वो एक लाल किताब थीजिसका रंग था लालउसके पन्नों पर स्याही से छपा था जो कुछउसे हमेशा जाना गया लालमूल नाम उसका कुछ और थापर लाल किताब ही नाम उसका चल पड़ाऔर जिस आदमी की लिखी वह बताई गईयक़ीनन लालों में एक लाल था पर वह उसकाअस्ल बनाने वाला न था उसके कथनों और वजनों के हुजूम से चुनकरकिसी ने एक गुलदस्ता बनायाबड़ा रंग बिरंगा पर यार लोगों ने कहा अहा क्या छटा है लाल रंग की कितने रंग हैं लाल रंग मेंकैसी अच्छी सी बन गई है यह लाल किताबकि सारी किताबें इसके आगे फीकी हैंदरअसल ये आ गई है असली किताबों कीएक किताब लाल लालचीन देश भी एक लाल देश था
बिना लाल के वह लाल चीन न होता
बहुत सी बातें हैं बड़े विवाद हैं इसको लेकर
ये क्या कहते हो यह कब की बात है -
कोई कुछ कहता है कोई कुछ
पर एक बात अपनी जगह है चीन देश
एक लाल देश था।
साभार : पहल