संस्कृत या जर्मन की संस्कृत और जर्मन

बुधवार, 19 नवंबर 2014 (11:00 IST)
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत के सरकारी स्कूलों में जर्मन भाषा की कक्षाएं बंद करने पर बातचीत की है। बच्चों को अब कुछ ही महीने में होने वाली परिक्षा के लिए संस्कृत की तैयारी करनी है।

भारत की सरकार ने केंद्रीय विद्यालयों में जारी जर्मन सीखने के विकल्प को खत्म कर दिया है। भारत भर में लाखों बच्चों ने इसे तीसरी भाषा के तौर पर लिया था। सरकार का कहना है कि तीसरी भाषा विदेशी ना हो कर संस्कृत होनी चाहिए।

मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी का कहना है कि यह फैसला राष्ट्रीय हित में लिया गया है और बच्चे हॉबी सब्जेक्ट के तौर पर जर्मन सीख सकते हैं, बस उन्हें इसके लिए कोई नंबर नहीं मिलेंगे। भारत में कुल 1,092 केंद्रीय विद्यालय हैं। सेना और सरकारी महकमे में काम करने वाले लोगों के बच्चे इन स्कूलों में पढ़ते हैं।

देशी बनाम विदेशी : इस घोषणा के कारण परीक्षा की पढ़ाई पर पानी फिर गया है। करीब 79,000 बच्चे छठी से आठवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे हैं और अब उन्हें तीन महीने के अंदर संस्कृत की पढ़ाई पूरी कर परीक्षा देनी होगी। केवीएस ने कहा है कि वह प्रभावित बच्चों के लिए मदद मुहैया करवाएगा।

हालांकि भारत के निजी स्कूलों में अभी भी जर्मन सहित कई विदेशी भाषाएं पढ़ाई जा सकेंगी। भारत सरकार त्रिभाषा फार्मूला की पैरवी करती है जिसके तहत बच्चों को हिन्दी, अंग्रेजी और एक अन्य भारतीय भाषा सिखाई जाती है। लेकिन कई स्कूलों में बच्चे हिन्दी या संस्कृत की जगह विदेशी भाषा पढ़ते हैं। और जहां हिन्दी मातृभाषा नहीं है, ऐसे राज्यों में अक्सर हिन्दी को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया जाता है।

पश्चिम का षड़यंत्र : राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लंघन उस समय सामने आया जब 2011 के सितंबर में केवीएस और गोएथे इंस्टीट्यूट के बीच हुए समझौते को आगे बढ़ाने की बात आई। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी ने इस समझौते को गैरकानूनी बताते हुए कहा कि इस बारे में जांच की जा रही है कि कैसे यह समझौता हुआ।

इससे पहले भारत की संस्कृत शिक्षक समिति (एसएसएस) ने दिल्ली के हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि स्कूल के पाठ्यक्रम में जर्मन का होना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विरुद्ध है। उन्होंने स्कूलों में विदेशी भाषा सिखाए जाने को पश्चिम का षडयंत्र बताया।

मोदी ने दिलाया विश्वास : जी20 देशों की वार्ता के दौरान ऑस्ट्रेलिया में जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल इस मुद्दे को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत में उठाया। इस बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि अभी कोई फैसला नहीं किया गया है लेकिन मोदी ने साफ किया कि उनकी प्राथमिकता छात्र हैं। अकबरुद्दीन ने कहा, 'भारतीय पीएम मोदी ने जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल को विश्वास दिलाया है कि वह मामले पर नजर डालेंगे। मोदी ने कहा कि वह चाहते हैं कि भारतीय बच्चे जितनी ज्यादा भाषा सीखें उतना अच्छा है।'

नई दिल्ली में जर्मनी के राजदूत मिषाएल श्टाइनर ने डीडबल्यू से बातचीत में कहा, 'संस्कृत सीखने में कोई नुकसान नहीं है क्योंकि यह भारतीय संस्कृति और समाज का अहम हिस्सा है। लेकिन अगर कोई छात्र पेशेवर बेहतरी के लिए कोई आधुनिक भाषा सीखना चाहे तो उसे इसका मौका मिलना चाहिए।' श्टाइनर को संस्कृत की पैरवी करने के लिए जाना जाता है।

भारत की 20 से ज्यादा भाषाओं का मूल संस्कृत है, लेकिन ताजा जनगणना आंकड़ों में सिर्फ 14,000 लोगों ने अपनी प्राथमिक भाषा संस्कृत बताई है।

रिपोर्ट आंद्रेया नियरहोफ/एएम

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