रा का अनुभव इनके लिए अशब्दनीय हो जाता होगा। किशोरी ताई का जाना हिन्दुस्तान की बहुत बड़ी क्षति है। अश्रुपूरित श्रद्धांजलि। 
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