पक्षियों ने लगाई विमानन कंपनियों को करोड़ों की चपत

बुधवार, 18 नवंबर 2009 (17:32 IST)
पक्षियों ने इस साल देश की नागर विमानन कंपनियों को कम से कम 7 करोड़ रुपए का नुकसान पहुँचाया है। वास्तव में पक्षियों के विमानों से टकराने की वजह से कंपनियों को यह नुकसान हुआ है।

सरकार द्वारा जारी आँकड़ों के मुताबिक इस वर्ष अक्टूबर के अंत तक विभिन्न घरेलू एयर लाइनों के विमानों से पक्षियों के टकराने की 241 घटनाएँ दर्ज की गईं। पिछले वर्ष इसी अवधि में ऐसे 277 मामले दर्ज किए गए। इनमें एयर इंडिया में 24, जेट में 49, किंगफिशर 60, इंडिगो 27, स्पाइस जेट 30, पैरामाउंट 1 और गो एयर ने ऐसी 7 घटनाओं की सूचना दी। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय एयरलाइनों ने ऐसे 34 और अन्य विमानों ने 6 मामलों की रपट दी।

ऐसी घटनाओं के कारण इस वर्ष स्पाइस जेट को 5.57 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा, जबकि जेट एयरवेज को 8.91 लाख रुपए, इंडिगो को 87 लाख रुपए और गोएयर को 45.6 लाख रुपए की चपत लगी। एयर इंडिया और किंगफिशर को हुए नुकसान के आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

नागर विमानन मंत्रालय द्वारा गठित राष्ट्रीय पक्षी नियंत्रण समिति (एनबीसीसी) ने विमानों से पक्षियों के टकराने की बढ़ती घटना को देखते हुए सुरक्षा संबंधित गंभीर मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को नागर विमानन सचिव एमएम नांबियार से मुलाकात की।

इस समस्या के निबटने के लिए एनबीसीसी द्वारा जारी दिशा-निर्देश पर नागर विमानन महानिदेशालय ने जो कार्रवाई की, बैठक में उन पर चर्चा की गई।

उल्लेखनीय है कि नए नियमों के तहत हवाईअड्डा एवं हवाईपट्टी क्षेत्र और उसके आसपास के इलाकों में मरे हुए पशु-पक्षियों को खुला फेंकने की रोकथाम के लिए प्रावधान सख्त किए हैं क्योंकि इनसे पक्षी आकर्षित होते हैं। ऐसे मामले में एक लाख रुपए का जुर्माना या तीन महीने की कैद या दोनों की सजा का प्रावधान है।

बैठक में विभिन्न निजी एवं सार्वजनिक हवाई अड्डों पर विमानों से पक्षियों के टकराने की घटना रोकने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों एवं तरीकों की डीजीसीए द्वारा समीक्षा की गई। इसके अलावा विमानन कंपनियों द्वारा ऐसी (पक्षी से टकराने) घटना की रिपोर्टिंग के लिए ऑनलाइन प्रणाली लगाना अनिवार्य कर दिया गया और कंपनियों को इसकी सूचना डीजीसीए की वेबसाइट पर देनी होगी। (भाषा)

वेबदुनिया पर पढ़ें