अब ‘बिटकाइन के बदले सोने’ की सनक

रविवार, 27 जुलाई 2014 (17:54 IST)
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नई दिल्ली। भारत सहित भिन्न देशों के नियामकों के लिए ‘बिटकाइन के बदले सोने’ का कारोबार एक नई संभावित सरदर्दी बन गया है, क्योंकि इससे इससे बिटकइन जैसी इंटरनेट की दुनिया में प्रचलित मुद्राओं के लिए भूख और बढ़ी है जबकि ऐसी आभासी मुद्राओं को कानूनी मान्यता नहीं है।

‘बिटकाइन के बदले सोने’ के कारोबार की यह प्रवृत्ति ऐसे समय में देखने में मिली है जबकि बाजार में उपलब्ध आभासी मुद्राएं 500 के आंकड़े के निकट पहुंच रही हैं। प्रमुख आभासी मुद्रा बिटकाइन की कीमत अब लगभग 500-600 डॉलर पर स्थिर होती नजर आ रही है जबकि इसके आधे दशक के अस्तित्व में इसमें तेजी का रुख रहा था।

बिटकाइन कारोबारियों का कहना है कि बिटकाइन की दरों में स्थिरता से इनके सोने के बदले कारोबार को बल मिला है। सोना इस समय 1300 डॉलर प्रति औंस से नीचे या भारत में 28,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के आसपास है।

बाजार मूल्य के हिसाब से बिटकाइन बाजार लगभग 8 अरब डॉलर आंका जाता है। यह आभासी मुद्रा एक के बाद एक विवाद में फंसती रही है, क्योंकि इसके नियमन की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण इसके दुरुपयोग की आशंका अधिक है। सोने से इसका संबंध भी ऐसा ही एक और दुरुपयोग है।

उद्योग सूत्रों के अनुसार कुछ फर्मों व कारोबारियों ने सोने के बदले बिटकाइन की बिक्रीशुरू की है। इस नई प्रवृत्ति का दोहन करने के लिए हर दिन नई से नई वेबसाइट सामने आ रही है।

बिटकाइन उद्योग की इस लिहाज से भारत व चीन पर निगाह है, क्योंकि इन दोनों देशों का सोने से लगाव जगजाहिर है। इन देशों में लोग हर साल सैकड़ों टन सोने की खपत करते हैं।

भारत में बिटकाइन व अन्य आभासी मुद्राओं के लिए कोई अलग से दिशा-निर्देश नहीं है, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक ने इनके लेन-देन से जुड़े जोखिमों के प्रति आगाह किया है। (भाषा)

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