क्या है दुनिया को डरा रहा क्रेडिट स्विस संकट?

DW
शुक्रवार, 17 मार्च 2023 (08:58 IST)
-ओंकार सिंह जनौटी
 
भंवर में फंसे क्रेडिट स्विस बैंक ने 54 अरब डॉलर का कर्ज लेने का फैसला किया है। 167 साल पुराने बैंक का ये एलान क्या वित्तीय बवंडर को टाल सकेगा? दुनियाभर के वित्तीय बाजार में तरलता बढ़ाने और निवेशकों का भरोसा बरकरार रखने के लिए क्रेडिट स्विस ने स्विट्जरलैंड के सेंट्रल बैंक से 54 अरब डॉलर का कर्ज लेने का ऐलान किया है।
 
कर्ज की यह रकम दुनिया के कई देशों की कुल जीडीपी से भी ज्यादा है। क्रेडिट स्विस बैंक ने कर्ज लेने की घोषणा बुधवार रात को की। इसके बाद गुरुवार को लंबे समय बाद क्रेडिट स्विस के शेयरों में 30 फीसदी तक उछाल देखा गया।
 
क्रेडिट स्विस एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय बैंक है। स्विट्जरलैंड का यह दूसरा सबसे बड़ा बैंक, कई दिग्गज कंपनियों को पैसा मुहैया कराता है। 2008 की वैश्विक मंदी के बाद यह पहला मौका है, जब कोई इतना बड़ा ग्लोबल बैंक भारी संकट में फंसा है। इसी संकट से निकलने के लिए इसने स्विस केंद्रीय बैंक से 50 अरब स्विस फ्रैंक (स्विट्जरलैंड की मुद्रा) का कर्ज लेने का फैसला किया है। अमेरिकी डॉलर में यह रकम करीब 54 अरब डॉलर होगी।
 
स्विस अधिकारियों ने कर्ज देने का भरोसा जताते हुए कहा है कि क्रेडिट स्विस, सिस्टम के लिहाज से अहम बैंकों के लिए तय पूंजी और तरलता की जरूरतों को पूरा करता है। वित्तीय सेवाओं के लिए वैश्विक स्तर पर कर्ज देने वाली दिग्गज अमेरिकी फर्म जेपी मॉर्गन के मुताबिक इस कर्ज की वजह से क्रेडिट स्विस को रिस्ट्रक्चरिंग करने के लिए जरूरी समय मिल जाएगा।
 
कैसे शुरू हुआ क्रेडिट स्विस संकट?
 
अमेरिकी अखबार 'वॉशिंगटन पोस्ट' के मुताबिक क्रेडिट स्विस की मुश्किलों के पीछे कई विवादित डीलें भी जिम्मेदार हैं। बीते बरसों में क्रेडिट स्विस पर बुल्गारिया के ड्रग डीलरों को मनी लॉड्रिंग की छूट देने, मोजाम्बिक में भ्रष्टाचार में शामिल होने और पूर्व बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों की जासूसी के आरोप लगे। इसी दौरान बैंक के ग्राहकों का बहुत सारा डाटा मीडिया में लीक भी हुआ। ऐसे स्कैंडलों से नाराज होकर 2022 के अंत में कई बड़े ग्राहकों ने अभूतपूर्व ढंग से बैंक से किनारा कर लिया।
 
जनवरी 2023 में बैंक के सीईओ उलरिष क्योरनर ने निवेशकों और ग्राहकों को इन कमजोरियों को ठीक करने का भरोसा दिलाया। इस आश्वासन के बाद कुछ ग्राहक अपने भारी-भरकम कैश के साथ वापस भी लौटे। लेकिन 9 फरवरी को स्विस मीडिया ने जानकारी दी कि 2022 में बैंक को 7.9 अरब डॉलर का घाटा हुआ है। 2021 के घाटे के बाद 2022 लगातार दूसरा ऐसा साल बना जब बैंक ने घाटा झेला।
 
इन रिपोर्टों के बाद मार्च 2023 की शुरुआत में अमेरिकी सिक्यूरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने क्रेडिट स्विस की वार्षिक रिपोर्ट पर सवाल उठाए। अमेरिका में सिलिकॉन वैली और सिग्नेचर बैंक के खस्ताहाल होने से बने माहौल के बीच उठाए गए इन सवालों ने क्रेडिट स्विस के निवेशकों का भरोसा हिला दिया। दोनों अमेरिकी बैंकों को जोखिमभरे निवेश, वैश्विक ब्याज दरों में वृद्धि और गिरती बॉन्ड वैल्यू के कारण खस्ताहाल होना पड़ा।
 
वित्तीय बाजार में पैदा हुए इस भय ने क्रेडिट स्विस को भी लपेटे में लिया। निवेशकों ने जोखिम वाले बैंकों से पैसा निकालना शुरू किया। बॉन्ड के दाम धराशायी होने लगे और अरबों डॉलर की मार्केट वैल्यू साफ हो गई। 15 मार्च को क्रेडिट स्विस के सबसे बड़े निवेशक सऊदी नेशनल बैंक ने स्विस बैंक में कोई भी नया निवेश करने से इंकार कर दिया। इसके बाद ही क्रेडिट स्विस को स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक से कर्ज मांगने पर मजबूर होना पड़ा।
 
वैश्विक बाजार और भारत पर असर
 
क्रेडिट स्विस के संकट ने यूरोप, अमेरिका और एशिया के शेयर बाजारों पर असर दिखाया है। एशियाई निवेशक खास तौर पर वित्तीय निवेश के मुकाबले सुरक्षित माने जाने वाले गोल्ड, डॉलर और बॉन्ड मार्केट में पैसा लगाने लगे हैं। 54 अरब डॉलर के कर्ज के एलान के बाद निवेशकों में कुछ भरोसा जरूर लौटा है, लेकिन आशंकाएं पूरी तरह गायब नहीं हुई हैं। अमेरिका के मशहूर वॉल स्ट्रीट एनालिस्ट रॉबर्ट कियोस्की ने क्रेडिट स्विस के डूबने की भविष्यवाणी की है। कियोस्की ने 2008 की वैश्विक मंदी की भी भविष्यवाणी की थी।
 
इस बीच जापान की बैंकिंग लॉबी के प्रमुख का कहना है कि क्रेडिट स्विस संकट का जापानी बैंकिंग सिस्टम पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। उनके मुताबिक जापान के बैंकिंग सिस्टम में कैश फ्लो बरकरार रखने के लिए पर्याप्त पूंजी मौजूद है।
 
लेकिन भारत जैसे देशों के वित्तीय बाजार में इस संकट का असर पड़ सकता है। क्रेडिट स्विस भारत में 1997 से ऑपरेट कर रहा है। बैंक की वेबसाइट के मुताबिक भारत में उसके दफ्तर मुंबई, पुणे और गुरुग्राम में हैं। बैंक के वेंडर ऑफिस कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद में भी हैं। स्विट्जरलैंड के बाहर क्रेडिट स्विस की सबसे बड़ी छाप भारत में मौजूद है। भारत में यह स्विस बैंक एसेट, वेल्थ मैनेजमेंट, कैपिटल मार्केट्स एंड एडवाइजरी, सेल्स एंड ट्रेडिंग और फाइनेंस समेत कई तरह की सेवाएं देता है।

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