रातभर मुझको नींद ही आती नहीं गीत सुंदर सा कोयल सुनाती नहीं मेरे भारत की हालत कहाँ जाएगी पूछने पर मेरी माँ बताती नहीं रातभर मुझको नींद ही आती नहीं
कश्मीर में रोज हिंदू मरते रहे, ज़ख्म अपनों के हम रोज भरते रहे देश में रह विदेशों की तारीफें अपने लोगों के मुँह से ही सुनते रहे कब तलक चलेगा सिलसिला इस तरह सरकार देश की बताती नहीं रातभर मुझको नींद ही आती नहीं
कोई नंगा यहाँ कोई भूखा खड़ा, बाढ़ में कुछ मरे कहीं सूखा पड़ा कहीं पानी नहीं कहीं समंदर भरे, कोई तर माल में कोई रुखा पड़ा ये ऊँच-नीच की दीवारें कब टूटेगीं, अर्थनीति हमें ये बताती नहीं रातभर मुझको नींद ही आती नहीं
वीर शिवा, राणा, दुर्गा की हमने सुनी कहानी , इस धरती की खातिर दी अनेक ने कुर्बानी उसी देश में करते जो अपमान सरस्वती माता का कैसे कहेंगे अपने को िक वे हैं हिंदुस्तानी इन भ्रष्ट बुद्धि को सद्बुद्धि कब आएगी माँ शारदे मुझे ये बताती नहीं रातभर मुझको नींद ही आती नहीं
अंत में मेरी माँ ने मुझसे कहा कि अब जवानों के कंधों पर सब भार है, वे ही इस देश के तारण हार हैं, भ्रष्टाचारों और गद्दारों से मुक्त करने का तुम पर ही सब भार है, तुमसे ही सुनहरा बनेगा ये भारत माँ मेरी दिनभर ये बताती रही. माँ मेरी दिनभर ये बताती रही।