सिडनी। मेलबोर्न टेस्ट में भारत की जीत के हीरो रहे जसप्रीत बुमराह के साथ ही साथ मयंक अग्रवाल की 76 रनों की पारी के बूते ही ऑस्ट्रेलिया को अपने ही घर में हार का कड़वा घूट पीना पड़ा था। सिडनी में गुरुवार से शुरू हुए चौथे टेस्ट में भी मयंक अग्रवाल मुकद्दर के सिकंदर बने।
मयंक की पारी इस लिए चर्चा में रही क्योंकि लगातार दूसरे टेस्ट मैच में उन्होंने बतौर सलामी बल्लेबाज अर्द्धशतक (77 रन) जड़ा। पहले दिन 4 विकेट खोकर 303 रन का स्कोर बेहद सम्मानजक कहा जाएगा। इस सीरीज में यह पहला प्रसंग है, जब एक दिन में 300 का आंकड़ा पार हुआ है, वह भी चेतेश्वर पुजारा के नाबाद शतक (130) की बदौलत।
मुस्कुरा रही है किस्मत की देवी : मयंक अग्रवाल ने मेलबोर्न में पदार्पण टेस्ट में उन्होंने टीम इंडिया के ओपनर बल्लेबाज की चुनौती को स्वीकारा और इस अवसर को बखूबी भुनाया भी। सिडनी में भी मयंक का बल्ला रनों की बारिश करता रहा। लगता है किस्मत की देवी मयंक पर मुस्कुरा रही है। यही कारण है कि बीते समय में बेहतरीन पारियां खेलने वाले इस बल्लेबाज को पृथ्वी शॉ के घायल होने का फायदा मिला और उन्होंने इस रिप्लेसमेंट को लगातार दूसरे टेस्ट में भी सही साबित किया है।
गलत शॉट मारकर आउट हुए : मयंक ने सिडनी में लोकेश राहुल के साथ पारी की शुरुआत की लेकिन राहुल 9 रन पर पैवेलियन चलते बने। 10 रन पर पहला विकेट गिरने के बाद मयंक और पुजारा की जोड़ी ने दूसरे विकेट के लिए 106 रनों की साझेदारी करके आने वाले बल्लेबाजों के ऊपर से तनाव हटा दिया। मयंक को 77 रनों के निजी स्कोर पर नाथन लियोन की गेंद पर मिशेल स्टार्क ने लपका। इस ओवर में मयंक एक छक्का लगा चुके थे लेकिन दूसरे छक्के के प्रयास में वे कैच कर लिए गए। इस तरह भारत का दूसरा विकेट 126 रनों के कुल स्कोर पर गिरा।
बाउंसरों से भी नहीं डरा यह ओपनर : पैट कमिंस और मिशेल स्टार्क ने मयंक को आउट करने के लिए हर हथकंडे अपनाए और कई बाउंसरों से उन्हें डराने की कोशिश भी की लेकिन भारत का यह जुझारु बल्लेबाज मैदान पर डटा रहा। दोनों ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों ने शॉर्ट गेंदों से मयंक को परेशान किया। यहां तक की कई बार गेंद उन्हें लगी भी लेकिन वे साहस के साथ भारत का स्कोर बढ़ाते रहे। इस तरह के जीवट खिलाड़ी कम ही देखने को मिलते हैं।
रनों से भरपूर है सिडनी का विकेट : सिडनी का विकेट रनों से भरपूर नजर आया और लगा कि यह भारतीय विकेटों के समकक्ष है। यही कारण है कि मयंक के साथ ही भारतीय टेस्ट टीम की रीड़ बन चुके चेतेश्वर पुजारा ने पहले ही रनों की भरपूर फसल काटी। पुजारा ने एडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट में भी शतक लगाकर भारत को जीत दिलाई थी। ऑस्ट्रेलिया के पांच धुरंधर गेंदबाजों का आक्रमण पुजारा और मयंक पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा। यह बात अलग है कि राहुल (9), विराट (23) और रहाणे (39) ज्यादा देर विकेट पर नहीं टिके।
पदार्पण टेस्ट के लिए मयंक को काफी तरसाया : मेलबोर्न में 26 दिसम्बर को अपने कॅरियर के पदार्पण टेस्ट में अर्द्धशतक लगाकर रिकॉर्ड बुक में अपना नाम दर्ज करवाने वाले मयंक अग्रवाल की आज तूती बोल रही है और उनकी बल्लेबाजी का गुणगान हो रहा हैं। उनके बारे में यह तथ्य भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता इस खिलाड़ी को डेब्यू टेस्ट कैप पहनने तक हमारे समझदार कहे जाने वाले चयनकताओं और टीम के थिंक टैंक ने काफी तरसाया।
क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में शानदार प्रदर्शन : मयंक अग्रवाल ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में रन बनाए हैं। सैयद मुश्ताक अली टी20 स्पर्धा भारत में खास महत्व रखती हैं और इसमें सबसे ज्यादा रन मयंक के ही थे। उपयोगिता सिद्ध करने के बाद भी मयंक का चयन श्रीलंका में खेली गई निदहास ट्रॉफी टी20 टूर्नामेंट में भी नहीं किया गया। उन्हें खुद समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार चयनकर्ता उनसे चाहते क्या है?
