लाहौर। लाहौर में हुए बम धमाके के बाद पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) टी-20 टूर्नामेंट के यहां गद्दाफी स्टेडियम में खिताबी मुकाबले को आयोजित करने पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं, साथ ही लीग प्रमुख नज़म सेठी ने मैच में विदेशी खिलाड़ियों के हिस्सा लेने पर भी संदेह जताया है।
देश में क्रिकेट की वापसी को लेकर संघर्ष कर रहे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है। दुबई में खेले जा रहे इस टूर्नामेंट के फाइनल को पांच मार्च को लाहौर स्थित गद्दाफी स्टेडियम में आयोजित किया जाना है, लेकिन सोमवार को लाहौर में हुए बम धमाके के बाद पाकिस्तान में सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है।
पीसीबी अधिकारी और पीएसएल के अध्यक्ष सेठी ने एक स्थानीय चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर फाइनल कहां होगा? लाहौर के व्यस्त मॉल रोड पर हुए आत्मघाती हमले में अब तक 17 लोगों के मारे जाने की खबर है। गत सप्ताह ही सेठी ने विदेशी खिलाड़ियों को लाहौर में सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी दी थी। लेकिन ताजा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में फाइनल कराने पर संदेह पैदा हो गया है।
सेठी ने कहा विदेशी खिलाड़ी मानसिक तौर पर लाहौर में खेलने के लिए तैयार हो गए थे, लेकिन अब मैं आपको विदेशी खिलाड़ियों के बारे में कुछ नहीं कह सकता। निश्चित तौर पर अब खिलाड़ी ज्यादा डरे हुए हैं। ऐसे में हम उन्हें खेलने के लिए मना नहीं सकते हैं। मुझे नहीं पता कि हमें इसमें सफलता मिलेगी या नहीं।
पीसीबी और सेठी मौजूदा स्थिति के बावजूद लाहौर में लीग का खिताबी मुकाबला खेलने को लेकर डटे हुए हैं लेकिन संभावना है कि इस मैच को कहीं और कराया जा सकता है। सेठी ने कहा कि वे चाहते हैं कि दर्शक ही यह फैसला करें कि वे पाकिस्तानी खिलाड़ियों के साथ लाहौर में फाइनल देखना चाहते हैं या विदेशी और पाकिस्तानी दोनों खिलाड़ियों के साथ दुबई में।
उन्होंने कहा लोग मुझ पर दबाव बना रहे हैं कि हर स्थिति में लाहौर में ही फाइनल होना चाहिए और हम आतंकवादियों को दिखा देंगे कि हम उनसे नहीं डरते हैं। मैं भी ऐसा ही सोचता हूं। मेरा दिल कहता है कि हम दुनिया को दिखा दें कि विदेशी खिलाड़ी यदि पाकिस्तान नहीं भी आते हैं तब भी हम पीएसएल फाइनल करा सकते हैं।
गत माह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों की संस्था (फिका) ने खिलाड़ियों को नोटिस जारी कर कहा था कि वे पाकिस्तान में खिलाड़ियों को पुख्ता सुरक्षा की गारंटी नहीं देते हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2009 में गद्दाफी स्टेडियम के बाहर ही श्रीलंकाई टीम की बस पर आतंकवादियों ने गोलियां से हमला कर दिया था। इस घटना के बाद से ही पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट ठप हो गया है। (वार्ता)