आर्थर रोड जेल से किसी भी वक्त बाहर आ सकते हैं आर्यन
शाहरुख खान के बॉडीगार्ड रवि आर्यन को लेने अंदर जाएंगे
आर्यन खान शाहरुख खान की बगल वाली सीट पर बैठेंगे
हो सकता है आर्यन को पीछे वाली सीट पर बैठाया जाए
शाहरुख जब भी आर्यन से मिलने आए इसी रेंज रोवर से आए
शाहरुख की मन्नत पूरी हुई
जेल से आर्यन को होटल ले जाया जाएगा
नहीं, नहीं, उन्हें सीधे मन्नत ले जाया जाएगा, क्योंकि गौरी खान वहां आर्यन का इंतजार कर रही हैं।
शाहरुख अपने बेटे से बहुत प्यार करते हैं। उनका बस चलता तो वे जेल के अंदर जाते और आर्यन को अपनी गोद में उठाकर बाहर ले आते।
शनिवार की सुबह करीब 11 बजे देश के न्यूज चैनल्स पर आर्यन के जमानत पर बाहर आने पर जो रिपोर्टिंग की जा रही थी, वहां से ठीक ऐसी ही आवाजें आ रही थीं। यह सब नेशनल न्यूज चैनल्स पर चल रहा था। यह तो सिर्फ भारतीय मीडिया की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग का महज एक नमूनाभर है। आर्यन के जेल में रहते हुए मीडिया ने अपनी पैनी नजर से जिस हौंसले और साहस के साथ उनके बारे में खबरों का खुलासा किया है, वो पूरे भारत में देश की पत्रकारिता का परचम लहराएगा।
आर्यन मामले में मीडिया ने जो रिपोर्टिंग की है उसे विदेशी मीडिया केस स्टडी के तौर पर अपने पत्रकारिता यूनिवर्सिटीज में पढ़ाएगा।
क्योंकि 28 दिनों की आर्यन की जेल के दौरान मीडिया जेल के अंदर तक की खबरें ले आया था।
एक खबर मीडिया में आई थी कि शाहरुख के बेटे आर्यन जेल में पारले जी बिस्किट को पानी में डूबाकर खा रहे हैं, और इसके बाद उन्हें कब्ज की शिकायत भी हो गई।
एक दूसरी खबर मीडिया में आई थी, जेल में रह रहे दूसरे कैदियों से आर्यन की दोस्ती हो गई है, आर्यन उन सजायाफ्ता कैदियों के इतने अच्छे दोस्त हो गए है कि उन्होंने जेल के बाहर आने पर भी उन कैदियों से दोस्ती निभाने का वादा किया है। आर्यन ने वादा किया है कि जेल में रह रहे उनके कुछ नए दोस्तों की माली हालत बेहद खराब है, जब वे जेल से बाहर आएंगे तो आर्यन उनकी आर्थिक मदद करेंगे।
यूं ही नहीं पूरी दुनिया में भारतीय मीडिया की तूती बोलती है, देश में कोयले की खपत और स्टोरेज की खबर को छोड़कर आर्यन की खबरें दिखाना वो भी अंदरखाने की खबरें बाहर लाना कोई मामूली बात नहीं है।
इसीलिए तो सोशल मीडिया में लोग कह रहे हैं... समीर वानखेड़े, नवाब मलिक और आर्यन खान के चक्कर में कोई ये नहीं बता रहा है कि देश में कोयला कितने दिन का बचा है.
यह मीडिया के लिए बड़ा दिन था, हो भी क्यूं नहीं, ऐसा दिन रोज रोज और बार-बार नहीं आता। ऐसा दिन तभी आता है जब कोई सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या करता है, किसी रिया चक्रवर्ती को हिरासत में लिया जाता है या कोई राज कुंद्रा अश्लील फिल्में बनाने के आरोप में अंदर जाता है। अब आर्यन ने यह दिन मीडिया के लिए बड़ा दिन बनाया। अगर यह सब नहीं होता तो मीडिया 28 दिनों तक क्या करता।
यह जिम्मेदारी तो नेताओं, सेलिब्रेटी और रसूखदार लोगों की बनती है कि वे समय समय पर कोई न कोई अपराध करते रहें और मीडिया का काम चलता रहे। यही तो भारतीय मीडिया की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग है...अगले केस का इंतजार कीजिए!