कब्रगाहों से कमाई करेगा डार्क टूरिज्म

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पर्यटन मंत्रालय ने डार्क टूरिज्म को बढ़ावा देने एवं विदेशी पर्यटकों की शहर तक आमद सुगम बनाने के लिए टूर एवं ट्रैवल एजेंसियों की मदद ली है। इन टूर एवं ट्रैवल एजेंसियों ने अपने टूर पैकेज में ग्वालियर एवं आसपास स्थित ब्रिटिशर्स से जुड़ी इन ऐतिहासिक महत्व की कब्रगाहों को शामिल किया है।

इस अनोखी टूरिस्ट स्कीम के माध्यम से विदेशी पर्यटक अपने दादा-परदादाओं की सिमिट्रीज यानी कब्रगाहों को देखने के लिए ग्वालियर आते हैं एवं ईसाई मिशनरीज व गिरिजाघरों में उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

विदेशी पर्यटकों ने इसमें गहरी रुचि दिखाई है एवं मप्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा सुनिर्धारित योजना के तहत सभी संबद्ध एजेंसियों से मिले सहयोग के चलते डार्क टूरिज्म का यह व्यवसाय खूब चलने लगा है।

सन 1857 की क्रांति के डेढ़ सौ वर्ष पूर्ण होने पर भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने यह योजना बनाई थी। देश में जिन स्थानों पर यह पुरा संपदा बिखरी पड़ी है, उन विशिष्ट स्थानों को जोड़ते हुए विदेशी पर्यटकों की सुविधानुसार रूट चार्ट बनाए गए हैं। इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्वालियर, आगरा, कानपुर, झांसी व मेरठ का रूट है।

गौरतलब है कि 1857 की क्रांति में यही शहर सर्वाधिक प्रभावित हुए थे। जहां भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के हाथों सैकड़ों अंग्रेज अफसर व सिपाही मारे गए थे। इस रूट में मप्र से अकेला ग्वालियर शहर शामिल है। ग्वालियर में डार्क टूरिज्म की स्कीम मप्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय के जरिए अमल में लाई गई है।

ग्वालियर में 1857 की क्रांति के समय की ऐसी अनेक ब्रिटिश कब्रगाहें एवं ऐसे ही अन्य दूसरे स्थल हैं, जिनकी ओर अंगेजी पर्यटकों के साथ फ्रांस के पर्यटक खिंचे चले आ रहे हैं। गूजरी महल म्यूजियम के पीछे विशाल परिसर में ब्रिटिश अधिकारियों की कब्रगाह (सिमिट्री) स्थित है, जिसकी पुरातत्व विभाग ने लाखों खर्च कर साज-सज्जा कराई है। मुरार में जड़ेरूआ रोड पर स्थित करीब पौने दो सौ वर्ष पुराने चर्च परिसर में भी 1857 के समय की ऐसी ही एक ब्रिटिश कब्रगाह बनी हुई है।

लंदन, बर्मिंघम, लंकाशायर, वेल्स, आयरलैंड आदि स्थानों से आने वाले अंग्रेज पर्यटक मुरार छावनी स्थित उन ब्रिटिश बंगलों एवं सर्वेंट बंगलों को देखना चाहते हैं, जो वर्तमान में भारतीय सेना के अफसरों के बंगलों में बदल गए हैं। क्रांति के समय वहां कई ब्रिटिश अफसर व सैनिक डेरा डाले हुए थे। क्रांतिकारियों के हाथों मारे गए इन्हीं अंग्रेज अफसरों और सैनिकों की कब्रें मुरार चर्च स्थित सिमिट्री में बनी हुई हैं।

क्या करती हैं टूर-ट्रैवल एजेंसियां :
पर्यटन मंत्रालय ने डार्क टूरिज्म स्कीम का लाभ उठाने के लिए विदेशी पर्यटक शहर की टूर एवं ट्रैवल एजेंसियों के संपर्क में रहते हैं। वे इन एजेंसियों को अपने पूर्वजों की डेथ डेट व स्थान का पता बता देते हैं। ट्रैवल एजेंट उनके पूर्वजों की सिमिट्रीज को खोजकर अपना पैकेज उन्हें इंटरनेट के माध्यम से भेज देते हैं। इसी पैकेज के अनुरूप विदेशी पर्यटक शहर में आकर अपने पूर्वजों की कब्रगाहों पर आते हैं और वहां श्रद्धा अर्पण करते हैं।

सिमिट्री एसोसिएशन गठित :
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विदेशी पर्यटकों ने अपने पूर्वजों की सिमिट्री की देखभाल एवं साफ-सफाई के लिए भारत में एक ऐसी संस्था भी बनाई है। 'सिमिट्री एसोसिएशन ऑफ इंडिया' नाम की इस संस्था में विदेशियों द्वारा जमा किए गए फंड से ऐसी सिमिट्री एवं ग्रेबियार्ड की देखरेख की जाती है। मुरार चर्च स्थित ब्रिटिश कब्रगाह की बाउंड्री व गेट के निर्माण सहित अन्य संरक्षण कार्य इसी फंड से हुए हैं।

पूर्वजों की विरासत :
चौंसठ वर्ष पूर्व ब्रिटिश दासता से मुक्त हुए हम भारतवासियों के लिए इन सिमिट्री व ग्रेबियार्ड का जो भी महत्व हो, लेकिन अंग्रेज पर्यटक इन कब्रगाहों को अपने पूर्वजों की अनूठी विरासत मानते हैं और इन कब्रों में चिरनिद्रा में लीन अपने पूर्वजों को पूर्ण श्रद्धाभाव से नमन करते हैं।

प्रो. चंद्रशेखर बरूआ के अनुसार भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्‌देश्य से यह स्कीम चलाई है। जिसमें विदेशी पर्यटक अपने पूर्वजों के रिकॉर्ड्स ट्रैवल एजेंसियों को मेल कर देते हैं, ताकि वे उन्हें खोज सकें। इसके अलावा वे ईसाई मिशनरीज के माध्यम से कब्रगाहों की देखरेख भी करते हैं।

नीलकमल माहेश्वरी कहते हैं कि डार्क टूरिज्म दरअसल टूरिज्म इंडस्ट्री का ही एक नया ट्रेंड है। जिसके माध्यम से ब्रिटिश व फ्रांसिसी मूल के विदेशी पर्यटक ग्वालियर में आते हैं। यहां वे गूजरी महल स्थित अंग्रेज अफसरों की कब्रगाहों पर श्रद्धांजलि देते हैं।

बिल्सन फ्रेंकलिन के अनुसार हमारे पास अमेरिकन व ब्रिटिश मूल के विदेशी पर्यटक डार्क टूरिज्म के तहत अपने पूर्वजों की सिमिट्री एवं मुरार छावनी स्थित ब्रिटिश बंगलों को देखने की मांग करते हैं। साथ ही मुरार स्थित क्राइस्ट चर्च में जाकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

पर्यटन राजस्व बढ़ाने में यह सिमिट्री व ग्रेबियार्ड टूरिज्म महती भूमिका निभा रहा है। हर वर्ष इसी मकसद से ग्वालियर आने वाले तीन-चार सौ विदेशी पर्यटक उक्त पैकेज का लाभ उठाते हुए आसपास के अन्य पर्यटन स्थलों पर भी जाते हैं। इस कारण भी पर्यटन मंत्रालय के लिए यह फायदे की स्कीम बन गई है।

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