वर्ष 2019 में मकर-संक्रांति को लेकर जनमानस में संशय की स्थिति बनी हुई है कि आखिर किस दिन संक्रांति का पर्व मनाया जाना शास्त्रसम्मत है। विद्वत्जन अपनी-अपनी मान्यतानुसार तर्क देकर जनमानस के इस संशय को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि मकर-संक्रांति के संबंध में वास्तविक तथ्य क्या हैं-
किसे कहते हैं मकर-संक्रांति-
ज्योतिष शास्त्रानुसार सूर्य के गोचर अर्थात् एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्रांति कहा जाता है। सूर्य का यह राशि परिवर्तन लगभग 1 माह उपरांत होता है। इस सिद्धान्त के अनुसार संक्रांति प्रतिमाह आती है किन्तु जब सूर्य गोचर अनुसार मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर-संक्रांति कहा जाता है। हिन्दू धर्म में संक्रांति का पर्व बड़े ही उत्साह व धूमधाम से मनाए जाने की परंपरा है।
इस वर्ष मकर-संक्रांति 14 को मनाएं या 15 को?
वर्ष 2019 में सूर्य दिनांक 14 जनवरी को सायंकाल 07 बजकर 45 मिनट पर अपनी राशि परिवर्तन कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस सिद्धान्तानुसार मकर-संक्रांति 14 जनवरी को सायंकाल 07 बजकर 45 मिनट पर होगी किन्तु पर्व की मान्यतानुसार मकर-संक्रांति में स्नान-दान का विशेष महत्व होता है एवं शास्त्रानुसार जिन पर्व,त्योहार व व्रतों में दैनिक क्रियाकलाप व कर्मकांड किए जाते हैं उनमें सूर्योदयकालीन तिथि को ही प्रधानता दी जाती है।
वहीं पंचाग के अनुसार दिन व दिनांक का परिवर्तन सूर्योदय के पश्चात ही होता है अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार रात्रि 12 बजे से नहीं। अत: सूर्योदयकालीन तिथि की मान्यतानुसार सूर्य मकर राशि में दिनांक 15 जनवरी को होंगे 14 को नहीं। अत: वर्ष 2019 में मकर-संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को ही मनाया जाना शास्त्रसम्मत व श्रेयस्कर है।