bal kavita : बिना टिकिट के रेल में

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Rail poem
 
तीन छछूंदर चढ़े रेल में,
बिना टिकिट पकड़ाए।
टी टी ने जुर्माना ठोका,
रुपए साठ मंगाए।
तभी छछूंदर बोले दादा,
यह क्या तुम करते हो।
सांप डरा करते हैं मुझसे,
तुम क्यों न डरते हो।
टी टी बोला रे छछूंदरो,
सांप नहीं हम भाई।
हमें रेलवे ने भेजा है,
हम हैं टी टी आई।
मिल जाता है बिना टिकिट के,
अगर मुसाफिर रेल में।
जुर्माना संग टिकिट कटाता,
या जाता है जेल में।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख