Pradosh vrat june 2023 : क्यों करते हैं प्रदोष का व्रत?

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धार्मिक मान्यता के अनुसार वर्षभर के हर महीने में 2 बार प्रदोष व्रत (Pradosh vrat) पड़ता है, एक शुक्ल और दूसरा कृष्ण पक्ष में। यह व्रत द्वादशी, त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। यदि आपके जीवन में समस्याएं बनी हुई है, आप घोर संकट से घिर गए हैं तो आपको भगवान भोलेनाथ की शरण में जाकर उनको प्रसन्न करने के जतन करना चाहिए तथा इसके लिए आपको शिव जी का प्रिय प्रदोष व्रत रखकर प्रदोष काल में उनका पूजन करना चाहिए। 
 
इस दिन कोई भी जातक पूर्ण श्रद्धापूर्वक यदि शिव जी का पूजन-अर्चन करते हैं तो जातक के सभी कष्‍ट और परेशानियां निश्चित ही दूर होते हैं तथा इस व्रत में प्रदोष काल में आरती एवं पूजा होती है। संध्या के समय जब सूर्य अस्त हो रहा होता है एवं रात्रि का आगमन हो रहा होता है, उस प्रहार को प्रदोष काल कहा जाता है।
 
इस व्रत को करने से शिव प्रसन्न होते हैं तथा व्रतधारी को सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति करवाने के साथ ही पुत्र प्राप्ति का वरदान भी देते हैं। इसके साथ ही अगर किसी खास दिन यह व्रत आता है तो उस दिन से संबंधित देवता का पूजन करना लाभकारी माना गया है। बता दें कि प्रदोष का दिन भगवान शिव का माना गया है, क्योंकि प्रदोष भगवान शिव का दिन होता है। 
 
प्रदोष व्रत की पूजा सायं 4.30 से शाम 7.00 बजे के बीच की जाती है। अत: त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से 3 घड़ी पूर्व शिव जी का पूजन करना चाहिए। मान्यतानुसार प्रदोष काल में शिव जी साक्षात शिवलिंग पर अवतरित होते हैं और अत: इस समय शिव का स्मरण करके उनका पूजन किया जाए तो जीवन में उत्तम फल प्राप्त होते है। इसके साथ ही प्रदोष के दिन पड़ने वाले वार के अनुसार उस देवी-देवता का पूजन करना भी लाभदायी माना गया है। 
 
प्रदोष व्रत अतिमहत्वपूर्ण दिन माना गया है, अत: इस दिन शिव जी की विशेष पूजा-आराधना करने तथा शिव जी के मंत्रों या 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जाप करने से उत्तम फल प्राप्त होते है।

बता दें कि जीवन में हर तरह की सफलता के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। जो मनुष्य प्रदोष व्रत करता है, उसे जीवन में कभी भी संकटों का सामना नहीं करना पड़ता है। यह व्रत शत्रु तथा खतरों का विनाश करता है तथा जीवन में हमेशा धन-समृद्धि बनी रहती है। इस व्रत से चंद्र दोष से मिलने वाले खराब प्रभाव भी दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। इतना ही नहीं पितृ देव प्रसन्न होकर अपना आशीष बरसाते हैं।   
 
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Pradosh Vrat 
 

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