कोरोना पर झूठी जानकारी फैलाकर क्या पाना चाहता है रूस

Webdunia
सोमवार, 23 मार्च 2020 (12:08 IST)
क्या रूस कोरोना महामारी का फायदा उठाकर फेक न्यूज और गलत जानकारी के जरिए पश्चिमी देशों में अशांति को भड़का रहा है? रूसी मीडिया पर नजर रखने वाले यूरोपीय पर्यवेक्षकों को इसी बात का अंदेशा है।
 
रूस की नई मीडिया संस्था स्पूतनिक का दावा है कि यूरोपीय देश लातविया में 'बहुत ही स्मार्ट जीव विज्ञानियों और फार्मासिस्ट्स' ने नया कोविड-19 कोरोना वायरस पैदा किया, वहीं रूसी सत्ता प्रतिष्ठान क्रेमलिन से जुड़े अन्य सूत्रों का कहना है कि इस वायरस को ब्रिटिश सेना के पोर्टोन डाउन ठिकाने पर तैयार किया गया।
ALSO READ: Coronavirus से न डरें और न लोगों को डराएं, मनोचिकित्सक की सलाह,अफवाह से भी दूर रहें
रूस पर नजर रखने वाले यूरोपीय आयोग के पर्यवेक्षकों ने 80 अलग-अलग रिपोर्टों का विश्लेषण किया है, जो रूस की सरकारी मीडिया वेबसाइटों पर प्रकाशित की गईं और उनमें कोरोना वायरस को लेकर झूठी और गुमराह करने वाली जानकारी थी। इन्हें लिखने वाले मीडिया प्लेटफॉर्म और लेखकों के क्रेमलिन से नजदीकी संबंध हैं।
 
लेकिन क्या यह सोचे-समझे तरीके से शुरू की गई कोई मुहिम है या फिर रूस और पश्चिमी जगत के बीच चलने वाले प्रोपेगैंडा युद्ध का हिस्सा है।
 
भ्रम फैलाने की कोशिश
 
EU vs. Disinfo वेबसाइट पर 'क्रेमलिन और कोरोना वायरस पर गलत सूचना' शीर्षक से प्रकाशित लेख में रूसी रिपोर्टों के अंश पढ़े जा सकते हैं। इन रिपोर्टों को पढ़कर लगता है कि वे आपस में विरोधाभासी हैं। मिसाल के तौर पर क्रेमलिन का नजदीकी माने जाने वाला एक ई जर्नल 'द ओरिएंटल रिव्यू' लिखता है: 'जब अफरा-तफरी खत्म होगी तो कोविड-19 से मारे गए लोगों की संख्या किसी सामान्य फ्लू से मरने वाले लोगों से भी कम होगी।'
 
वहीं एक रूसी राष्ट्रवादी और ऑर्थोडोक्स चर्च के खुले समर्थक एलेक्सांडर डुगिन ने एक अन्य रूसी ई जर्नल में बिलकुल विपरीत दावा किया। डुगिन ने कहा कि जब यह वायरस दुनियाभर में 'अपना विजय मार्च पूरा करेगा' तो यह मौजूदा विश्व व्यवस्था को ध्वस्त कर देगा।

ALSO READ: प्रधानमंत्री ने की Corona virus के खिलाफ लड़ाई में एयर इंडिया कर्मियों के साहस की प्रशंसा
इटली में सुपर बाजार के सामने लगी कतार
लेकिन क्या इस तरह के विरोधाभासी दावों के पीछे कोई मकसद है? यूरोपीय संघ के पर्यवेक्षकों का कहना है कि इसका मकसद यूरोपीय नागरिकों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा कर उनमें 'बिखराव और अविश्वास' के बीज बोना है। 
 
