वाशिंगटन। अमेरिकी संसद की एक स्वतंत्र रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल है, जो हाइपरसोनिक हथियार विकसित कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत लगभग 12 हाइपरसोनिक पवन सुरंगों का संचालन करता है और 13 मैक तक की गति का परीक्षण करने में सक्षम है। उल्लेखनीय है कि चीन ने भी हाल ही में परमाणु संपन्न हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था।
स्वतंत्र कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (CRS) ने इस सप्ताह अपनी रिपोर्ट में कहा कि अमेरिका, रूस और चीन के सबसे आधुनिक हाइपरसोनिक हथियार कार्यक्रम हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया, भारत, फ्रांस, जर्मनी और जापान समेत कुछ अन्य देश भी हाइपरसोनिक हथियार प्रौद्योगिकी विकसित कर रहे हैं।
CRS की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपने हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन कार्यक्रम के तहत एक स्वदेशी, दोहरे रूप से सक्षम हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी विकसित कर रहा है और उसने जून 2019 और सितंबर 2020 के बीच मैक 6 स्क्रैमजेट का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था।
ऐसा बताया जा रहा है कि भारत अपने हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन कार्यक्रम के तहत एक स्वदेशी, दोहरे रूप से सक्षम हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी विकसित कर रहा है और उसने जून 2019 और सितंबर 2020 के बीच मैक 6 स्क्रैमजेट का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था।
अमेरिकी संसद की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब हाल में एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन ने एक परमाणु सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल का प्रक्षेपण किया है, जिसने अपने लक्ष्य से चूकने से पहले पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाया था। चीन ने अपने इस परीक्षण से अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को हैरान कर दिया है। हालांकि चीन ने कहा कि उसने एक हाइपरसोनिक यान (व्हीकल) का परीक्षण किया है, न कि परमाणु-सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल का।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका और भारत ने रूस के साथ इस संबंध में गठजोड़ किया है। सीआरएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने मैक 7 हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस 2 को विकसित के लिए रूस के साथ गठजोड़ किया है।