अधिकांश मध्यमवर्गीय भारतीय घरों में बच्चे देर रात तक पढ़ते हैं। किताबों से भरी टेबल पर वे कम्प्यूटर के सामने बैठे रहते हैं और माता-पिता समझते हैं कि उनके बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। कुछ स्मार्ट अभिभावक अपने बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट पर निगरानी रखते हैं और समझते हैं कि उनका दायित्व पूरा हो गया। हजारों माता-पिताओं को तो यह मालूम ही नहीं कि उनका बेटा या बेटी कम्प्यूटर और स्मार्टफोन का उपयोग किस तरह कर रहे हैं?
ब्लू व्हेल और हॉट वॉटर चैलेंज जैसे ऐप को छोड़ दें तो आजकल ऐसे हजारों ऐप हैं जिनमें बच्चे उलझे रहते हैं और अपने दैनंदिन कार्यों की उपेक्षा करते हैं। मार्को पोलो, हाउस पार्टी और फायर चैट जैसे नए चैट रूम्स वाले ऐप तेजी से डाउनलोड हो रहे हैं, जहां बच्चे पढ़ाई को छोड़कर टाइमपास करते हुए दिख जाते हैं।
गूगल प्ले स्टोर से मार्को पोलो ऐप 1 करोड़ से ज्यादा बच्चों द्वारा डाउनलोड किया जा चुका है। इसमें एक खेल है वॉकी-टॉकी। ऐप उपयोग करने वाले को वहां अपना एक वीडियो चलते हुए रिकॉर्ड करना है और अपने मित्र को पोस्ट करना है। जिसे वह वीडियो मिलेगा, वह उसके आगे का एक वॉकी-टॉकी वीडियो बनाएगा और किसी तीसरे मित्र को भेज देगा।
मॉर्को पोलो के बारे में कहा जाता है कि वह एक मैसेजिंग प्लेटफॉर्म है, लेकिन खतरा यह है कि बच्चे उसके माध्यम से अनजान लोगों के संपर्क में आ जाते हैं। अगर ऐसे ग्रुप में परेशान करने वाले वीडियो भी हो तो उन्हें पकड़ना आसान नहीं है, क्योंकि वीडियो को आसानी से डिलीट किया जा सकता है। इस ऐप में किसी को ब्लॉक करने का ऑप्शन मौजूद है। लेकिन हो सकता है कि परेशान करने के लिए सामने वाला व्यक्ति कोई तीसरा मोबाइल उपयोग में ले आए।
येलो नाम का एक और मैसेजिंग ऐप चर्चा में है, जो किशोर उम्र के बच्चों के लिए है। इसकी सदस्यता पाने के लिए 13 वर्ष की आयु होना जरूरी है। यहां उपयोगकर्ता 13 वर्ष का है ही, उसे जांचने का कोई तरीका नहीं है। येलो की तुलना एम टीवी चैनल की बीच पार्टी से की जाती है, जहां समुद्र के किनारे किशोर और युवा मस्ती करते रहते हैं। इस ऐप के जरिए आप स्कूल के बच्चों से जुड़ सकते हैं। शिकायतों के बाद येलो ऐप बनाने वालों ने मॉडरेटर्स की व्यवस्था की है, जो संचालन और व्यवस्था का दायित्व निभाते हैं।
मोबाइल ऐप बनाने वालों ने कुछ ऐसे ऐप बनाने शुरू कर दिए हैं जिनमें यूजर का चेहरा नहीं दिखता, बल्कि रेखाचित्र नजर आता है। फेसबुक पर युवाओं द्वारा अश्लील तस्वीरें पोस्ट करने के बाद हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय ने ऐसे 10 विद्यार्थियों के प्रवेश रद्द कर दिए, जो सोशल मीडिया पर शिष्टता की सीमाएं पार कर रहे थे।
इसी के बाद यह जरूरत महसूस की गई कि कुछ ऐसे ऐप बनाए जाएं, जहां तस्वीर की जगह रेखाचित्र से ही काम चल जाए। इस तरह के ऐप किशोरों और युवाओं में दोस्ती के बजाय दुश्मनी निकालने के माध्यम बन रहे हैं। ब्रिटेन में 15 साल की एक लड़की ने आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसे इस तरह के ऐप पर धमकियां मिल रही थीं।
स्नेपचैट और इंस्टाग्राम की तरह ही ‘लाइव.ली’ नाम का एक ऐप चर्चा में है। यह ऐप किशोर उम्र के बच्चों में बहुत लोकप्रिय हो रहा है। ऐप को बनाने वालों का दावा है कि इसकी सदस्यता लेने के लिए फोटो, परिचय, वीडियो और उम्र का दस्तावेज जरूरी है।
गत वर्ष जून में स्नेपचैट ने स्नेपमेप नाम का एक टूल लांच किया था जिसके माध्यम से उसे उपयोग करने वाले की लोकेशन तक पहुंचा जा सकता था। जैसे ही कोई वह ऐप ऑन करता है, उसकी लोकेशन दूसरे लोगों को नजर आने लगती है। इसे बनाने वालों का दावा है कि यह ऐप सुरक्षा के लिए बनाया गया है ताकि संकट में पड़े किसी भी यूजर तक उसके मददगार पहुंच सकें।
सॉफ्टवेयर कंपनियां इतनी चतुर हैं कि जैसे ही कोई ऐप विवादों में आता है, वे उसका तोड़ निकालकर नया ऐप लांच कर देते हैं। छोटे बच्चे और किशोर उम्र के यूजर इस तरह के ऐप के झांसे में आ जाते हैं। बच्चे चाहते हैं कि उनके अभिभावकों को यह पता न चले कि वे क्या कर रहे हैं? इसीलिए बच्चे नए-नए ऐप को अपनाने लगते हैं और पुराने ऐप डिलीट करते जाते हैं। जब तक अभिभावकों को यह पता चलता है कि उनके बच्चे कहां वक्त जाया कर रहे हैं, तब तक वो ऐप गायब हो चुका होता है।
साइबर सुरक्षा अधिकारियों को मामले की पड़ताल करने पर ऐसे-ऐसे दिलचस्प सवालों का सामना करना पड़ता है कि वे खुद अचंभित हो जाते हैं। जांच के दौरान एक बच्चे ने सवाल किया कि आप यह क्यों सोचते हैं कि हम ऐप का दुरुपयोग कर रहे हैं? हम तो ऐप का उपयोग कर रहे हैं।
क्या आपको मालूम है, जब एलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने टेलीफोन का आविष्कार किया था, तब लोगों ने कितने सवाल किए थे और कहा था कि टेलीफोन के माध्यम से किसी को भी परेशान करना कितना आसान होगा? आप देख सकते हैं कि साधारण से टेलीफोन ने जब इंसान की जिंदगी को इतना आसान बना दिया, तब इन आधुनिक ऐप के बारे में खामियां ढूंढना कितना जायज है?