सिक्किम क्षेत्र के डोकलाम में भारत के साथ सैन्य तनातनी के बीच चीन युद्ध की धमकी देकर लगातार भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। इस क्रम में चीन की सरकार के बाद अब पहली बार राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल वू कियान ने धमकी दी है कि मैं भारत को याद दिलाना चाहता हूं कि वह किसी भी तरह के भ्रम में ना रहें। अपनी सेना हटाएं।
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत चीन के बीच चल रहे गतिरोध पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारत को किसी भी तरह का मुगालता नहीं पालना चाहिए। उन्होंने कहा कि "पहाड़ को हिलाया जा सकता है, लेकिन चीनी सेना को नहीं हिलाया जा सकता।"
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी सेना के प्रवक्ता कियान ने कहा कि हर किमत पर हम अपनी संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा करेंगे। देश की रक्षा करने को लेकर हमारे विश्वास को कोई डिगा नहीं सकता। मैं भारत को याद दिलाना चाहता हूं कि वह किसी भी तरह के भ्रम में ना रहें।
चीनी सेना ने जारी अपने बयान में चेतावनी के लहजे में कहा है कि डोकलाम से भारत की सेना पीछे हट जाए नहीं तो हम अपनी संख्या और बढ़ा देंगे। उन्होंने कहा कि डोकलाम में सेना की तैनाती बढ़ाएंगे। हमारी सेना को हिला पाना मुश्किल। डोकलाम को डोंगलंग के नाम से संबोधित करता है। जहां चीन एक सड़क निर्माण करना चाहता है। भारत ने ऐसा करने से उसे रोक दिया है।
गौरतलब है कि डोकलाम को लेकर भारत और चीन में काफी दिनों से तनाव जारी है। आए दिन चीन की सरकार की ओर से धमकी आती रहती है लेकिन ये पहली बार है कि चीनी सेना ने बयान जारी कर गीदड़भभकी दी है। चीनी सेना ने कहा है कि वो संप्रभुता की रक्षा के लिए कुछ भी करेंगे। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने भारत से कहा है कि किसी भी कीमत पर संप्रभुता की रक्षा की जाएगी।
एक अगस्त को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की 90 वीं वर्षगांठ से पहले एक विशेष ब्रीफिंग में पीएलए ने डोकलाम पर एक मजबूत संदेश दिया है। पीएलए की तरफ से साथ ही कहा गया है कि डोकलाम में तैनाती भी बढ़ाई जाएगी। राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कियान ने कहा कि पिछले 90 वर्षों में पीएलए का इतिहास संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हमारे संकल्प, क्षमता को साबित करता है।
पीएलए ने यह भी कहा कि इस घटना के जवाब में एक 'आपातकालीन प्रतिक्रिया' के तौर पर क्षेत्र में और अधिक चीनी सेना उतार सकती है। इसके साथ ही वरिष्ठ कर्नल वू कि़आन ने रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता से डोकलाम पठार पर चीन के सड़क निर्माण का पक्ष भी रखा।
कि़आन ने कहा, 'जून के मध्य में, चीनी सेना ने एक सड़क के निर्माण की जिम्मेदारी ली थी। डोंगलंग चीन का क्षेत्र है और चीन का अपने क्षेत्र में सड़क निर्माण करना एक सामान्य घटना है। यह चीन की संप्रभुता का कार्य है और वैध है।' उन्होंने आगे कहा, 'भारत द्वारा चीन के क्षेत्र में घुसना परस्पर मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय सीमा का एक गंभीर उल्लंघन है और यह अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है। हम अपनी संप्रभुता की रक्षा किसी भी कीमत पर करेंगे।"
वरिष्ठ कर्नल वू ने कहा, "हम भारत से दृढ़ता पूर्वक आग्रह करते हैं कि वह अपने सैनिकों को दोनों देशों की सीमा रेखा से वापस बुलाए। यह समस्या को निपटाने के लिए आधार है। शांति और सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा दोनों चीनी और भारतीय लोगों के हितों के साथ हो।'
उन्होंने आगे यह भी कहा, 'हम दृढ़ता आग्रह करते हैं कि भारत अपनी गलतियों को सही करे और अपने उकसाने वाले कामों को समाप्त करे और संयुक्त रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए चीनी पक्ष के साथ मिल कर काम करे।'
गौरतलब है कि भारत ने गुरुवार (20 जुलाई) को चीन से कहा था कि यदि चीन चाहता है कि भारत इलाके से अपने सैनिकों को हटा ले, तो वह भी अपने सैनिकों को भूटान-चीन सीमा पर डोकलाम से हटाए। करीब महीनेभर से चल रहे गतिरोध पर पहली भारतीय विस्तृत टिप्पणी में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चीन पर एकतरफा भूटान से लगी सीमा पर यथास्थिति बदलने का प्रयास करने का आरोप लगाया था। उन्होंने राज्यसभा में कहा था कि इसी वजह से भारतीय व चीनी सीमा में गतिरोध बढ़ा है।
इसके साथ ही सुषमा ने कहा था कि चीन कह रहा है कि भारत को बातचीत शुरू करने के लिए डोकलाम से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए, जबकि 'हम कह रहे हैं कि यदि संवाद होना है तो दोनों को अपने सैनिकों को हटाना चाहिए।' उन्होंने कहा, "चीन की कार्रवाई हमारी सुरक्षा को चुनौती है।" सुषमा स्वराज ने कहा था कि भारत कुछ भी अनुचित नहीं कर रहा है।