‘मैं जो हूं जॉन एलिया हूं’ का आयोजन हुआ

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विश्व पुस्तक मेले में दिनांक 12/01/2017 को वाणी प्रकाशन के स्टॉल हॉल 12 ए (277-288) पर ‘दास्तां कहते-कहते’ शृंखला में से एक ‘मैं जो हूं जॉन एलिया हूं’ एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें इस शृंखला के सम्पादक और प्रसिद्ध कवि डॉ. कुमार विश्वास मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। 


 
हिन्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय और चर्चित गजल सीरीज दास्तां कहते-कहते की नवीनतम पुस्तक है ‘मैं जो हूं जॉन एलिया हूं’। ‘दास्तां कहते कहते’ वाणी प्रकाशन की अत्यंत महत्त्वपूर्ण और लोकप्रिय प्रकाशन श्रृंखला है जिसमें नए और पुराने के साथ-साथ वरिष्ठ और नामचीन शायर और गजलकारों को पहली बार बहुत आकर्षक और नए कलेवर में प्रस्तुत किया गया है। 
 
इस सीरीज की ‘मैं जो हूं जॉन एलिया हूं, के अलावा प्रताप सोमवंशी ‘इतवार छोटा पड़ गया’ मुनीर नियाजी की ‘देर कर देता हूं मैं’ और हरिओम की ‘ख़्वाबों की हंसी’ का प्रकाशन किया जा चुका है। शीन काफ निजाम और कुमार विश्वास ने जॉन एलिया और मुनीर नियाजी की गजलों के लिप्यंतरण और संपादन का कार्य किया है। वाणी प्रकाशन इस शृंखला को आगे बढाते हुए इसके तहत अन्य समकालीन शायर और गजलकारों की पुस्तकें भी शीघ्र ही प्रकाशित कर रहा है। दास्तां कहते-कहते की इसी कड़ी में प्रस्तुत है ‘मैं जो हूं जॉन एलिया हूं’।    
 
कार्यक्रम की शुरुआत में संदीप भूतोरिया ने कुमार विश्वास का पुष्प-गुच्छ के साथ स्वागत किया। कार्यक्रम में बोलते हुए कुमार विश्वास ने कहा कि बचपन मेरे पास पुस्तक खरीदने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए मैं प्रकाशकों के ‘केटलॉग’ ले जाकर ही पढ़ता था। श्रोताओं की मांग पर कुमार विश्वास ने शुरुआत में जॉन एलिया की दस-पंद्रह गज़लें पढ़कर कर सुनाई। दर्शकों की भीड़ देखने लायक थी। लेकिन कुमार विश्वास ने शांति बनाए रखना का अनुरोध किया तब कहीं जाकर कार्यक्रम में स्थिरता देखने को मिली। जैसे-जैसे कुमार विश्वास ने गज़लें पढ़ना शुरू किया, दर्शकों का उत्साह बढ़ता जा रहा था। संदीप जी की पुस्तक ‘माई लाइफ माइ ट्रैवल्स’ पर बोलते हुए कुमार विश्वास ने कहा कि आज लेखक लिखने पर कम ध्यान देते हैं, और फोटो खिचवाने में ज्यादा व्यस्त रहते हैं लेकिन संदीप भूतोरिया ने अपनी किताब में अपने लेखन को जिया है और उसे नए शब्द दिए हैं। यह काबिल-ए-तारीफ़ है। 
 
अपनी जीवन-यात्रा के बारे में बोलते हुए कुमार विश्वास ने बताया कि उनके जीवन में शुरू में कुछ भी योजनाबद्ध तरीके से नहीं हुआ। जैसे एक आम आदमी को अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है वैसे ही मुझे भी अपने जीवन में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी। ठीक वैसा ही संघर्ष संदीप जी की किताब में भी है। संदीप जी की पुस्तक में जिस संघर्ष को उन्होंने जिया है वह प्रेरणास्रोत है। कुमार ने कहा कि संदीप के शब्दों में गजब की ताकत है, उनके शब्द आपको बांधे रखते हैं। कुमार जी के आग्रह पर संदीप जी ने भी अपने जीवन के कुछ किस्से दर्शकों के साथ साझा किए। 
 
इस कार्यक्रम के अंत में कुमार विश्वास ने उन सभी पाठकों की पुस्तकों पर हस्ताक्षर किए जिन्होंने ‘मैं जो हूं जॉन एलिया हूं’ खरीदी। और सभी के साथ बाते करते हुए जीवन में आगे बढ़ने, संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। दर्शकों के प्यार के लिए कुमार जी ने सभी को शुक्रिया कहा। और कार्यक्रम से विदा ली। इस प्रकार एक सफल कार्यक्रम का समापन हुआ। 
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