मयंक और पृथ्वी शॉ की स्टार ओपनिंग जोड़ी : भारत की 'ए' टीम जब न्यूजीलैंड दौरे पर गई, तब मयंक का चयन किया गया। इसके बाद यह टीम इंग्लैंड गई, वहां भी यह बंदा टीम का हिस्सा था। न्यूजीलैंड 'ए' टीम भारत आई तब भी मयंक मैदान पर नजर आए। बीते चार साल से मयंक अग्रवाल और पृथ्वी शॉ भारत की 'ए' टीम के लिए ओपन कर रहे हैं और टीम को जीत भी दिलवा रहे हैं।
मयंक को 27 वर्ष की उम्र में मिला मौका : 2018 में वेस्टइंडीज टीम ने भारत का दौरा किया। मयंक को टीम में शामिल तो रखा लेकिन एक भी मैच खिलाए बगैर बाहर कर दिया। अन्याय की तो यह इंतहा है ना...सनद रहे कि जिस केएल राहुल को सलामी बल्लेबाज आजमाया गया और सबसे ज्यादा मौके दिए गए उन्होंने क्या गुल खिलाए, ये भी जान लीजिए। राहुल ने पिछली 19 पारियों में कुल 390 रन बनाए हैं...यह संयोग ही पृथ्वी के चोटिल होने के कारण ही मयंक को मौका मिला, वह भी 27 बरस की उम्र में जाकर। उम्मीद है कि भारत का यह सलामी बल्लेबाज 4-5 साल तो भारतीय क्रिकेट की सेवा करेगा ही बशर्ते फिर से उनके साथ कोई राजनीति न हो जाए।
मयंक ने तोड़ा दत्तु फड़कर का रिकॉर्ड : मयंक ने मेलबोर्न में अपने पदार्पण टेस्ट में 76 रन बनाकर भारत के दत्तु फड़कर का रिकॉर्ड तोड़ा। ऑस्ट्रेलिया की जमीन पर फड़कर ने दिसंबर 1947 में सिडनी में अपने पदार्पण टेस्ट में 51 रन की पारी खेली थी। ऐसा करने वाले वे भारतीय टीम की पहले बल्लेबाज बने थे।
मयंक का घरेलू क्रिकेट सफर : मयंक ने नवंबर 2013 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कर्नाटक के लिए पदार्पण किया था। उन्होंने पिछले रणजी सीजन में 13 पारियों में 105.45 की औसत से 1160 रन बनाए थे। इसमें एक तिहरे शतक समेत 5 शतक और 2 अर्द्धशतक शामिल थे। विजय हजारे ट्रॉफी 2018 में भी उन्होंने 8 पारियों में 90.37 की औसत और 107.91 की स्ट्राइक रेट से 723 रन बनाए, जिसमें 3 शतक और 4 अर्द्धशतक शामिल थे।
अब मयंक पर हो सकती है धनवर्षा : आपने गौर किया होगा कि ऑस्ट्रेलियाई दौरे में मयंक जिस बल्ले से लगातार 2 अर्द्धशतक जड़ चुके हैं और एक पारी में अर्द्धशतक के करीब पहुंचे हैं, उस बल्ले पर किसी भी अंतरराष्ट्रीय कंपनी का लोगो नहीं है। बिना लोगो वाले बल्ले से उन्होंने शानदार पारियां खेली हैं। यकीनन विज्ञापन कंपनियों की भी नजर उन पर होगी और वह भी अपनी कंपनी का लोगो लगे बल्ले से खेलने के लिए मयंक पर धनवर्षा करेंगे।