यूरोपीय संघ में विदेश मामलों और सुरक्षा नीति प्रमुख के मुख्य प्रवक्ता पीटर स्टानो का कहना है कि हम देख रहे हैं कि यूरोपीय संघ के बाहर से आ रहीं गलत सूचनाओं में बहुत इजाफा हुआ है। इनमें से कुछ को रूस और रूस समर्थक स्रोतों ने फैलाया है। उन्होंने कहा कि सिर्फ रूस ही ऐसी सूचनाओं का स्रोत नहीं है। उनके मुताबिक जहां कहीं से भी ये गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं कि उनसे लोगों की जिंदगियां खतरे में पड़ रही हैं।
ALSO READ: अमेरिका में 24 घंटे में Corona Virus से 100 से ज्यादा लोगों की मौत, 30,000 लोग संक्रमण के शिकार
रूस का इंकार
 
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने 'फाइनेंशियल टाइम्स' में छपी इस रिपोर्ट को खारिज किया है कि रूस जान-बूझकर गलत जानकारियां फैला रहा है। उन्होंने कहा कि हम बेबुनियाद दावों की बात कर रहे हैं। स्थिति को मद्देनजर रखते हुए ये दावे रूस विरोधी रवैये का नतीजा दिखते हैं। उन्होंने कहा कि इन दावों को साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किए गए हैं।
 
पेस्कोव के इंकार को तुरंत रूस के सरकारी टीवी चैनल 'रशिया टुडे' (आरटी) का समर्थन मिला। आरटी की वेबसाइट पर नेबोज्सा मालिच का एक लेख प्रकाशित किया गया जिन्हें सर्बियन-अमेरिकन पत्रकार बताया गया। इस लेख में कहा गया है कि जब सब लोग विफल हो जाते हैं तो वे रूस की आलोचना करने लगते हैं। लगता है कि यूरोपीय संघ इसी तरह कोरोना महामारी पर अपनी नाकामी को छिपाने की कोशिश कर रहा है।
 
वाकई रूस इसके पीछे है?
 
सवाल यह है कि क्या रूस यूरोपीय लोकतंत्रों पर हमले लिए कोरोना वायरस का इस्तेमाल कर रहा है? ब्रिटिश फेक न्यूज एक्सपर्ट बेन निम्मो लगातार रूसी मीडिया पर नजर रखते हैं। वे नहीं समझते कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने निजी रूप से ऐसा करने को कहा होगा। उन्हें लगता है कि यह पश्चिमी देशों के खिलाफ रूस की नियमित प्रोपेगैंडा मुहिम का ही हिस्सा है।
ALSO READ: Corona Virus Live Updates : इटली में 651 और अमेरिका में 100 लोगों की मौत, एंजेला मर्केल क्वारंटीन में गईं
निम्मो कहते हैं कि मलेशियन एयरलाइंस की फ्लाइट एमएच-17 को गिराए जाने या फिर क्रीमिया को यूक्रेन से तोड़कर रूस में मिलाने की बात अलग थी। तब रूसी मीडिया वही लिख रहा था, जो सरकार उससे लिखवा रही थी। लेकिन कोरोना वायरस से पैदा स्थिति को वे अलग मानते हैं। वे कहते हैं कि स्पूतनिक और आरटी जैसे मीडिया संस्थानों का मकसद सिर्फ पश्चिमी दुनिया की छवि को खराब करना है, भले ही मुद्दा कुछ भी हो। 
 
रूसी मामलों के विशेषज्ञ और ग्रीन पार्टी के यूरोपीय सांसद सेरगेई लागोदिंस्की रूसी मीडिया में कोरोना वायरस कवरेज पर कहते हैं कि इससे पता चलता है कि हमारे रिश्ते कैसे हैं। वे कहते हैं कि मौजूदा रवैया यह है कि रूस में अब तक यूरोपीय संघ के मुकाबले कोविड-19 के बहुत कम मामले हैं, इसलिए रूसी मीडिया संस्थान स्थिति का फायदा उठाकर अफरा-तफरी फैलाना चाहते हैं।

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख