नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने विदेश मंत्रालय से कहा है कि भारत बिना इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस के भी भगोड़े अरबपति मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण की कोशिश कर सकता है क्योंकि इस प्रक्रिया के लिए यह कोई अनिवार्य जरूरत नहीं है।
इस माह के प्रारंभ में मंत्रालय को पत्र लिखकर सीबीआई ने कहा कि रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) का उद्देश्य फरार आरोपी के ठिकाने का पता लगाना होता है, जो चोकसी के मामले में पहले ही हो चुका है क्योंकि एंटीगुआ पुष्टि कर चुका है कि वह उसका नागरिक है।
जांच एजेंसी ने यह भी कहा है कि आरसीएन का अब कोई विशेष महत्व भी नहीं है क्योंकि एंटीगुआ उसे नागरिकता दे चुका है और चोकसी अब एंटीगुआ का पासपोर्टधारक है। उसने मंत्रालय को यह भी बताया है कि उसने चोकसी की अंतरिम गिरफ्तारी की मांग करते हुए एंटीगुआ के अपने समकक्ष को पत्र भी लिखा है। चोकसी पंजाब नेशनल बैंक में दो अरब डॉलर से अधिक की ऋण धोखाधाड़ी में कथित मुख्य षड्यंत्रकर्ता है।
मंत्रालय को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि एंटीगुआई अधिकारियों की यह दलील कि केवल आरसीएन जारी कर ही चोकसी की आवाजाही रोकी जा सकती है, कानूनी रुप से पुख्ता नहीं है क्योंकि संबंधित व्यक्ति को ढूंढने का प्राथमिक उद्देश्य पूरा हो चुका है।
अधिकारियों ने कहा कि अंतरिम गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण के लिए अगला कदम अब एंटीगुआ को लेना होगा और उसके लिए आरसीएन कोई पूर्व जरूरत नहीं है। चोकसी ने यह कहते हुए इंटरपोल से आरसीएन जारी नहीं करने की दरख्वास्त की है कि उसके विरुद्ध आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। उसका यह भी कहना है कि भारत में जेलों की दशा अच्छी नहीं है और वहां ठहरना उसके मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा।
अपराध में अपने भांजे नीरव मोदी के कथित पार्टनर चोकसी ने यह भी कहा कि उसके विरुद्ध लगे आरोपों को मीडिया ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है और भारत में उसके मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती है क्योंकि अदालतें खबरों के प्रभाव में आ सकती है।
चोकसी की अपील मिलने के बाद इंटरपोल ने सीबीआई का जवाब मांगा। सीबीआई ने जवाब भेजकर उसके सारे आरोपों को गलत बताया है। गीतांजलि ग्रुप का प्रवर्तक चोकसी जनवरी के पहले हफ्ते में भारत से चला गया था। उसके करीब एक पखवाड़े बाद पंजाब नेशनल बैंक की ब्रैडी हाऊस शाखा में सबसे बड़ा घोटाला सामने आया। (भाषा)