भ्रष्ट जज का प्रमोशन, भाजपा भी फंसी...

मंगलवार, 22 जुलाई 2014 (09:41 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने जिस भ्रष्ट जज के प्रमोशन पर संप्रग सरकार को कटघरे में खड़ा किया था उसकी नियुक्ति राजग के कार्यकाल में हुई थी।
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एबीपी न्यूज के अनुसार हाईकोर्ट जज के रूप में इस जज की नियुक्ति 3 अप्रैल 2003 को हुई थी। उस समय देश में राजग का राज था। उन्हें मद्रास हाईकोर्ट में जज बनाया गया था। हालांकि भाजपा ने मामले पर सफाई देते हुए कहा कि हम पर कोई दबाव नहीं आया।

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और वर्तमान में भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने सोमवार को यह आरोप लगाकर एक विवाद खड़ा कर दिया कि 3 पूर्व प्रधान न्यायाधीशों ने संप्रग सरकार के इशारे पर मद्रास उच्च न्यायालय के एक अतिरिक्त न्यायाधीश को विस्तार देने के मामले में समझौता किया था और संप्रग ने ऐसा इसके एक सहयोगी स्पष्टत: द्रमुक के दबाव में किया।

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू के इस दावे पर कोई टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया कि तीन पूर्व प्रधान न्यायाधीशों ने संप्रग एक सरकार के समय में भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे तमिलनाडु के एक न्यायाधीश को बनाए रखने के लिए अनुचित समझौते किए।

प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किए जाने पर, सिंह ने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं कहना है क्योंकि पूर्व विधि मंत्री हंसराज भारद्वाज इस मुददे पर पहले ही स्पष्टीकरण दे चुके हैं।

उधर, पूर्व प्रधानमंत्री के करीबी सहयोगियों ने काटजू के दावे को खारिज करते हुए कहा कि सिंह के विदेशी दौरे पर जाते या विदेशी दौरे से आते वक्त हवाई अड्डे पर कभी किसी ने उनसे बात करने की कोशिश नहीं की।

उन्होंने कहा कि वास्तव में हवाई अड्डे पर इस तरह की बैठक की कोई गुंजाइश नहीं थी क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री अपनी कार से विमान ‘एयर इंडिया वन’ के बिल्कुल सामने उतरते थे।

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इससे पहले भारद्वाज ने कहा कि न्यायाधीश को कोई अनुचित मदद नहीं दी गई क्योंकि उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था।

उन्होंने कहा कि जहां तक गठबंधन सरकार पर राजनीतिक दबाव की बात है तो न्यायाधीशों की नियुक्ति पर (घटक दलों की ओर से) हमेशा दबाव रहा जिसके सामने मैं कभी नहीं झुका।

भारद्वाज ने कहा कि रिकॉर्ड साबित करेंगे कि संप्रग एक सरकार के दौरान विधि मंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल में न्यायपालिका की पूरी तरह से सुरक्षा की गई और जो नियुक्तियां की गईं वे उत्कृष्ट थीं। उन्होंने इस बात की खारिज किया कि सरकार पर इस मुददे पर दबाव था।

उन्होंने कहा, ऋमुझ पर दबाव डालने का कोई सवाल नहीं है। हां, राज्यमंत्री सहित 18 सांसद आए थे। उन्होंने कहा कि इस व्यक्ति के साथ अन्याय हो रहा है जो अनुसूचित जाति का है और हमारे लोग इससे बहुत नाराज हैं। मैंने कहा कि मैं इस पर फैसला नहीं ले सकता हूं, इस पर प्रधान न्यायाधीश फैसला करेंगे।

भारद्वाज ने कहा कि सांसद अतिरिक्त न्यायाधीश की स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति चाहते थे। उन्होंने कहा कि उनके नजरिये प्रधान न्यायाधीश को भेज दिए गए थे और उन्होंने इस न्यायाधीश को सीधे स्थायी न्यायाधीश के तौर पर स्थायी नहीं करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि वह विवेकपूर्ण जांच करेंगे और इसके बाद फैसला किया जाएगा। (भाषा)

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