23 मार्च 2020 - यही वह दिन था जब शिवराज सिंह चौहान पुनः मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। पर इस बार स्थिति पहले जैसी नहीं थी। यह एक कांटों का ताज जैसा था। प्रदेश में जहां एक ओर कोरोना ने पांव पसारे हुए थे, वहीं आर्थिक स्थिति रसातल में पहुंच चुकी थी। शिवराज की स्थिति रणभूमि में खड़े उस योद्धा की तरह थी, जिसके हाथ में कोई हथियार नहीं था और सामने प्रबल शत्रु लड़ने के लिए तैयार था। ऐसी स्थिति किसी भी जनसेवक के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है। पर शिवराज कोई कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं।
तीन बार मुख्यमंत्री पद के अनुभव के साथ लंबा राजनीतिक एवं प्रशासनिक अनुभव उनकी सबसे बड़ी शक्ति है। जनता की सेवा का उनका जज्बा अतुलनीय है। वह प्रदेश को अपना मंदिर, जनता को भगवान और स्वयं को उसका पुजारी समझते हैं। शिवराज ने कमर कस ली और 100 दिन की अल्पावधि में है न केवल कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण पा लिया बल्कि ध्वस्त पड़ी अर्थव्यवस्था मैं भी नए प्राणों का संचार कर दिया।
कार्यभार ग्रहण करते ही शिवराज ने रात में ही मंत्रालय में अधिकारियों की बैठक ली। उन्हें यह भान तो था ही कि प्रदेश की स्थिति विकट है, परंतु यह अंदाजा बिल्कुल भी न था कि कोरोना से निपटने के लिए व्यवस्थाएं शून्य हैं। चकाचौंध के पीछे की स्याही को शायद किसी ने अनुभव ही नहीं किया था। कर्जमाफी के लुभावने वादों, आईफा जैसे आकर्षक आयोजनों से कुछ दिन तो दिल बहलाया जा सकता था, परंतु धरातल पर यह कितने दिन टिकते? एक ओर जहां प्रदेश के कुछ बड़े नगरों में कोरोना अपना असर दिखा रहा था, वहीं दूसरी ओर उससे लड़ने के लिए कोई इंतजामात नहीं थे। प्रदेश में मात्र एक लैब था जिसकी 60 टैस्ट प्रतिदिन क्षमता थी। कोविड अस्पताल तैयार नहीं थे और न मास्क, पीपीई किट, ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटीलेटर्स की ही व्यवस्था थी। संक्रमण की स्थिति में जल्दी से जल्दी सारी व्यवस्थाएं करना "हरकुलियन टास्क'' था।
शिवराज सिंह ने अधिकारियों, प्रबुद्धजनों, समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों, मीडिया आदि सभी से विचार-विमर्श कर कोरोना पर नियंत्रण की प्रभावी रणनीति बनाकर इस पर तेजी से अमल शुरू किया। आई.आई.टी.टी अर्थात "आईंडिटिफाई, आयसोलेट, टैस्ट एण्ड ट्रीट'' की रणनीति बनाई गई। हर जिले में डेडिकेटेड कोविड अस्पताल, कोविड केयर सेंटर चिन्हित किए गए। साथ ही, निजी अस्पतालों को भी अनुबंधित किया गया। अस्पतालों में आयसोलेशन बैड्स, ऑक्सीजन, वेंटीलेटर्स, हाइड्रोक्सीक्लोरीक्वीन सहित अन्य दवाएं, मास्क, पीपीई किट आदि सभी आवश्यक सामग्रियां तो जुटाई ही गईं, साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सकों का समूह बनाकर कोरोना के इलाज की पुख्ता व्यवस्था की गई। दूसरी तरफ कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन को प्रदेश में प्रभावी तरीके से लागू किया गया।
पहली चुनौती थी टैस्टिंग क्षमता को जल्दी से जल्दी बढ़ाया जाना, जिससे कि एक-एक मरीज की पहचान कर उन्हें आयसोलेट कर इलाज किया जा सके तथा संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। सभी मैडिकल कॉलेज सहित अन्य अस्पतालों में टैस्टिंग लैब बनाए गए तथा टैस्टिंग क्षमता को तेजी से बढ़ाया गया। इसके अलावा हवाई जहाज से कोरोना के सैम्पल दिल्ली तथा अन्य महानगरों को भिजवाए गए, जिससे कि तेजी से जाँच की जा सके। आज की स्थिति में प्रदेश की टैस्टिंग क्षमता लगभग दस गुना बढ़कर 6000 से अधिक हो गई है।
