नादान-चंचल से प्यार में खतरा नहीं

मानसी

ND
हेलो दोस्तो! कई बार आप किसी की जिस अदा पर फिदा होते हैं वही बाद में आपको जी का जंजाल लगने लगती है। अक्सर आप किसी बच्चे की चंचलता व शोखी से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि आपको लगता है कि इस मासूमियत, बेफिक्री पर कुर्बान हो जाएँ। उस नादानी पर आपको बस प्यार ही प्यार आता है, चाहे उसके कारण कुछ नुकसान भी हो गया हो।

पर यह शरारत यदि रोज का शगल हो जाए तो उसी प्यार को चिंता व तनाव में बदलते भी देर नहीं लगती। किसी प्यारे से बच्चे की शरारत, शोर-गुल कुछ देर के लिए या कभी-कभार तो मन में खुशी के फव्वारे चला सकती है पर रोजाना के जीवन में उसे मुसीबत के सिवाय और कुछ नहीं माना जाता है।

ठीक इसी तरह अंकित (बदला हुआ नाम) भी एक प्यारी सी चंचल लड़की को दिल दे बैठे हैं। नैना (बदला हुआ नाम) की जिस अल्हड़पन, नादानी, बचपना और मासूमियत देख वह फिदा हुए थे वही खूबियाँ आज उन्हें अपने प्यार को स्थायी मोड़ देने में रोड़ा लगने लगी हैं। अंकित २४ वर्ष के हैं और नैना १८ की। यूं तो ५-६ साल का अंतर वयस्क व्यक्ति के बीच कोई चिंता का विषय नहीं है पर १८ की उम्र में नैना से अंकित जिस परिपक्वता की उम्मीद करते हैं वह उन्हें नैना में नहीं दिखती जिसके कारण इस प्रेम कहानी के भविष्य को लेकर वे फिक्रमंद रहते हैं।

अंकित जी, यदि आपकी पसंद की बात की जाए तो शायद आप गंभीर, संजीदा मिजाज, खामोश तबीयत, व्यावहारिक स्वभाव वाली युवती पसंद नहीं करेंगे। यदि ऐसा होता तो आपकी पसंद कोई परिपक्व व्यवहार दिखाने वाली युवती ही होती, न कि चंचल-शोख, हसीना नैना। नैना यदि गंभीर स्वभाव की होती तो शायद आप उस ओर आकर्षित ही नहीं होते। आपने जिस स्वभाव के कारण नैना को पसंद किया है, उन खूबियों को अपने सुखी जीवन का आधार मानिए, न कि परेशानी का सबब।

थोड़ी देर के लिए आप सोचकर देखें कि नैना बेहद धीर-गंभीर बन चुकी है, सब कुछ तोल-मोलकर बोल रही है। वह हँसी-मजाक के बजाय हर समय गूढ़ अर्थ वाली बातें कर रही है। उसके व्यक्तित्व में चंचलता की जगह ठहराव-सा आ गया है। यूँ कहें कि वह किशोरी दादी अम्मा है तो आप उसे कतई पसंद नहीं करेंगे।

आपके जीवन में जो खुशी, उमंग व सुरूर है वह नैना की बेफिक्र अदा के कारण है। उसका यही गुण आपको इस जीवन के तनाव से राहत दिलाता है। उसकी जिंदादिली आपको बेहद मुश्किल क्षण में भी उबर पाने का हौसला देती है इसीलिए आप उस पर दिलोजान से फिदा हैं।

सच कहा जाए तो आपको उसकी इस बिंदास रवैये से कोई शिकायत नहीं है पर पत्नी के फ्रेम में उसकी तस्वीर ठीक नहीं बैठती है, ऐसा आपको लगता है। पत्नी के खांचे में फिट करने के लिए आप उससे बेहद समझदारी भरे आचरण की अपेक्षा करते हैं। जब वह यह समझने को तैयार नहीं है तो आपको मायूसी महसूस हो रही है।

निराश होने के बजाय वह जैसी है उसे वैसा ही स्वीकार करें। बेशक वह अपनी उम्र के अनुसार चंचल व मस्त है पर वह बेवकूफ नहीं है इसलिए समय व परिस्थिति के अनुसार वह सब सीख जाएगी। हो सकता है, आपको अपने से ज्यादा अपने सगे-संबंधी के ताने का डर सता रहा हो कि न जाने उन लोगों के साथ वह दुनियादारी निभा पाएगी या नहीं। उसकी आप चिंता न करें, एक वयस्क लड़की जब शादी जैसे बंधन के लिए हामी भरती है तो वह भलीभांति जानती है कि वह एक औपचारिक रिश्ता जीने जा रही है। प्रेम-विवाह में पति के अलावा सभी अपने होते हुए भी थोड़े बेगाने होते हैं। कम से कम शुरुआती कुछ समय में तो ऐसा ही होता है इसलिए ऐसा नहीं है कि वह शादी की गंभीरता न समझे।

एक तरीका यह भी है कि उसे और थोड़ा समय दिया जाए और वह खुद ब खुद ही विवाह की गंभीरता समझकर उस ओर कदम उठाए। शादी के बाद वह अपनी भूमिका तो निश्चित ही समझ जाएगी पर वह बिल्कुल बदल जाए ऐसी आशा नहीं करना ही आपके हक में होगा। शादी के बाद सभी प्रेमी-प्रेमिका को यही शिकायत ताउम्र सताती है कि जिससे प्यार किया था वह साथी अब नहीं रहा। उस प्यारे से शख्स में ऐसा खड़ूस इंसान छुपा था इसकी कल्पना पहले होती तो निर्णय कुछ और होता।

आमतौर पर ऐसे जुमले बोलकर ही वे एक-दूसरे को कोसते रहते हैं। सभी यही कहकर आहें भरते हैं कि काश! जिस व्यक्ति के जिस गुण पर मर-मिटकर प्रेम किया था वह सदा वैसा ही रहता। ऐसा कहने के पीछे उनकी एक ही भावना काकरति जिन गुणों के आधार पर उन्होंने अपनी कल्पना का संसार रचा होता है वह दुनिया उन खूबियों के बिना बेरौनक हजातहैइसलिए शादी के बाद भी प्रेमी या प्रेमिका वैसे ही बने रहें यही कोशिश होनी चाहिए और यही खूबसूरत जिंदगी का राहै

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