आज मोक्षकुंडम विश्वश्वैरिया की जयंती है। वे भारत के महान अभियंता एवं राजनयिक थे। भारत की प्रौद्योगिकी का जनक भी विश्वेश्वरैया को कहा जाता है। उन्हें 'भारतीय इंजीनियरिंग के पिता' के रूप में भी जाना जाता है। आइए यहां जानते हैं उनके बारे में...Dr. Mokshagundam Visvesvaraya
1. भारत के माने हुए सफल इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले के चिक्काबल्लापुर तालुका में हुआ था।
2. उनके पिता का नाम श्रीनिवास शास्त्री तथा माता का नाम वेंकाचम्मा था। पिता संस्कृत के विद्वान थे।
3. वे ईमानदारी, त्याग, मेहनत इत्यादि जैसे सद्गुणों से संपन्न थे। विश्वेश्वरैया जी कहते थे, अहंकारी न बनो। अपना स्वभाव नम्र बनाओ तथा साथियों के साथ मिलजुल कर काम करने की आदत डालो।
4. एशिया के बेस्ट प्लान्ड लेआउट्स में एक जयानगर है जो कि बेंगलुरु में स्थित है। इसकी पूरी डिजाइन और योजना बनाने का श्रेय सर एम. विश्वेश्वरैया को ही जाता है।
5. उनके प्रयासों से ही कृष्णराज सागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल आइल एंड सोप फैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ मैसूर का निर्माण हो पाया।
6. उनकी जनहितकारी उपलब्धियों और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सन् 1955 में देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से नवाजा गया। जब वह 100 वर्ष के हुए तो भारत सरकार ने डाक टिकट जारी कर उनके सम्मान को और बढ़ाया।
7. सर एम. विश्वेश्वरैया एक बेहतरीन इंजीनियर थे और उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्यों जैसे नदियों के बांध, ब्रिज और पीने के पानी की स्कीम आदि को कामयाब बनाने में अविस्मरणीय योगदान दिया है। विश्वेश्वरैया को भारत की प्रौद्योगिकी का जनक कहा जाता है।
8. मैसूर में लड़कियों के लिए अलग से हॉस्टल और पहला फर्स्ट ग्रेड कॉलेज (महारानी कॉलेज) खुलवाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है।
9. उनके सिद्धांत के अनुसार- निर्धारित कार्यों का समय नियत करो। समय पर काम करने की आदत डालने से काम अधिक भी होता है और अच्छा भी। इसलिए सबसे जरूरी है काम को निश्चित समय पर पूरा करना। यदि ऐसा नहीं करेंगे तो काम की अवधि बढ़ती रहेगी और अंततः काम पूरा नहीं होगा।
10. इंजीनियर मोक्षकुंडम विश्वश्वैरिया का निधन 101 वर्ष की दीर्घायु में 14 अप्रैल 1962 को हुआ।