दूसरी बड़ी समस्या थी पीपीई किट की अन-उपलब्धता जिसके अभाव में हमारे कोरोना योद्धा स्वास्थ्य कर्मी, पुलिस कर्मी आदि को संक्रमण का खतरा था। इसके लिए व्यापक पैमाने पर प्रयास किए गए तथा जल्द ही मध्यप्रदेश में बनाया गया पीपीई किट गुणवत्ता पर खरा उतरा। हर कोरोना योद्धा को पीपीई किट उपलब्ध कराए गए। कोरोना योद्धाओं को सुरक्षा कवच देने के लिए सरकार ने 50 लाख रूपए की सहायता का प्रावधान किया है। उन्हें सम्मानित भी किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री प्रतिदिन हर जिले की वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा करते रहे। इसके साथ ही चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ रोज इलाज की स्थिति जानते रहे। प्रदेश में कोरोना की मृत्यु दर कम करने के लिए "डैथ ऑडिट'' प्रारंभ किया गया। एक-एक प्रकरण की समीक्षा की गई। थोड़ी भी लापरवाही पाए जाने पर दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की गई तथा इलाज की सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था सुनिश्चित की गई, जिसके चलते प्रदेश की कोरोना रिकवरी रेट तेजी गति से बढ़ी। आज मध्यप्रदेश की कोरोना रिकवरी रेट 76.9 प्रतिशत है।
सर्वश्रेष्ठ उपचार के साथ ही संक्रमण को रोकना बहुत बड़ी चुनौती थी, जिसमें मध्यप्रदेश अत्यधिक सफल रहा है। लॉकडाउन के प्रभावी क्रियान्वयन के साथ ही गहन सर्वे, आयसोलेशन, होम क्वारेंटाइन, सुरक्षात्मक उपायों के उपयोग के लिए जनसामान्य को जागरूक करना, निरंतर जनता से अपील करना, समाज के सभी वर्गों का सहयोग लेना, कोरोना के संक्रमण को रोकने में मददगार साबित हुए।
हर जिले में "क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप" के माध्यम से विभिन्न गतिविधियां संचालित करना आदि वे कदम थे जिनसे मध्यप्रदेश में कोरोना के संक्रमण को बहुत तेजी से नियंत्रित किया गया। आज मध्यप्रदेश का कोरोना ग्रोथ रेट 1.44 रह गया है, जो भारत की कोरोना ग्रोथ रेट 3.69 से आधे से भी कम है। मध्यप्रदेश में कोरोना की डबलिंग रेट 48 दिन हो गई है। कोरोना संक्रमण की दृष्टि से मध्यप्रदेश भारत में 13वें स्थान पर आ गया है। वहीं सर्वाधिक प्रकरणों की दृष्टि से मध्य प्रदेश 9वें स्थान पर आ गया है।
प्रदेश में कोरोना से बचाव के लिए योग एवं आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, यूनानी आदि दवाओं के माध्यम से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को प्रभावी हथियार के रूप में अपनाया गया। आयुष विभाग द्वारा मध्यप्रदेश में 2 करोड़ से अधिक त्रिकटु काढ़े के पैकेट्स वितरित किए गए। इसी के साथ मुख्यमंत्री ने योग एवं प्राणायाम अपनाने की निरंतर लोगों से अपील की। योग गुरू बाबा रामदेव के साथ में प्रदेश के सभी चिकित्सा अधिकारियों की वीडियो कान्फ्रेंसिंग कराकर कोविड सेंटर्स में योग एवं प्राणायाम की समझाईश दी गई।
मजदूरों की चिन्ता - कोरोना संकट काल में सबसे बड़ी समस्या थी मध्यप्रदेश के प्रवासी मजदूरों की, जो काम की तलाश में अन्य प्रदेशों में गए थे। इन्हें जल्दी से जल्दी मध्यप्रदेश लाना था तथा इनकी सारी व्यवस्थाएं की जानी थीं। इस कार्य में भी मध्यप्रदेश ने कीर्तिमान स्थापित किए। न केवल बड़ी संख्या में बसों एवं ट्रेनों के माध्यम से प्रवासी मजदूरों को मध्यप्रदेश वापस लाया गया अपितु दूसरे प्रदेशों के मजदूरों को भी प्रदेश की सीमा तक वाहनों से छुड़वाने की व्यवस्था की गई। इसके साथ ही प्रवासी मजदूरों के लिए खाद्यान्न, भोजन, आश्रय आदि की व्यवस्था की गई। शिवराज का संकल्प था प्रदेश की धरती पर कोई भी भूखा नहीं सोएगा। प्रदेश में 7 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर वापस आए हैं। प्रवासी मजदूरों के आने से संक्रमण का खतरा तो बढ़ा परंतु सीमा पर उनकी स्वास्थ्य जाँच, उन्हें क्वारेंटाइन करने की आदि व्यवस्थाओं ने इस संक्रमण को न्यूतनम कर दिया।
