दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोगों को चमत्कारी उपचार का झांसा देने वाले निर्मल बाबा के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए दायर एक याचिका पर सरकार से जवाब तलब किया है।
न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडला ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर निर्मल बाबा के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता एके जैन की ओर से दायर याचिका पर जवाब मांगा है।
इसके अलावा न्यायालय ने निवेदक से उनकी याचिका में निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा को भी एक पक्षकार बनाने का आदेश दिया है। वकील सुग्रीव दुबे के जरिए दायर कराई गई याचिका में जैन ने निर्मल के खिलाफ ड्रग एंड मैजिक रेमेडीज ऑब्जेक्शनेबल एडवर्टाइजमेंट एक्ट (डीएमआरओए) के तहत प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए न्यायालय से आदेश मांगा है।
जैन ने अपनी याचिका में कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया पर अपने विज्ञापनों में निर्मल ने खुद को भगवान का प्रतिनिधि बताने का झूठा दावा किया है। उन्होंने कहा कि इन विज्ञापनों में निर्मल ने लोगों से अपनी इच्छाओं को पूरा करने एवं उनके चमत्कारी उपचार के जरिए किसी भी बीमारी का इलाज करने के लिए उनके खाते में धन जमा करने को भी कहा है। याचिका में कहा गया कि यह कदम डीएमआरओए अधिनियम का उल्लंघन है और उन विज्ञापनों पर रोक लगाना केंद्र एवं दिल्ली सरकार का कर्तव्य है।
निर्मल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग करने के साथ इस याचिका में कहा गया है कि ‘निर्मल ने जिन विभिन्न खातों से धन इकट्ठा किया है, उन्हें जब्त करने का आदेश दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये धन आम लोगों के साथ धोखा कर के कमाया गया है'। (भाषा)