Abhay ji first memorial day: पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार स्व. श्री अभय जी के प्रथम स्मृति दिवस प्रसंग का आयोजन 23 मार्च, 2024 लाभ मंडपम (अभय प्रशाल) में किया जा रहा है। सायं 5.30 बजे कार्यक्रम की शुरुआत होगी। इस दौरान गायक गौतम काले भक्ति पद पेश करेंगे साथ ही इस अवसर पर अभय जी पर केन्द्रित वीडियो डॉक्यूमेंट्री का भी प्रसारण किया जाएगा।
अभय जी का संक्षिप्त परिचय
4 अगस्त 1934 को इंदौर में अभय जी का जन्म हुआ।
1955 में पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया।
1963 में नईदुनिया समाचार पत्र के कार्यकारी संपादक का कार्यभार संभाला बाद में लंबे अरसे तक नईदुनिया के प्रधान संपादक भी रहे।
वर्ष 1965 में उन्होंने पत्रकारिता के विश्व प्रमुख संस्थान थॉम्सन फाउंडेशन, कार्डिफ (यूके) से स्नातक की उपाधि ली। हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र से इस प्रशिक्षण के लिए चुने जाने वाले वे पहले पत्रकार थे।
अभयजी को श्रेष्ठतम पत्रकारिता के लिए 2009 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
अभय छजलानी भारतीय भाषाई समाचार पत्रों के शीर्ष संगठन इलना के तीन बार 1988, 1989 और 1994 में अध्यक्ष रहे।
अभयजी इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी (आईएनएस) के 2000 में उपाध्यक्ष और 2002 में अध्यक्ष रहे।
अभयजी 2004 में भारतीय प्रेस परिषद के लिए मनोनीत किए गए, जिसका कार्यकाल 3 वर्ष रहा।
उन्हें 1986 का पहला श्रीकांत वर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया।
1995 में मप्र क्रीड़ा परिषद के अध्यक्ष बने।
ऑर्गनाइजेशन ऑफ अंडरस्टैंडिंग एंड फ्रेटरनिटी द्वारा वर्ष 1984 का गणेश शंकर विद्यार्थी सद्भावना अवॉर्ड वर्ष 1986 में राजीव गाँधी ने प्रदान किया।
पत्रकारिता में विशेष योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1997 में जायन्ट्स इंटरनेशनल पुरस्कार तथा इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार प्रदान किया गया।
छजलानी को इंदौर में इंडोर स्टेडियम अभय प्रशाल स्थापित करने के लिए भोपाल के माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान ने सम्मानित किया गया।
उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय योगदान के लिए ऑल इंडिया एचीवर्स कॉन्फ्रेंस ने दिल्ली में 1998 में राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार प्रदान किया गया।
इंदौर में नर्मदा का जल लाने के लिए चले आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। उसी का परिणाम है कि इंदौर के लोगों को नर्मदा का जल मिल रहा है।
वे लालबाग ट्रस्ट इंदौर के अध्यक्ष भी रहे।
अभय जी ने दुनिया के कई महत्त्वपूर्ण देशों की यात्रा की। इनमें सोवियत संघ, जर्मनी, फ्रांस, जॉर्डन, यूगोस्लाविया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, थाईलैंड, इंडोनेशिया, तुर्की, स्पेन, चीन आदि शामिल हैं।
अभयजी पर दिग्गजों के विचार :
अभय प्रशाल के निर्माण को लेकर जब भारत रत्न गायिका लता मंगेशकर से कहा गया कि इसमें (अभय प्रशाल) आपका भी अमूल्य योगदान है तो लताजी ने कहा था- नहीं इसका श्रेय मुझे मत दीजिए। यह कार्य श्री अभय छजलानी का है। यह उनकी जिद थी और बगैर जिद के कोई महत्वाकांक्षा पूरी नहीं होती।
गीतकार और मध्य प्रेदश के पूर्व मंत्री विट्ठल भाई पटेल ने आजादी की 50वीं वर्षगांठ पर कहा था- नईदुनिया श्री अभय छजलानी के लिए एक मिशन है- आजादी की लड़ाई में कांग्रेस पार्टी जैसा मिशन। अभयजी संपूर्णता, विश्वसनीयता और प्रामाणिकता में आस्था रखते हैं और उनकी यही आस्था उन्हें आज के अखबारी जग में विशिष्ट बनाती है।
बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष और क्रिकेट समीक्षक राजसिंह डूंगरपुर ने अभयजी के बारे में कहा था- जहां तक अभय छजलानी से मेरे रिश्तों और मित्रता का सवाल है, तो मैं अपने आपको भाग्यशाली समझता हूं कि अभयजी मेरे मित्र हैं। करीब 25 वर्षों से मैं उन्हें जानता-पहचानता हूं।
यह कहते हुए मुझे प्रसन्नता और गर्व है कि मेरा यह सुस्वभावी मित्र का व्यक्तित्व और प्रतिभा बहुअंगी-बहुरंगी है। नईदुनिया जैसे हिन्दी के अग्रणी समाचार पत्र के वे सफल संपादक हैं। यूं कहूं तो नईदुनिया को अभयजी ने अपने खून-पसीने से सींचा है। अखबार की सफलता कभी भी उनके सिर से ऊपर नहीं गई। वे परिचित-अपरिचित सभी के लिए सहज और निर्मल हैं। उनसे मिलने पर एक अलग किस्म के सुख की अनुभूति होती है।