प्रवासी मजदूरों की सफलतापूर्वक प्रदेश में वापसी के साथ ही एक बढ़ा प्रश्न था उनके रोजगार का। दैनिक कमाई कर अपनी दिनचर्या चलाने वाला यह वर्ग दो-चार दिन भी बिना काम के नहीं रह सकता। उनके लिए एक और मनरेगा योजना के अंतर्गत उनके जॉबकार्ड बनाकर उन्हें काम दिया गया, पंच परमेश्वर योजना के अंतर्गत पंचायतों को पर्याप्त संख्या में राशि उपलब्ध कराकर विभिन्न मजदूरी मूलक कार्य प्रारंभ कराए गए, वहीं सरकार ने "रोजगार सेतु पोर्टल" बनाया, जिसके माध्यम से मजदूरों को उनकी योग्यता के अनुसार ऑनलाइन नियुक्ति प्रदान की जा रही है। अभी तक प्रदेश में 10 हजार 921 मजदूरों को विभिन्न व्यवसायों में नियुक्ति प्राप्त हो गई है तथा 23 हजार 803 प्रवासी श्रमिकों को नियोक्ताओं द्वारा रोजगार प्रदाय किया जाना प्रक्रियाधीन है। प्रवासी मजदूरों को देश के विभिन्न राज्यों में एक ही राशन कार्ड से राशन उपलब्ध करवाने के लिए "वन नेशन वन राशन कार्ड" योजना प्रारंभ की गई है।
किसानों का पूरा ध्यान - लॉकडाउन के कारण प्रदेश की पहले से ही ध्वस्त अर्थव्यवस्था और बुरी हालात में पहुंच गई। किसानों की फसलें खड़ी थीं, यदि ये कटती नहीं और उन्हें सरकार का समर्थन प्राप्त नहीं होता तो किसानों की हालत बिगड़ जाती। लॉकडाउन की स्थिति में उनकी फसलों को समर्थन मूल्य पर खरीदना बहुत बड़ी चुनौती थी। संक्रमण न फैले और फसलें भी खरीद ली जाएं, इसकी पुख्ता व्यवस्था प्रदेश में बनाई गई। एक ओर किसानों को फसल कटाई, ट्रेक्टर, हार्वेस्टर, कृषि उपकरणों के सुधार आदि की व्यवस्था की गई वहीं कम संख्या में प्रतिदिन किसानों को एस.एम.एस भिजवाकर तथा खरीदी केन्द्रों पर फिजिकल डिस्टेंसिंग, सेनेटाईजेशन आदि की व्यवस्था बनाकर समर्थन मूल्य पर खरीदी का कार्य प्रारंभ किया गया।
सबसे बड़ी प्रसन्नता का विषय तो यह है कि इतनी प्रतिकूल परिस्थिति में भी मध्यप्रदेश ने गेहूँ का ऑलटाइम रिकार्ड उपार्जन किया तथा पंजाब जैसे कृषि प्रधान राज्य को भी गेहूँ खरीदी में पीछे छोड़ दिया। प्रदेश में एक करोड़ 29 लाख 34 हजार 500 मीट्रिक टन गेहूँ की खरीदी 16 लाख किसानों से की गई तथा उन्हें करीब 24 हजार करोड़ रूपये का भुगतान किया गया। किसानों के लिए सरकार ने शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराने की सुविधा पुन: प्रारंभ कराई है। साथ ही पिछले वर्षों की फसल बीमा की लगभग 2990 करोड़ रूपए की राशि किसानों के खातों में अंतरित की गई। तिवड़ा मिश्रित चने को समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने की केन्द्र सरकार से स्वीकृति प्राप्त करना भी चना उत्पादक किसानों के लिए मददगार साबित हुआ।
किसानों को उनकी उपज का अधिकतम मूल्य दिलाए जाने के लिए मण्डी अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे किसानों को मण्डी और सौदा पत्रक के माध्यम से अपनी फसल बेचने की सुविधा दी गई है। गरीब तबकों को हर प्रकार की सहायता देने के लिए संबल योजना पुन: प्रारंभ की गई है। यह गरीबों का सुरक्षा कवच बनकर सामने आयी है।
हितग्राहियों को सुविधा - लॉकडाउन पीरियड में विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों के खातों में जमा कराई गई विभिन्न योजनाओं की राशि बैंक से आहरित कर उनके घरों तक पहुंचाने के लिए प्रदेश में 10 हजार 343 बी.सी. तथा 10 हजार 700 कियोस्क के माध्यम से सुविधा प्रदान की गई है।
अर्थव्यवस्था को खड़ी करने के साथ ही एक बड़ी चुनौती थी घर बैठे विद्यार्थियों के अध्ययन तथा परीक्षा आदि की व्यवस्था। इस चुनौती में भी शिवराज खरे उतरे। सबसे पहले उन्होंने विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की, छात्रवृत्तियां उनके खातों में डालीं, मध्यान्ह भोजन की राशि भिजवाई गई, रसोईयों को मानदेय दिलवाया गया। इसके साथ ही 12वीं बोर्ड की परीक्षा को छोड़कर अन्य कक्षाओं के लिए गत वर्षों की परीक्षाओं के मूल्यांकन के आधार पर अगली कक्षाओं में प्रवेश की व्यवस्था की गई। विद्यार्थियों के लिए "टॉप पेरेंट एप" एवं "डिजी लैप" सुविधा उपलब्ध कराई गई है जिसके माध्यम से उनके मोबाइल पर ही वॉट्सएप पर उन्हें पठन सामग्री प्राप्त हो जाती है।
प्रदेश में गत 100 दिनों में कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण किए जाने के साथ ही विभिन्न उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। महिला स्व-सहायता समूहों को सुदृढ़ बनाने के लिए उन्हें 1433 करोड़ रूपए के कार्य दिए जा रहे हैं, वहीं इन समूहों को 04 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण देने की योजना बनाई जा रही है। प्रधानमंत्री आवास के अंतर्गत हितग्राहियों को किश्तें जारी की जा चुकी हैं। लघु वनोपज संग्रहण एवं तेंदूपत्ता संग्रहण, सहरिया, भारिया बैगा जैसी पिछड़ी जनजातियों को सहायता दिए जाने के साथ ही प्रत्येक पात्र आदिवासी को काबिज भूमि पर पट्टा दिये जाने के कार्य किये जा रहे हैं।
श्रम सुधार -श्रम सुधारों को लागू करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। जिनके माध्यम से, निवेश को तो बढ़ावा मिलेगा ही बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित होंगे तथा श्रमिकों का कल्याण होगा। इसी के साथ उद्योगों को विभिन्न सहूलियतें दी गई हैं जिससे प्रदेश में व्यापार और व्यवसाय के नए अवसर सृजित होंगे। छोटे, मझौले उद्योगों को बढ़ावा देने के सरकार ने सार्थक कार्य किये हैं। प्रदेश में उद्योगों को प्रोत्साहन के लिए निवेश प्रोत्साहन समिति बनाई गई है तथा उद्योगपतियों को "विकास पार्टनर" बनाया गया है।
कोविड काल में विभिन्न वर्गों को प्रत्यक्ष सहायता भी सरकार ने दिलायी है। प्रवासी मजदूरों, निर्माण श्रमिकों को राशि उनके खातों में भिजवाई गई है। विभिन्न प्रकार की सामाजिक सुरक्षा पेंशन की अग्रिम राशि हितग्राहियों के खातों में अंतरित की गई है।
कोविड काल में शहरी छोटे व्यापारियों/व्यवसायियों का भी काम-धंधा बुरी तरह प्रभावित हुआ। सरकार ने इनके कल्याण के लिए "स्ट्रीट वेण्डर्स कल्याण योजना" बनाई है वहीं "एकीकृत पोर्टल" भी प्रारंभ किया गया है, जिसके माध्यम से उन्हें विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाएगा।
आदिवासियों को साहूकारों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए सरकार मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति ऋण मुक्ति विधेयक की तैयारी में है, जिसमें अनुसूचित क्षेत्रों में निवासरत अनुसूचित जनजाति वर्ग के सभी व्यक्तियों के 15 अगस्त 2020 तक के सभी ऋण ब्याज सहित माफ किए जाने का प्रावधान किया जा रहा है। अन्य वर्गों को भी साहूकारों के चंगुल से छुड़ाने के लिए मध्यप्रदेश साहूकार (संशोधन विधेयक 2020) भी शीघ्र लाया जाएगा।
पिछले 100 दिनों में प्रदेश में ऐसी अनेक उल्लेखनीय उपलब्धियां सरकार के खाते में गई है, जो कि प्रदेश के आर्थिक विकास को तो गति देंगी ही, सभी वर्गों विशेष रूप से किसान, गरीब, पिछड़े एवं दलित वर्गों के कल्याण का नया मार्ग प्रशस्त करेंगी। कोरोना जैसे भयानक संकट एवं ध्वस्त अर्थव्यवस्था होने के बावजूद विभिन्न हितग्राहियों के खातों में लगभग 35 करोड़ रूपए की राशि इतनी अल्प अवधि में भिजवाए जाना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। और इसका एकमात्र श्रेय जाता है कोरोना महायोद्धा शिवराज सिंह चौहान को। उनके नेतृत्व में कोरोना हारा है, मध्यप्रदेश जीता है।